इसमें दो राय नहीं कि स्वस्थ पर्यावरण, स्वस्थ समाज की नींव है। ऐसे में प्राकृतिक संसाधनों के महत्व को समझते हुए उनका संरक्षण बहुत जरूरी है। तो आइए जानते हैं विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस के अवसर पर इसकी सुरक्षा के साथ इसके संरक्षण और महत्व के बारे में।
हवा, पानी, मिट्टी, खनिज, ईंधन और सूरज की रौशनी, वे प्राकृतिक संसाधन हैं, जिनका इस्तेमाल मानव जाति तब से कर रही है, जब से वो अस्तित्व में आयीं। अगर ये कहें तो गलत नहीं होगा कि ये सारी चीजें मानव जाति के अस्तित्व की नींव हैं। ऐसे में उनका संरक्षण करना हमारी जिम्मेदारी ही नहीं, हमारा कर्तव्य भी है। माना जाता है कि वर्तमान समय में हमारी पृथ्वी पर लगभग 8 अरब लोग रहते हैं, जिनकी संख्या वर्ष 2037 तक 9 अरब हो जाएगी। इतनी भारी मात्रा में किए जा रहे प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग, बीते कुछ वर्षों से इतनी तेजी से किया जा रहा है कि हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। हालांकि प्रकृति के संरक्षण में लगे कुछ संस्थाओं और पर्यावरण विद्वानों ने इसे देखते हुए आशंका जताई है कि इसी तरह प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल किया जाता रहा, तो वह दिन दूर नहीं जब यह सबकुछ खत्म हो जाए। यही वजह है कि देश-दुनिया में अपने-अपने स्तर पर इनके संरक्षण को लेकर जागरूकता अभियान शुरू हो चुके हैं।
प्रकृति संरक्षण की शुरुआत पानी से करें
मानव जीवन के अस्तित्व के लिए प्राकृतिक संसाधनों में सभी का महत्वपूर्ण योगदान है। किसी के भी महत्व को कम या ज्यादा नहीं आंका जा सकता। फिर भी इन सबमें पानी हमारी दिनचर्या के लिए बहुत जरूरी तत्व है। हालांकि कुछ पर्यावरण विद्वानों का ये भी मानना है कि 2050 तक हो सकता है, ये तत्व हमारी पृथ्वी से पूरी तरह समाप्त हो जाए। अत: समझदारी इसी में है कि समय रहते हम इसे बचा लें। लेकिन फिर सवाल उठता है कैसे? पानी बचाने के कई उपाय हैं, जिनमें सबसे पहला उपाय है अपनी छोटी-छोटी जरूरतों के लिए इस्तेमाल होनेवाले पानी का सही इस्तेमाल करना। जैसे कम समय तक नहाएं, शॉवर के नीचे नहाने की बजाय एक बर्तन में निश्चित मात्रा में पानी लेकर नहाएं, दांत साफ करते समय या मुंह धोते समय लगातार नल से पानी लेने की बजाय एक बर्तन में पानी लेकर उसका इस्तेमाल करें। कपड़े और बर्तनों की सफाई के लिए भी नल की बजाय बर्तन में पानी लेकर उन्हें साफ करें। यदि घर का नल खराब है, तो बिना देर किए उसे ठीक करवा लें, जिससे पानी बर्बाद न हो। महानगरों में आम तौर पर नलों के माध्यम से पानी आता है, ऐसे में कहीं पाइप फूटा नजर आए या पानी की बर्बादी नजर आए, तो तुरंत इसकी सूचना उससे संबंधित डिपार्टमेंट या नगर-निगम को दें। इसके साथ सिंचाई के लिए बारिश के पानी का इस्तेमाल करें। खेती के अलावा गांवों, कस्बों और महानगरों में भी रोजमर्रा के इस्तेमाल के लिए रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के द्वारा बारिश के पानी को जमा करने की कोशिश करें, जिससे पूरे वर्ष उस पानी का इस्तेमाल किया जा सके।
ऐसे करें प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण
प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में यदि हर कोई अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं, तो आनेवाले हजार वर्षों तक ये न सिर्फ हमारी पृथ्वी पर मौजूद रहेंगे, बल्कि मानव जाति के कल्याण में अपनी भूमिका भी निभाते रहेंगे। हालांकि इसके लिए जरूरी है इन खास मुद्दों पर अमल करना। पेड़ों की कटाई के साथ जंगलों का विनाश, बाढ़ त्रासदी की सबसे बड़ी वजह बन चुके हैं। ऐसे में मिट्टी के कटाव को कम करने के लिए न सिर्फ पेड़ लगाएं, बल्कि वनों की कटाई को रोकने के लिए कागजों का इस्तेमाल करने की बजाय डिजिटल बनें। ध्यान रखिए पेड़, जलवायु परिवर्तन से निपटने के साथ वन्यजीवों को आवास भी देता है। इसके अलावा अपने मित्रों, परिचितों या किसी संगठन के साथ मिलकर ऐसे आयोजनों का हिंसा बनें, जो समुद्र तटों के साथ नदियों की सफाई पर जोर देते हों। समुद्रों और नदियों के अलावा प्राकृतिक क्षेत्रों से भी कूड़ा-कचरा हटाएं। इससे न सिर्फ वन्य जीवन की सुरक्षा में मदद मिलेगी, बल्कि प्रदूषण को भी रोका जा सकेगा। इसके अलावा, व्यक्तिगत स्तर पर जितना संभव हो इलेक्ट्रिसिटी का इस्तेमाल कम करें। पूरे घर की लाइट जलाकर रखने की बजाय आप जहां बैठी हैं, वहीं की लाइट जलाएं। विशेष रूप से बाहर जाते समय बिजली के जरूरी उपकरण, जैसे फ्रिज को छोड़कर अन्य उपकरणों के साथ घर की सारी लाइटें और पंखें बंद करके जाएं। खेतों और बगीचों में केमिकल युक्त खादों और पेस्टिसाइड्स का उपयोग न करते हुए अपनी खुद की खाद बनाएं। घर और बाहर की सफाई के लिए नॉन-टॉक्सिक चीजों का इस्तेमाल करें। इसके अलावा ‘यूज एंड थ्रो’ वाली संस्कृति को खत्म करते हुए चीजों को रीसायकल करके उनका फिर से उपयोग करें। अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या में भी कुछ बदलाव लाकर आप प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण कर सकती हैं, जैसे कैब की बजाय दोस्तों या ऑफिस कॉलीग्स के साथ कारपूल करें।
प्रकृति संरक्षण दिवस की शुरुआत
विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस की शुरुआत, पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा में चिंतित लोगों द्वारा 1972 में स्टॉकहोम, स्वीडन में मानव पर्यावरण पर आधारित संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में हुआ था। वैश्विक रूप से प्रकृति की रक्षा के महत्व को समझते हुए, उसके प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से पर्यावरणीय कार्रवाई के तहत 28 जुलाई की तिथि तय की गई थी। ये तिथि, धरोहर सम्मेलन की 10वीं वर्षगांठ के साथ मेल खाने के कारण रखी गई थी, जिसमें प्राकृतिक आश्चर्यों को संरक्षित करने के महत्व पर जोर दिया गया था। विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस के लिए आयोजित इस सम्मेलन में न सिर्फ मानव जीवन के लिए अति महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों के महत्व पर बात की गई थी, बल्कि इसे संरक्षित न करने से होनेवाले प्राकृतिक खतरों जैसे जलवायु परिवर्तन, आवास हानि, प्रदूषण और जैव विविधता हानि पर भी प्रकाश डाला गया था। इसी के साथ ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की धारणा को अमल करते हुए सभी देशों और उनके देशवासियों से ये अपील की गई थी कि वे प्रकृति की रक्षा के महत्व के बारे में लोगों को शिक्षित करते हुए जागरूकता फैलाएं। साथ ही सरकार और संगठन पर्यावरण की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाएं।
क्या करें
आम तौर पर विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस के अवसर पर दुनिया भर में प्रकृति संरक्षण में लगे संगठन विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करते हैं। इन आयोजनों में मुख्य रूप से कार्यशालाओं के माध्यम से आम जनता को प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के बारे में बताया जाता है। यदि आप इन कार्यशालाओं का हिस्सा नहीं बन पा रही हैं, तो व्यक्तिगत स्तर पर भी आप अपने घर, समुदाय, बच्चों, दोस्तों और अपने आस-पास के लोगों के बीच इस मुद्दे पर बात करके उन्हें जागरूक कर सकती हैं। विशेष रूप से अपने छोटे बच्चो को प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण का महत्व बताते हुए उन्हें पर्यावरण से जुड़ीं ऐसी लघु फिल्में या डॉक्यूमेंट्री दिखाएं, जिससे उनका बाल मन भी जागरूक हो। लघु फिल्मों या डॉक्यूमेंट्री के साथ आप उन्हें रात को सोते समय कहानियां सुनाने की बजाय ऐसे प्रसिद्ध प्रकृति संरक्षणविदों के बारे में भी बता सकती हैं, जिन्होंने अपना पूरा जीवन प्रकृति के नाम कर दिया।
फर्क पड़ता है
हर काम, वह चाहे कितना भी छोटा क्यों न हो, फर्क ला सकता है और ये बात शत-प्रतिशत सच है। आपने स्वयं इसका अनुभव कई बार किया होगा। ऐसे में विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस के महत्व को समझते हुए अपनी छोटी-छोटी कोशिशों के माध्यम से पूरे वर्ष काम करके आप अपने लिए ही नहीं, अपने चाहनेवालों के लिए भी एक स्वस्थ और समृद्ध पृथ्वी का निर्माण कर सकती हैं।