उस दिन काफी दिनों बाद, जब छुट्टियों में अपने होम टाउन पहुंची, तो तय किया कि गैरेज में पड़ीं सारी पुरानी चीजें, जो अब किसी काम की नहीं हैं, उनकी साफ-सफाई कर दी जाए. ऐसे में घर की साफ़-सफाई करते हुए, मुझे मेरे पुराने बक्से में से मेरी कई सारी डायरीज मिलीं. सबके पन्ने अब पुराने हो चले हैं, पीले ऐसे पड़ गए हैं, जैसे उन्हें अभी-अभी हल्दी चढ़ी हो. पन्नों को पलटते हुए, मुझे चिनार के वे दो पत्ते भी मिले, जो मैं बड़ी जिद्द करके, कश्मीर से लौटते हुए ले आई थी और उसे संभाल के डायरी के उन पन्नों में रख दिया था, जिसमें मैंने कश्मीर घूमने के अपने संस्मरण को भी लिखा था. साफ़-सफाई छोड़ कर, मैं तो बस एक-एक करके उन पन्नों को पलटती गयी, तो मुझे ऐसा लगा कि मेरे पास तो यादों का एक खजाना है, जिसे अगर मैं खंगालूं, तो मैं कितनी सारी डॉक्यूमेंट्री, फूड यात्रा और न जाने, कितने हजारों रिसर्च आधारित लेख लिख सकती हूँ, सच कहूँ तो मुझे खुद को याद नहीं था कि मैंने क्या-क्या लिखा है. दरअसल, डिजिटल दुनिया ने जिस तरह से डायरी के कल्चर को कहीं खो दिया है, उसे फिर से एक बार अस्तित्व में लाने की जरूरत है, जी हाँ, डायरी लिखने के कल्चर को एक बार फिर से बरक़रार रखना जरूरी है, यह न सिर्फ हमको अपने इतिहास, अपनी संस्कृति से रूबरू करवाता है, बल्कि हमारी यादों को भी मजबूत बनाता है. फिर आपको किसी रिसर्च के लिए, किसी किताबों या अन्य चीजों की जरूरत नहीं होगी. तो आइये जानें, क्यों जरूरी है डायरी लिखने की कला व कल्चर को बढ़ावा देना.
आपके जीवन के महत्वपूर्ण घटनाओं का लेखा-जोखा
आप अगर किसी क्रिएटिव फील्ड से जुड़ी हुई हैं, तो आपके लिए यह किसी दस्तावेज से कम नहीं होगा. अगर आपको हमेशा से डायरी लिखने की आदत रही है, तो जाहिर है कि आप अपनी जिंदगी की महत्वपूर्ण चीजों को लिख कर रखेंगी और फिर आगे चल कर, कभी यह घटनाएं आपकी किसी फिल्म या उपन्यास का हिस्सा बन सकती हैं.
यादों की गलियों में लौटना है अच्छा
डायरी लिखने से आप कई बार फिर से उन यादों की गलियारों में जाती हैं, जहाँ जाना काफी पहले छोड़ दिया था. ऐसे में कई बार अपनी जमीन, अपने लोगों से जुड़ने का मौका मिलता है और कई बार ऐसी चीजें सामने आती हैं, जो आप पूरी तरह से भूल चुकी होती हैं, इसलिए बेहद जरूरी है कि आप डायरी के पन्नों को पलटती रहें.
शायद एक नयी खुद से मिलें
कई बार आप जिंदगी की भागदौड़ में खुद से मिलना भूल जाती हैं, कई बार आपको खुद को पता नहीं होता है, अपनी ही कुछ आदतों के बारे में, जिसे पहले आप किया करती थीं और उसके बारे में डायरी में लिखा भी करती थीं, लेकिन फिर व्यस्त जिंदगी में सबकुछ छोड़ दिया. ऐसे में यह डायरी आपको खुद से खुद को एक्सप्लोर करने का मौका देती है और शायद इसे पढ़ कर, एक बार फिर से आप वह सारी चीजें करनी शुरू करें, जो आप पहले किया करती थीं, लेकिन अब नहीं कर पाती हैं. खुद से खुद को मिलाने के लिए भी अच्छा है डायरी लिखने का कल्चर.
ट्रेवलिंग इनसाइक्लोपीडिया बनाना
जब आप डायरी लिखना जारी रखती हैं, तो आप जहाँ भी जाती हैं, जिससे भी मिलती हैं, तो उसके बारे में विवरण लिखती हैं, खासतौर से अगर कहीं घूमने-फिरने गई हैं तो, इससे भी आपका अपना ही ज्ञान बढ़ता है और उस जगह के बारे में भी हर छोटी बारीक़ बातें, आपको पता चल जाती हैं, जहाँ आप ट्रेवल कर चुकी होती हैं, इसके आधार पर भी काफी रिसर्च वर्क किये जा सकते हैं.
आपकी अगली जेनरेशन के लिए डॉक्यूमेंटेशन
इस बात को अब भी हमारे देश में बहुत अधिक तवज्जो नहीं दी जाती है कि चीजों का डॉक्यूमेंटेशन, ताकि वह आपकी अगली जेनरेशन के काम आये. लेकिन इस कल्चर को बढ़ावा देने की कोशिश होनी ही चाहिए, ताकि आप जब डायरी लिखती हैं और इसे अगले जेनरेशन को सौंपती हैं, तो एक तरह से आप अपने अगले जेनरेशन को अपनी धरोहर और संस्कृति को सौंपती हैं, ताकि आपके बच्चे या अगले जेनरेशन को यह पता चले कि आपका अपना कल्चर क्या था.
हाँ, कई लोग इस दिनों डायरी लिखना निजता का हनन भी मानते हैं, तो कोशिश करें कि आपकी जो बेहद निजी बातें हैं, वह डायरी में न लिखें, बल्कि इतिहास, संस्कृति, अपनी भाषा, अपने ट्रेवल अनुभव और जिंदगी के वैसे अनुभव, जिससे आपकी निजता का हनन न हो, उन बातों का जिक्र किया गया हो, तो यह डायरी आपकी जेनरेशन के लिए बेस्ट डॉक्युमेंटेशन बनेंगी.