बेहद जरूरी है कि बच्चों को सस्टेनेबल चीजों से जोड़ा जाए और इसे करना कोई कठिन काम नहीं है, आपको बस थोड़े से छोटे बदलाव करने हैं। आइए जानें इसके बारे में विस्तार से।
जमीन पर बैठ कर खाना
इन दिनों बच्चों को टेबल पर बैठ कर खाने की आदत हो गई है, कुछ बच्चे तो बिल्कुल बिस्तर से भी हटना नहीं चाहते हैं और बिस्तर पर ही खाने लगते हैं और माता-पिता भी इस बात का ख्याल नहीं रखते हैं कि बच्चों को अधिक लाड़-प्यार करने लगते हैं और फिर यही होता है कि लोग जमीन पर बैठ कर खाना भूल जाते हैं, लेकिन सच्चाई यही है कि जमीन पर बैठ कर खाना हर किसी के लिए सही है, खासतौर से बच्चों को सस्टेनेबिलिटी से जोड़ने का सबसे अच्छा तरीका है। जमीन पर बैठ कर खाना सुखासन होता है, इससे मानसिक तनाव से भी दूरी मिलती है। जमीन पर जब आप पैर मोड़ कर बैठते हैं तो इससे शारीरिक मुद्रा में सुधार होता है।
मिट्टी में खेलना
आजकल कई ऐसे पेरेंट्स हैं, जो इस बात के लिए मना कर देते हैं कि उनके बच्चे पानी में या कीचड़ या मिट्टी में नहीं खेलेंगे, जबकि मिट्टी में खेलने से वह प्रदूषण से दूर जाते हैं और पर्यावरण के बेहद नजदीक आते हैं। मिट्टी में खेलने से बच्चे मजबूत बनते हैं, क्योंकि मिट्टी में माइक्रोस्कोपिक बैक्टेरिया होते हैं, जो बच्चों के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं।
बागवानी सिखाएं
बच्चों को बागवानी और पौधों के करीब रहना भी जरूर सिखाना चाहिए, क्योंकि बच्चे जब पौधों के साथ रहते हैं, तो वे पर्यावरण को बेहतर करने के बारे में सोचते हैं और इससे उनका मस्तिष्क बेहतर होता है। इसलिए बच्चों में बागवानी की भी आदत डालनी चाहिए।
प्लास्टिक का इस्तेमाल कम से कम
बच्चों में यह भी एक अच्छी आदत डाली जा सकती है कि वे अपनी जिंदगी में प्लास्टिक के बर्तन या सामान का इस्तेमाल कम करें, क्योंकि ये चीजें पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचाती हैं, उन्हें प्लास्टिक के खिलौनों से भी दूर रखने की ही कोशिश करनी चाहिए।
साल में एक बार इको टूरिज्म
इको टूरिज्म बच्चों के लिए एक अच्छा विकल्प है कि बच्चे पर्यावरण से जुड़ें, उन्हें ऐसी जगहों पर ले जाना चाहिए कि वे समझें कि पर्यावरण से जुड़ीं चीजें करें, पर्यावरण वाले अच्छे एडवेंचर हों, साथ ही बच्चों को भौतिकता की चीजों से दूर रखें, उन्हें चीजों की अहमियत और चीजों की बर्बादी नहीं करने के बारे में सिखाएं, इससे आपके बच्चे में सीखने के गुण आएंगे।