साल खत्म होने के कगार पर है और इसी के साथ दिसंबर का महीना इस बात की भी गवाही दे रहा है कि हमें आने वाले नए साल का स्वागत उत्साह से करना चाहिए। यह दिलचस्प है कि दिसंबर में न केवल क्रिसमस बल्कि भारतीय संस्कृति की पहचान कराते हुए एक नहीं 5 ऐसे लोकप्रिय त्योहार हैं, जो कि भारत के सर्द मौसम में परंपरा, संगीत और कला का संगम भी लेकर आते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं ,ठंड में संस्कृति की पहचान बने भारत के 5 लोकप्रिय फेस्टिवल के बारे में।
रण उत्सव
इस उत्सव की खूबी यह है कि यहां पर दुनिया भर से यात्री आते हैं और इस उत्सव का हिस्सा बनते हैं। खबरों के अनुसार 8 हजार से अधिक पर्यटक इस उत्सव का हिस्सा बनते हैं। रंग और कला की प्रदर्शनी के साथ संगीत और सांस्कृतिक नृत्य रण उत्सव की पहचान हर साल बनते हैं। हर साल रण उत्सव दिसंबर से लेकर मार्च तक जारी रहता है। तीन महीने चलने वाला यह उत्सव भुज शहर में शुरू होता है, जो कि समुद्र तट या फिर झील के किनारे आयोजित किया जाता है। जान लें कि रण उत्सव अपने सफेद रंग की रेत के लिए भी लोकप्रिय है। खास तौर पर गुजरात के कच्छ जिले की हजारों साल पुरानी संस्कृति और विरासत से परिचित होते हैं। बता दें कि साल 2006 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रण उत्सव की शुरुआत की। इस उत्सव की सबसे बड़ी खूबी तम्बू शहर है। जहां पर कच्छ के रण के पास एक गांव धोर्डो में एक नया तम्बू शहर बनाया गया है। इसके अलावा गजियो और डांडिया रास के जरिए गुजरात के लोकगीत और नृत्य का आनंद आप ले सकती हैं। साथ ही कच्छी घोड़ी नृत्य रण उत्सव में चार चांद लगा देते हैं।
विंटर कार्निवल
विंटर कार्निवल शिमला और मनाली में मनाया जाता है। जहां पर कला और संस्कृति का संगम देखने को मिलता है। साथ ही कई सारी सांस्कृतिक प्रतियोगिता का भी आयोजन होता है। दिसंबर अंत से शुरू होने वाला यह कार्निवल जनवरी तक जारी रहता है। खासतौर पर कुल्लू की संस्कृति का दृश्य विंटर कार्निवल में देखने को मिलता है। साथ ही कई तरह की झांकियां भी इस विंटर कार्निवल का हिस्सा रहती हैं। कई सारे ऐसे महिला मंडल हैं, जो कि विंटर कार्निवल का हिस्सा बनते हैं। इसके साथ पहाड़ी सांस्कृतिक राज्य की विरासत भी विंटर कार्निवल में देखने को मिलती है।
नागालैंड महोत्सव
दिसंबर के शुरुआती दिनों में नागालैंड महोत्सव का आयोजन किया जाता है। बता दें कि नागालैंड महोत्सव को त्योहारों का महोत्सव भी कहा जाता है। नागालैंड महोत्सव को हॅार्नबिल महोत्सव भी कहा जाता है। बता दें कि यह त्योहार नागालैंड की समृद्ध संस्कृति के साथ वहां की जीवनशैली को भी दिखाता है। साथ ही इस त्योहार में बच्चों के लिए भी कई सारी गतिविधियां होती हैं। खासतौर पर फन गेम और ट्रेकिंग। यह जान लें कि तकरीबन 2300 विदेशी टूरिस्ट के साथ हजारों की संख्या में लोग नागालैंड महोत्सव का हिस्सा बनते हैं। यह भी जान लें कि बीते 25 सालों से यह फेस्टिवल नागालैंड की सभ्यता को जीवित रखता हुआ आ रहा है।
जैसलमेर मरुस्थल महोत्सव
राजस्थान के जैसलमेर शहर में हर साल इस फेस्टिवल का आयोजन होता है। जान लें कि जैसलमेर फेस्टिवल को मरुस्थल महोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। राजस्थान की ठंडी रेत के बीच वहां की संस्कृति से मुलाकात अनोखा अनुभव लेकर आती है। लोक गीत और संगीत के साथ ऊंट मेला और कठपुतली नृत्य इस महोत्सव की शोभा को बढ़ाते हैं। खासतौर पर रंग-बिरंगे परिधानों से सजे हुए ऊंटों को नृत्य करते देखना मरुस्थल महोत्सव को अनोखा बनाता है। साथ ही यहां पर पारंपरिक प्रतियोगिताएं भी होती हैं, जैसे पगड़ी बांधना, नृत्य कला और आदि।
सोनपुर मेला
बिहार की ठंड के बीच सोनपुर मेला का आयोजन दिसंबर में किया जाता है। जान लें कि इसे एशिया का सबसे बड़ा पशुमेला भी माना जाता है। जहां पर कई सारे सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के साथ इसकी शोभा और बढ़ जाती है। स्थानीय लोग इस मेले को छत्तर मेला भी पुकारते हैं। बिहार की परंपरा और कला की प्रदर्शनी भी इस मेले को आकर्षित बनाती है। यहां पर खासतौर पर नौटकी और नाच देखने के लिए हजारों लोगों की भीड़ उमड़ती है।