लिनेन का कपड़ा मानव जाति द्वारा खोजे गए सबसे पुराने कपड़ों में से एक है। बहुत सारे मानव सभ्यताओं के इसके इस्तेमाल के साक्ष्य मिलते है। लिनेन आमतौर पर बिस्तर, रसोई घर और डाइनिंग टेबल के कपड़ों के इस्तेमाल के लिए किया जाता रहा है। इसके अलावा, आज यह हमारे फैशन का भी अभिन्न अंग बन चुका है। यह एलीगेंट और क्लासी लुक देने के लिए जाना जाता है। आइए जानते हैं इस फैब्रिक की रोचक यात्रा को करीब से।
ऐसे तैयार होता है लिनेन
लिनेन फ्लैक्स के पौधों की छाल से बनाया जाता है। सबसे पहले इसके पौधों को जमीन से निकाला जाता है और धूप में सुखाया जाता है। पौधे को सुखाने के बाद उससे पत्तियां और बीज को सावधानी के साथ अलग कर दिया जाता है, ताकि इसके रेशे न टूटें। रेशे को पाने के लिए पौधों की छाल को अलग-अलग तरह से नमी दी जाती है ताकि खमीरिकरण की प्रक्रिया शुरू हो और छाल मुलायम हो जाये। मुलायम होने की वजह से रेशों को अलग करने में आसानी होती है। फिर रेशे की कताई की जाती है। छाल से रेशे निकालते हुए उसे ज्यादा से ज्यादा लंबाई में निकालने की कोशिश रहती है, क्योंकि इसे फाइबर की मजबूती अधिक रहती है। उसके बाद इसके धागों पर एक खास तरह का लेप लगा दिया जाता है, ताकि कपड़ों की लचक बनी रहे। उसके बाद इन रेशों को कपड़ों की फैक्ट्रीज में भेज दिया जाता है।
मिस्र से हुई है शुरुआत
लिनेन फैब्रिक का इतिहास प्राचीनमिस्र से शुरू होता है, जहां लोगों ने लिनेन फैब्रिक का इस्तेमाल दीवार की पेंटिंग की तौर पर किया है। प्राचीन मिस्र के लोग खुद को गर्मी से बचाने के लिए जिन कपड़ों को सबसे ज्यादा पहनते थे। वे भी लिनेन फैब्रिक से ही बने होते थे। दिलचस्प बात ये है कि मिस्त्र की ममी के चारों ओर लपेटने वाला मुख्य कपड़ा लिनन का ही होता था, क्योंकि लिनेन के कपड़े में एंटी-सेप्टिक गुण होते हैं, इसके अलावा यह वातावरण की नमी को भी रोक सकने में कारगर होता है, जिससे यह बॉडी को जल्दी खराब होने नहीं देता है। जानकारों की मानें तो कई ग्रंथों में भी कई बार उल्लेख किया गया है, जो यह सुनिश्चित करता है कि हजारों साल पहले इस कपड़े की सराहना होती आ रही है।
इस तरह से पहुंचा भारत
बदलते वक्त के साथ फ्लैक्स पूरे यूरोप में बेहद लोकप्रिय हो गया, क्योंकि इसको उगाना आसान था। यह नम और ठंडी जलवायु में सबसे अच्छा पनपता है। फ्लैक्स के पौधों से लिनेन के कपड़े का उत्पादन करना यूरोपिय वस्त्र उद्योग की अहम घटना थी। उन्होंने विभिन्न घरेलू उपयोगों के लिए लिनेन का उपयोग करना शुरू कर दिया, जैसे टेबल और बेड कवरिंग या कपड़े। अठारहवीं शताब्दी तक लिनेन अपनी गुणवत्ता की सबसे महत्वपूर्ण फैब्रिक बन गया था। ब्रिटिश का शासन जब भारत देश में लागू हुआ, तो यह फैब्रिक उनके साथ यहां भी आ पहुंचा और फिर इस फैब्रिक का उत्पादन भारत में ही होने लगा। बदलते वक्त के साथ हजारों साल पुराने लिनेन फैब्रिक को भी अपने को बचाए रखने के संघर्ष से गुजरा पड़ा है।1970 के दशक में, फैशन उद्योग द्वारा कपड़े बनाने के लिए दुनिया में कुल लिनेन उत्पादन का केवल 5% का उपयोग किया गया था, हालांकि, 1990 के दशक तक यह संख्या बढ़कर 70% हो गयी।इसकी वजह निश्चित तौर पर इस कपड़े से जुड़ी गुणवत्ता है।
लिनेन फैब्रिक की खास बात
लिनेन की सबसे अहम खासियत ये है कि यह सस्टेनबिलिटी की जरूरत पर पूरी तरह से खरा उतरता है। यह पूरी तरह से एक प्राकृतिक फैब्रिक है। इसको उगाने और रेशे को पाने के प्रोसेस में जीरो वेस्ट होता है। पानी का भी बहुत कम उपयोग होता है। इसके अलावा, इसमें हानिकारक केमिकल का इस्तेमाल भी लगभग न के बराबर होता है। इसकी खासियत यह भी है कि लिनेन का फैब्रिक सबसे मजबूत फैब्रिक माना जाता है। मजबूत फैब्रिक का मतलब कपड़े की मजबूत जिससे यह कपड़ा काफी समय तक आपका साथ देगा। अक्सर लोग लिनेन के फैब्रिक को महंगा कहकर इससे दूरी बना लेते हैं, लेकिन यहां ये समझने की जरूरत है कि लिनेन के कपड़े का टिकाऊपन किसी भी दूसरे कपड़े के मुकाबले बहुत अधिक होता है, क्योंकि इसका फैब्रिक सबसे मजबूत होता है। लिनेन का कपड़ा बहुत ही ज्यादा आरामदायक होता है। वैसे तो यह हर मौसम के लिए आपके वार्डरोब को खास बना सकता है, लेकिन गर्मियों में यह बहुत ही कूल फैब्रिक माना जाता है। आम धारणा है कि सबसे कूल फाइबर कॉटन है, लेकिन यह गलत जानकारी है। सबसे कूल फैब्रिक लिनन का ही माना जाता है गर्मियों में यह आपके शरीर के पसीने को सोख लेगा और आपको हल्की सी भी नमी अपने कपड़े में महसूस नहीं होगी, क्योंकि इस कपड़े में सोखने की क्षमता बेहद अच्छी होती है। लिनेन फैब्रिक में गुड हीट कंडक्टिविटी के गुण भी जुड़े हैं, जिसकी वजह से यह गर्मियों में शरीर के तापमान को नियंत्रण में रखता है और ठंड में तापमान गिरने पर लिनेन आपको गर्म रखेगा। अगर आपको त्वचा से जुड़ी कोई भी समस्या या एलर्जी है, तो आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प लिनेन फैब्रिक है, क्योंकि लिनेन फैब्रिक में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं। अगर आपको कोई चोट लगी है और उस जख्म पर आप लिनेन के कपड़े से बांधते हैं, तो वह जख्म किसी भी दूसरे फैब्रिक की पट्टी के मुकाबले चोट को जल्द ही ठीक करता है। लिनेन को जितना अधिक धोया जाता है, उतना ही यह सॉफ्ट हो जाता है। मतलब साफ है कि लिनेन के कपड़े वास्तव में समय के साथ बेहतर होते जाते हैं।इसके अलावा लिनन को आप जितना आयरन करेंगी। वह गुजरते वक्त के साथ उतना ही चमकता करता है।
इन बातों का भी रखें ख्याल
हर चीज का अच्छा पहलू है, तो बुरा भी है। लिनेन फैब्रिक भी इससे अछूता नहीं है। इसलिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है, जब लिनेन खरीदें, दरअसल लिनेन फैब्रिक में सिलवटें बहुत ज्यादा होती है। इसके लिए आप उसके कपड़े को खरीदकर जितना कोल्ड वॉश कर सकती हैं और उसके बाद कपड़े बनने के लिए दें उतना अच्छा होगा। इसे अगर आप रेडीमेड खरीद रही हैं, तो इसे ड्राई क्लीन जरूर करवाएं। इस फैब्रिक में सिलवटें ज्यादा होती है, इसलिए बिना कपड़ों कि आयरनिंग किए हुए आप इसे नहीं बन सकती हैं। दूसरे फैब्रिक के मुकाबले अगर इसके कपड़े में ज्यादा गुणवत्ता है, तो यह जेब पर भी महंगा ही पड़ता है। ओरिजिनल लिनेन की कीमत 800 से लेकर 1000 की कीमत से शुरुआत होती है। उससे कम दाम वाले फिर ओरिजिनल लिनेन नहीं होते हैं। बाजार में अधिकतर कॉटन के फैब्रिक के साथ मिक्स करके लिनेन फैब्रिक मौजूद हैं। लिनेन के डुप्लीकेट ब्रांड्स से बाजार भरा पड़ा है। लिनेन खरीदते हुए आपको यह देखना चाहिए कि यह ज्यादा सॉफ्ट ना हो। ओरिजिनल लिनेन समय के साथ धुलते हुए सॉफ्ट होता है। लिनेन फैब्रिक को हमेशा ठंडे पानी और माइल्ड डिटर्जेंट के इस्तेमाल से ही धोएं।
हर परिधान में है फिट
लिनेन के कपड़े का उपयोग अब भारतीय परिधानों के लगभग हर रूप को बनाने के लिए किया जाता है क्योंकि यह बेहद बहुमुखी है। यह लुक को आकर्षक बनाने के साथ-साथ आरामदायक अनुभव भी देता है। टॉप्स, प्लाजो, कुर्ता सेट, टॉउजर, शर्ट्स, स्कर्ट से लेकर साड़ी तक यह फैब्रिक हर परिधान में फिट है। आप अपनी पसंद और जरूरत के अनुरूप परिधान को अपनी लाइफस्टाइल में जोड़ सकती हैं।
घर की खूबसूरती को भी है बढ़ाता है
लिनेन फैब्रिक सिर्फ हमारे परिधान को ही नहीं, बल्कि हमारे घर की खूबसूरती को भी बढ़ाता है। इस फैब्रिक के बेडशीट, चादर, टेबल के कवर से लेकर पेंटिंग और आर्ट पीस तक सभी बेहद लोकप्रिय रही हैं।
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