दशकों से हिंदी सिनेमा ने लोगों को तरह-तरह की कहानियां, किरदार, संगीत और आज के जमाने में वीएफएक्स VFX का बेहतरीन अनुभव दिया है। कभी सिनेमा ने हमें वो दिखाया, जिसकी हम सिर्फ कल्पना कर सकते थे, तो कभी सिनेमा समाज का आइना बनकर पर्दे पर नाचने लगा। बड़े पर्दे का अपना जादू है, इसने कई बार छोटे शहरों को भी सिनेमा तक लाकर इन शहरों का नाम बड़ा बना दिया। यह शहर हमारे आस-पास ही थे लेकिन इनके नाम के अलावा हमें कुछ ज्यादा पता नहीं था। लेकिन, जब बड़े पर्दे पर इन शहरों का जिक्र हुआ तो यहां की कहानी, भाषा, पहनावा और खूबसूरती लोगों के सामने आयी। यहां हैं वे फिल्में, जिसमें छोटे शहरों की कहानियों को बखूबी दर्शाया गया है।
तनु वेड्स मनु और तनु वेड्स मनु रिटर्न्स
एक दौर में हिंदी सिनेमा के रुख को छोटे शहरों की तरफ मोड़ने का श्रेय बहुत हद तक तनु वेड्स मनु में जाता है, क्योंकि इस फिल्म में छोटे शहर के अंदाज को दर्शाया गया, वहां की संस्कृति, सभ्यता, पड़ोसी, भाषा और लोक संस्कृति को दर्शकों तक पहुंचाने में आनंद एल राय जैसे निर्देशकों ने काफी मेहनत की है। यही वजह है कि इन फिल्मों के माध्यम से छोटे शहरों के लहजे भी दर्शकों तक पहुंचे।
मसान
मसान उन फिल्मों में से एक रही, जिसने जिंदगी की फिलॉसफी को अच्छे से समझा और दिखाया। इस फिल्म में बनारस की गलियां, वहां के घाट, वहां की संस्कृति को दर्शकों के सामने खूबसूरती से पेश किया गया, इस फिल्म के माध्यम से बनारस के पूरे परिवेश को बखूबी समझा जा सकता है। नीरज घेवान की इस फिल्म ने दर्शकों के दिलों पर खूब राज किया।
रांझणा
आनंद एल राय की ही एक फिल्म में से रही है रांझणा, जिसमें बनारस में बचपन में होने वाले प्यार के समर्पण को दर्शाया गया है। रांझणा में छोटे शहर के इमोशन को, वहां के पड़ोस, आपसी प्यार और ऐसी कई बारीकियों को दर्शकों तक पहुंचाया गया है।
बरेली की बर्फी
बरेली की बर्फी में भी छोटे शहर के प्यार, लेकिन इजहार नहीं कर पाना, फिर माता-पिता की बेटी की शादी को लेकर चिंता और उन सबके बीच खूबसूरत सा परिवार, उनके मूल्य, हास्य जीवन सबको बेहद खूबसूरती से एक धागे में पिरोया गया है। अश्विनी अय्यर तिवारी की यह फिल्म हमेशा छोटे शहरों के उत्साह को बरकरार रखेगी।
शुभ मंगल सावधान
शुभ मंगल सावधान में भी किरदारों का देसीपन आपको कनेक्ट करता है, आपको लगता है कि यह आपके बीच में से ही एक हैं। इस फिल्म में भी एक नयापन आया और इस तरह की फिल्मों ने भी छोटे शहरों की संस्कृति में एक खास अंदाज दिया। फिल्म के अंदाज ने सबको मोह लिया।