जिस तरह चुंबक- चुंबक को आकर्षित करता है, ठीक इसी तरह इंसान को हर वो चीज अपनी तरफ बुलाती है, जहां पर प्यार और सुकून होता है। फिर चाहे वह मां का आंचल हो या फिर अपने घर के छत की ठंडक हो। तभी तो दिन भर की थकान के बाद घर पहुंचकर खुद के बिस्तर में सुकून भरी नींद मिलती है। ठीक इसी तरह हम सभी के जिंदगी के ऐसे चार अहम पड़ाव हैं, जिन्हें हमें फिर से रीविजिट करना चाहिए। यह हमारे जीवन के वो खास लम्हें हैं, जहां पर हमें रीविजट करने की पहल करना जरूरी है। जिस तरह पुराने गानों में संगीत की ताजगी महकती है, वैसे ही हमारी जिंदगी के कुछ खास ऐसे हिस्से हैं, जो हमारे अंदर खुशी और उम्मीद की लालटेन जलाते हैं और जिंदगी फिर से जीना सिखाते हैं। आइए जानते हैं विस्तार से।
गांव की छांव, पुराने घर की गलियां
बचपन का सुकून पूरी उम्र की कमाई लगाने के बाद भी नहीं मिल सकता है, लेकिन आप अपने बचपन की महक गांव की छांव और पुराने मोहल्ले की मिट्टी में जरूर पा सकती हैं, इसलिए जब भी मौका मिले, तो अपने गांव जरूर जाएं। नानी-दादी के घर की चौखट बचपन का सुकून महसूस कराती है। अगर आप अपने बचपन के घर से दूर किसी नई जगह पर रहती हैं, तो भी आप एक दफा अपने बचपन की गलियों की सैर करने जरूर जाएं। यकीन मानिए, इन गलियों में चलने के साथ बचपन की धुंधली तस्वीर साफ दिखाई देने लगेंगी और गली के कोने की दुकान का लेमनचूस आज भी जीभ को चटकारा दे जाएगा।
स्कूल- कॉलेज के दोस्तों से कैंपस में मुलाकात
कई लोग आज भी अपने कॉलेज के कैंपस में दोस्तों से मुलाकात करना पसंद करते हैं। अगर आपने इस एहसास को अभी तक अपने अंदर महसूस नहीं किया है, तो देरी न करें। अपने कॉलेज या फिर स्कूल के दोस्तों से संपर्क करें और जरूर प्लान करें अपने कॉलेज कैंपस ट्रिप को। कॉलेज के कैंटीन की चाय के साथ पुरानी गपशप फिर से आपके सपने को नई उड़ान देगी।
खिलौने खरीदना
खिलौने की दुकान पर रीविजट करना, वो भी खुद के लिए आपको थोड़ा बचकाना लग सकता है, लेकिन यकीन मानिए ये आपके लिए 2 मिनट के मेडिटेशन के बराबर ही है। जी हां, बचपन में हम सभी को किसी न किसी खिलौने की परवाह खुद से अधिक होती थी, फिर चाहे व चाबी पर नाचती गुड़िया हो या फिर खिलौने की चिड़िया हो। अगर आज भी आपको कोई खिलौना पसंद है, तो आपको उसे अपने दफ्तर या फिर घर के खास कोने में जरूर सजाना चाहिए। जैसा कि कहा जाता है कि खिलौने बचपन के साथी होते हैं, तो इस साथी का साथ आपको जीवन के हर पड़ाव पर बनाए रखना चाहिए।
कॉमिक्स की दुनिया से दोस्ती
कॉमिक्स पढ़ने की शुरुआत बचपन में अखबार से शुरू होती है, जहां पर सप्ताह के प्रत्येक रविवार को चाचा चौधरी के दिलचस्प किस्से पढ़ने को मिलते थे या फिर कई सारे कॉमिक्स को किताबों की दुकान से हम बटोर कर लेकर आते थे। घर पर गर्मियों की छुट्टी में खास तौर पर कॉमिक्स पढ़ा करते थे। कॉमिक्स हमें हिम्मत और दिलेरी भरी कहानी की दुनिया में लेकर जाती थी। आज जब हमें अपनी जिंदगी में हौसले की सबसे अधिक जरूरत है, तो क्यों न फिर से एक बार कॉमिक्स की दुनिया को रीविजिट किया जाए।
यहां से मिलेगी फिर से जीने की रोशनी
यकीन मानिए, जीवन के इन चार पड़ाव को रीविजिट करना आपको एक सुखद अहसास देगा। जिस तरह से सुबह उठकर शरीर को ऊर्जा देने के लिए भोजन जरूरी है, ठीक इसी तरह साल में एक या दो बार इन जगहों पर भी रीविजिट करना न भूलें। बचपन, स्कूल, कॉलेज और कॉमिक्स की दुनिया हमारे जीवन के अनमोल लम्हें हैं, इन्हें हमेशा खुद से बांधे रखें, ताकि जीवन में जीने की ललक बरकरार रहे।