मिथिला पेंटिंग के जैकेट्स, भागलपुरी प्रिंट की साड़ी, सलवार सूट, जामदानी साड़ी और भी ऐसे कई परिधान हैं, जिनकी पारंपरिक ख़ूबसूरती फ़ैशन की दुनिया में सदा छाई रहती है. इंटरनैशनल मार्केट से बहुत अधिक इंस्पायर होने के बावजूद भारत के कई ऐसे फ़ैशन डिज़ाइनर हैं, जो फ़ैशन की दुनिया में अपनी लोक संस्कृति, उसकी परंपराओं को दर्शा रहे हैं और उन्हें ख़ूब पसंद भी किया जा रहा है. हेरिटेज फ़ैशन के नाम पर कई एक्स्पेरिमेंट हो रहे हैं. ऐसे में आइए, आज आपको जामदानी फ़ैशन अंदाज़ के बारे में बताएं और साथ ही मशहूर फ़ैशन डिज़ाइनर गौरांग शाह की बातों से भी रू बरू कराएं जो बता रहे हैं कि जामदानी को लेकर किस-किस तरह के एक्सपेरिमेंट्स हो रहे हैं और कैसे हेरिटेज फ़ैशन को फ़ैशन की दुनिया में पहचान मिल रही हैं.
जामदानी कला क्या है
जामदानी कला प्राचीन कला या तकनीक है. इसमें एक तरह का बारीक़ कॉटन का कपड़ा होता है, जिस पर धागे से अलग-अलग पैटर्न बनाए जाते हैं. यह एक तरह का मलमल का ही कपड़ा है, जिसे और ख़ूबसूरत बनाने के लिए अलग-अलग तरह की आकृतियां धागे से उकेरी जाती हैं. इसका इतिहास बहुत पुराना है. बंगाल में यह सबसे अधिक प्रचलित हुआ. ढाका में इसका उत्पादन सबसे ज़्यादा होता है. इसकी ख़ूबसूरती यह है कि ढकाई जामदानी, भारत के बंगाल की जामदानी से अलग है.
जामदानी को मिली है बड़ी पहचान
गौरांग कहते हैं कि हाल के वर्षों में हमने भारतीय परिधान की विश्व स्तर पर पहचान बनाए रखने के लिए, काफ़ी मेहनत की है. वह आगे कहते हैं कि मेरा उद्देश्य दुनिया को भारतीय जामदानी उद्योग और इसकी बहुमुखी प्रतिभा को दिखाना है. हम प्राचीन कला को मॉडर्न कल्पना के माध्यम से चित्रित कर रहे हैं. गौरांग का मानना है कि जामदानी या ऐसे जितने भी फ़ैशन अंदाज़ हैं, ये सदाबहार यानी टाइमलेस होते हैं. इनकी ख़ूबसूरती कभी ख़त्म नहीं होती है. जामदानी कला सिर्फ़ फ़ैशन सेन्स ही नहीं, बल्कि इससे इतर , महिलाओं को एक और दुनिया में ले जाने का काम करती है. यह उन्हें रोमैंस और टाइमलेस सोफ़ेस्टिकेशन का भी एहसास दिलाती है.
जामदानी की बुनाई होती है कठिन
गौरांग बताते हैं कि जामदानी कपड़ों की बुनाई आसान नहीं होती है. यह दरअसल, बुनाई की कठिनतम तकनीकों में से एक होती है. इस कला में ढाका, बनारस, कोटा, श्रीकाकुलम, उप्पदा, वेंकटगिरी, कश्मीर और पैठन जैसी जगहें मशहूर हैं, जहां इसकी बुनाई की जाती है. गौरांग ने जब इसे लाॅन्च किया था तो उन्होंने पेस्टल, लाइट पिंक, लाइट ग्रीन जैसे आकर्षक रंगों के साथ कढ़ाई की सहायता ली थी. पिछले फ़ैशन वीक में गौरांग ने चांद को अपनी थीम चुना था, जिसे काफ़ी पसंद किया गया था. चांद की जो ख़ूबसूरती और शीतलता होती है, उन्होंने उसे ही अपनी क्रिएटिविटी से जामदानी सिल्क साड़ियों में उतारा. उनकी शो स्टॉपर रहीं, अभिनेत्री तापसी पन्नू की जामदानी सिल्क साड़ी पर ‘वाइड फ़्लोरलरल बॉर्डर’ के साथ बेहतरीन प्रयोग किया गया था.
अब सिर्फ़ साड़ी तक सीमित नहीं जामदानी फ़ैशन
पहले जामदानी का ट्रेंड केवल साड़ियों तक सीमित था, लेकिन अब डिज़ाइनर्स काफ़ी एक्स्पेरिमेंट्स कर रहे हैं. साड़ी के अलावा स्टोल्स, स्कार्व्स व कई तरह के परिधानों में इसका प्रयोग हो रहा है. गौरांग शाह ने अपने फ़ैशन वीक कलेक्शन में जामदानी के साथ खादी, ऑर्गैंजा और सिल्क का बेस लेकर अपने एक्स्पेरिमेंट किए थे. वहीं कई अन्य डिज़ाइनर्स ने भी इसे गोल्ड ज़री वर्क और सिल्क के साथ भी शो केस किया था. इन दिनों ड्रेसेस में भी जामदानी का ख़ूब काम हो रहा है. लिनन के कपड़ों पर जामदानी काम की हुई ड्रेसेस भी काफ़ी लोकप्रिय हो रही हैं. कई डिज़ाइनर्स डस्टर कोट्स, पिन टक्ड ड्रेसेस भी जामदानी में डिज़ाइन कर रहे हैं. जामदानी ब्लाउज़ेज़ ख़ूब लोकप्रिय हो रहे हैं ख़ासतौर से बंगाल की शादियों में दर्पण, माला जैसे फ़ंक्शन के लिए ब्राइड्स की पसंद बन रहे हैं.
प्रिंट्स के साथ एक्स्पेरिमेंट
बंगाल के कई ऐसे डिज़ाइनर्स हैं जो, बेल बूटा, डायमंड, टेम्पल बॉर्डर्स के साथ बुद्धा व हनुमान जैसी आइकॉनोग्राफ़ी का भी जामदानी के साथ एक्स्पेरिमेंट्स कर रहे हैं. केड़िया टॉप्स, पैनल्ड स्कर्ट्स, लॉन्ग फ़्लोई कुर्तों में भी यह काम अब दिखने लगा है.