नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है, जो कि पूरी तरह से शक्ति का स्वरूप हैं। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार चंद्रघंटा असुरों के विनाश के लिए मां दुर्गा के तीसरे रूप में अवतरित हुई थीं। देखा जाए, तो पौराणिक कथाओं की तरह असल जिंदगी में भी महिलाओं ने अपनी शक्ति का परिचय हमेशा दिया है। देश में ऐसी अनगिनत महिलाएं हैं, जो कि कई बार अपनी शक्ति का परिचय दे चुकी हैं। नवरात्रि विशेष में हम उन महिलाओं के बारे में बात करने वाले हैं, जिन्होंने अपनी वीरता से इतिहास रच दिया है और साथ ही समाज के उत्थान में प्रमुख भूमिका निभाई है। आइए जानते हैं विस्तार से उन महिलाओं के बारे में जो कि आजादी के पहले से लेकर बाद तक भिन्न -भिन्न क्षेत्रों में अपनी शक्ति का परिचय दे चुकी हैं।
उषा सावित्रीबाई फुले
भारत की पहली महिला शिक्षिका उषा सावित्रीबाई फुले ने देश को आजादी देने में प्रमुख भूमिका निभाई है। सावित्रीबाई फुले समाज सुधारक भी रही हैं। इसके साथ महिलाओं की शिक्षा, महिलाओं के अधिकार, बाल विवाह और शिशु हत्या को भी लेकर उन्होंने समाज के खिलाफ लड़ाई लड़ी है। उन्होंने एक महिला होकर किस तरह अपने अधिकारों के लिए खड़ा रहा जाता है, इस शक्ति का परिचय दिया है। उन्होंने शिक्षा को अपना हथियार बनाया और महिलाओं को उनके उन अधिकारों से मिलवाया, जिससे उन्होंने खुद को समाज के डर से वंचित रखा।
फ्लाइट लेफ्टिनेंट शिवांगी सिंह
भारत की बेटियों ने सेना में अपना हमेशा से अहम योगदान देकर मिसाल कायम की है। कुछ साल पहले भारतीय वायुसेना के बेड़े में राफेल शामिल हुआ। इस राफेल यानी कि इस लड़ाकू विमान को उड़ाने वाली महिला पायलट बनने का श्रेय शिवांगी सिंह को गया। उन्होंन यह करके दिखा दिया है कि महिलाएं किसी से पीछे नहीं हैं। उल्लेखनीय है कि शिवांगी सिंह मिग-21 को भी उड़ा चुकी हैं।
आईपीएस संजुक्ता पराशर
असम में पोस्टेड महिला आईपीएस संजुक्ता पराशर को लेडी सिंघम के नाम से भी पुकारा जाता है। ज्ञात हो कि संजुक्ता पराशर ने केवल 15 महीनों में 16 एनकाउंटर करके पुलिस विभाग के लिए रिकॉर्ड सेट किया। आईपीएस संजुक्ता पराशर ने अपने शक्ति और जज्बे के दम पर कई पुरस्कार अपने नाम किए हैं।
मीरा बाई चानू
महिला एथलेटिक्स के तौर पर भी भारतीय महिलाओं ने अपना हुनर दिखाया है। इसी फेहरिस्त में मीरा बाई चानू का नाम आता है, जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक में देश के लिए पहला पदक जीता था। इसके बाद उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम में भी अपना शानदार प्रदर्शन किया है। देश की कई महिलाओं के लिए मीराबाई चानू महिला समानता की मिसाल बन गयीं।
अवनी चतुर्वेदी
महज 24 साल की उम्र में अवनी चतुर्वेदी ने मिसाल कायम कर दी है। अवनी चतुर्वेदी ने भारतीय वायु सेना की पायलेट बनकर इतिहास रच दिया है। लड़ाकू विमान उड़ाने में महिलाएं किसी से पीछे नहीं है, यह बात साबित की है रेवा मध्यप्रदेश की अवनी चतुर्वेदी ने। अवनी ने साबित किया है कि देश की रक्षा करने के लिए महिलाएं सीमा से लेकर आसामान तक अपने हथियार के साथ पूरी तरह तैयार रहती हैं।