भारतीय संस्कृति में हर राज्य और संस्कृति में अपनी अद्भुत वेशभूषा होती है, जिन्हें बेहद शौक से महिलाएं पहनती हैं और एक अनोखा रूप नजर आता है। आइए जानते हैं विस्तार से।
साड़ी
यजुर्वेद में सबसे पहले साड़ी शब्द के बारे में जानकारी मिलती है। ऋग्वेद की संहिता की बात करें, तो साडी पहनने का विधान रहा है और कई राज्यों में साड़ी बेहद शौक से पहनी जाती है। पौराणिक ग्रंथ महाभारत में भी साड़ी का जिक्र रहा है और लगभग 3500 ईसा पूर्व से ही यह प्रचलन में रहा है। दक्षिण भारत से लेकर, बिहार और उत्तर प्रदेश में अलग-अलग तरीके से महिलाएं साड़ी पहनती हैं। दक्षिण भारतीय महिलाएं कॉटन और सिल्क से बनीं रंग-बिरंगी साड़ियां पहनती हैं, साथ ही केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में भी महिलाएं इसे पहनना पसंद करती हैं। गौरतलब है कि साड़ी को विश्व के सबसे लम्बे परिधानों में से एक माना जाता है। मुंदुम नेरियाथुम साड़ी, केरल की सबसे पारंपरिक पोशाक है। महाराष्ट्र में भी महिलाएं साड़ी पहनती हैं और पश्चिम बंगाल में भी। साड़ी विश्व की सबसे लम्बी और पुराने परिधानों में से एक मानी जाती है। इसकी लम्बाई सभी परिधानों में से एक मानी जाती है। यह भारतीयता की पहचान मानी जाती है। बता दें कि महाराष्ट्र में नौ गज की साड़ी पहनने का रिवाज रहा है। अगर भारत में अलग-अलग शैली की साड़ियों की बात की जाए तो बनारसी साड़ी, पटोला साड़ी, कांजीवरम साड़ी और ऐसी ही कई साड़ियां प्रमुख हैं। वहीं मध्य प्रदेश की चंदेरी, महेश्वरी, मधुबनी, मूंगा रशम, बोमकई, बंधेज, गठोडा, पटौला, टसर, काथा, कोसा रेशम, रेशमी साड़ियां, पैथानी, तांची, जामदानी और बालूचरी जैसी साड़ियां प्रमुख हैं। तो आंध्र प्रदेश की भी अगर बात की जाए, तो यहां भी रंग-बिरंगी साड़ियों को पहनने का प्रचलन रहा है।
स्कर्ट
ऐसे तो स्कर्ट्स को विदेशी कपड़े माने जाते हैं, लेकिन अरुणाचल प्रदेश में कई जनजातीय वेशभूषा के रूप में रैप अराउंड स्कर्ट और ब्लाउज पहने जाते हैं। वहीं असम में लम्बी स्कर्ट और एक शॉल ओढ़ी जाती है।
सलवार कमीज
महिलाओं के एक और अन्य परिधान की बात की जाए, तो पश्चिम भारत में सलवार-कुर्ती का प्रचलन भी काफी ज्यादा रहा है, साथ ही उत्तर भारत में भी दोनों का ही प्रचलन रहा है। पूर्वोत्तर में भी साड़ी और इससे मिलता-जुलता वस्त्र पहनना महिलाएं पसंद करती हैं। उत्तराखंड, कश्मीर और पंजाब में महिलाएं जम कर इसे पहनना पसंद करती हैं। कई शादी-ब्याह के फंक्शन में भी इसे पहना जाता है। हरियाणा में भी महिलाएं पोशाक के रूप में सलवार कमीज पहनती हैं।
पूंचई और मेखला छादर
मिजोरम में महिलाएं या लकड़ियां पूंचई नाम की पारंपरिक पोशाक पहनना पसंद करती हैं। खासतौर से इस ड्रेस को शादी और त्यौहार के अवसर पर पहना जाता है। वहीं असम में महिलाएं मेखला छादर या मेखेल सदोर पहनना पसंद करती हैं। इसे दो हिस्सों में पहना जाता है। मेघला को कमर पर लपेटा जाता है और छादर को ओढ़ा जाता है।
घाघरा
घाघरा राजस्थान में भी पहना जाता है और हिमाचल प्रदेश के भी कुछ राज्यों में, साथ ही उत्तर भारत में भी इसे पहनने वाली महिलाएं शौक से पहनती हैं। इसे चोली और दुपट्टे के साथ पहना जाता है। साड़ी के साथ अंतर्वस्त्रों में भी घाघरा पहना जाता है। छत्तीसगढ़ अपने रंगीन लहंगे-चोली ड्रेस के लिए जाने जाते हैं।
कुनबी साड़ी और चनिया चोली
गोवा में महिलाओं के लिए पारम्परिक रूप से पोशाक के रूप में कुनबी साड़ी पहनी जाती है, यह एक खास बॉर्डर वाली सूती साड़ी है। वहीं गुजरात में चनिया चोली है, जो एक लम्बी स्कर्ट और ब्लाउज है।
गरारा सूट
गरारा कहां से आया है, यह जानना बेहद दिलचस्प है और इसकी वजह यह है कि गरारा उत्तरी भारत के हिंदी क्षेत्रों में मुसलमान औरतोंद्वारा पहना जाने वाला एक रिवायती लखनवी लिबास माना जाता है, यह निबास कुर्ती, दुप्पटा और चौड़े पैंटों से बना हुआ है। इसे गोटा कहा जाता है। जरी और जरदोजी की कढ़ाई से इसे सजाया जाता है। इसे उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र के नवाबों के जमाने से माना जाता है, यह पहले मुसलमान औरतों के लिए रोजमर्रा का लिबास माना जाता था। पुराने जमाने में 11 से 12 मीटर के कपड़े का इस्तेमाल किया जाता है। पुराने जमाने में गरारा बनाने के लिए रेशम के कपड़ों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता था। इसके ऊपर एक छोटी या लम्बी लेंथ की कुर्ती पहनी जातीहै।
शरारा
शरारा एक पारम्परिक शादी या फिर पार्टी का पहनावा है। इसे मुगलों के दौर में पहना जाने वाला पहनावा है, आज भी यह लखनऊ के इलाके में पहना जाता है, इसे लहंगे माना जाता है, लेकिन यह घेरेदार नहीं होता है। किसी दौर में सिनेमा के माध्यम से भी यह फैशन का हिस्सा बना। शरारा में जरी, सीक्वन, पत्थर, गोटे और बीड्स का काम होता है और इस ड्रेस के साथ लम्बी कुर्ती पहनी जाती है। शरारा के बारे में आपको यह भी जानकारी होनी चाहिए कि यह स्कर्ट नुमा होता है, जो कमर से फिट होते हैं और नीचे से काफी घेरेदार होते हैं।
फानेक और इन्नाफी
मणिपुर में महिलाएं फानेक और इन्नाफी पहनी जाती है, जो एक लपेटने वाली स्कर्ट होती है और शॉल होती है, इसे एक खास तरीके से लपेटा जाता है। वहीं नागालैंड में रैप अराउंड स्कर्ट ही पहना जाता है। सिक्किम में महिलाओं की पोशाक किरा है, जो नागालैंड की पोशाक से मिलती-जुलती होती है। त्रिपुरा में भी अनोखे परिधान होते हैं, जिनमें रिगणाई और रिसा जैसे पोशाक महत्वपूर्ण है।
पटियाला ड्रेस
पटियाला ड्रेस भी पंजाब के खूबसूरत ड्रेसेज में से एक है, जिन्हें बेहद शौक से पहना जाता है, यह सलवार के रूप में फैली हुई होते हैं, जिनमें काफी सारे प्लीट्स होते हैं और इन्हें शॉर्ट कुर्ती के साथ पहना जाता है और बेहद पसंद किया जाता है। पंजाब में पटियाला ड्रेस के साथ फुलकारी दुपट्टे भी बड़े ही शौक से ओढ़े जाते हैं।