हिंदी सिनेमा के कुछ निर्देशकों ने महिला किरदारों को बिंदास,आजाद और बेपरवाह दिखाने में कोई कमी नहीं छोड़ी है। उन्होंने हमेशा अपनी फिल्मों के माध्यम से यह साबित किया है कि वह महिलाओं को अपने किरदारों से जज नहीं होने दिया, ऐसे में आइए ऐसे 5 सिनेमाई महिला किरदार के बारे में जानें, जिन्होंने दर्शाये हैं, आजादी का मतलब, अपनी शर्तों पर जीना है।
इम्तियाज की फिल्म जब वी मेट की ‘गीत’
गीत का किरदार करीना कपूर खान ने निभाया था। इम्तियाज अली की इस फिल्म के इस स्ट्रांग महिला किरदार पर गौर किया जाए, तो गीत ने जिंदगी अपने तरीके से जी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह अपने परिवार से प्यार नहीं करती थी। इस फिल्म में वह शाहिद के किरदार के साथ, अपने परिवार वालों के पास जाती है, क्योंकि वह अपने परिवार से उतनी ही कनेक्टेड होती हैं, लेकिन हां, वह जिंदगी को अपनी शर्तों पर भी जीना चाहती है, इसलिए समाज की इस सोच को बदलना बेहद जरूरी है कि ऐसी लड़कियां जो बिंदास होती हैं, वह कल्चर या परिवार से जुड़ी हुई नहीं होती हैं और उनकी आजादी के मायनों को जज किया जाना छोड़ देना चाहिए। समाज की अवधारणा के बारे में नहीं, बल्कि अपने दिल की सुनने वाली आजादी ही दुनिया की सबसे बड़ी आजादी है, इसलिए हर एक लड़की में यह होना ही चाहिए।
मनीष शर्मा की बैंड बाजा बारात की ‘श्रुति’
मनीष शर्मा की पहली फिल्म थी बैंड बाजा बारात। इसी फिल्म से रणवीर सिंह ने फिल्मों में कदम रखा, लेकिन इस फिल्म में अगर कोई किरदार पूरा ध्यान खींचती हैं, तो वह किरदार है श्रुति का, जिसे अनुष्का शर्मा ने निभाया है, इस फिल्म में श्रुति अपने करियर में बेस्ट वेडिंग प्लानर बनना चाहती है और वह अपने बिजनेस में सीधा फंडा रखती है कि उसे बिजनेस में प्यार नहीं चाहिए, श्रुति इस फिल्म में जिस तरह से इंडिपेंडेंट होकर काम करती है, अपने सामने वाले को मुंह तोड़ जवाब देती है, यह श्रुति को बिंदास बनाता है और लड़कियों को कैसे इंडिपेंडेंट होना चाहिए, यह भी दर्शाता है। इस फिल्म ने दर्शाया है कि लड़की का आत्मनिर्भर होना, उन्हें आजाद बनाता है।
तनु वेड्स मनु की ‘तनु’
आनंद एल राय ने तनु वेड्स मनु की तनु को जिस तरह से इंडिपेंडेंट और अपनी ख्यालों वाली लड़की दर्शाया है, जो परिवार की बातों में आकर नहीं, अपने दिल की बात सुनने की कोशिश करती है और वही करती है, ऐसी सोच होना लड़कियों में बेहद जरूरी है, क्योंकि तभी वह जिंदगी में खुश भी रह सकेंगी, हिंदी सिनेमा का यह बेहद स्ट्रांग किरदार रहा है। बाद में इसी फिल्म के सीक्वल में भी उन्होंने कंगना के किरदार दत्तो को दिखाया है, जो सिर्फ अपनी सुनती है। ऐसे में उनका यह किरदार दर्शाता है कि अपने फैसले किसी पुरुष की वजह से नहीं, बल्कि अपनी मर्जी से करना चाहिए।
क्वीन की रानी
यह सच है कि क्वीन फिल्म में शुरुआती दौर में कंगना की किरदार रानी को दब्बू दिखाया गया है, जो अपनी शादी टूटने पर दुखी हो जाती है, लेकिन फिर वह अकेले दुनिया घूमने का निर्णय लेती है और फिर पूरी दुनिया एक्सप्लोर करती है, और ऐसा नहीं है कि वह विदेश जाती है, तो वहां अपनी सारी हदें पार कर देती है, कूल बनने के लिए कुछ भी करती हैं, लेकिन फिर भी वह एक आजाद ख्याल और खुद को बदलती है, ऐसे किरदार निर्देशकों को हिंदी फिल्मों में और अधिक लिखे जाने चाहिए।
दोस्ताना की ‘नेहा’
करण जौहर की फिल्म दोस्ताना में नेहा का किरदार निभाया था, प्रियंका चोपड़ा में, जिस पर तीन लड़के दिल हार गए होते हैं, लेकिन इस फिल्म की सबसे बड़ी खूबसूरती यह थी कि निर्देशक ने प्रियंका के किरदार, जो कि दो लड़कों की बहुत अच्छी दोस्त है, यह दर्शाती है कि दो लड़कों की एक लड़की, बिना किसी और एक्सप्रेशन या फीलिंग के अच्छे दोस्त भी बन सकती हैं और उनकी सुख-दुःख की साथी भी बन सकती हैं, नेहा एक इंडिपेंडेंट और अपनी शर्तों पर जीने वाली लड़की होती है, लेकिन दोस्ती निभाने में भी पूरी तरह से माहिर होती है।
Image credit : Instagram