पिछले कुछ समय की बात करें, तो हिंदी सिनेमा, विश्व सिनेमा और वेब्सीरीज के फलख में महिलाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज की है और महिलाओं से जुड़े मुद्दे खुल कर सामने आये हैं। तो कुछ महिला कलाकारों और रचनाकारों ने भी अपनी अलग पहचान स्थापित किये हैं। आइए एक नजर जानते हैं इनके बारे में विस्तार से।
लापता लेडीज
'लापता लेडीज' को रिलीज हुए अभी अधिक समय नहीं हुआ है, लेकिन इस फिल्म ने एक अद्भुत पहचान बना ली है। इस फिल्म की खूबी यह है कि आम महिलाओं की खास कहानी कहता है, जहां फिल्म की किरदार मंजू माई बताती हैं कि लड़कियों को क्यों पढ़ना-लिखना जरूरी है, क्यों शादी करने से पहले उन्हें सोचना चाहिए और हर हाल में खुद को आत्म-निर्भर बनाना जरूरी होता है। साथ ही एक महिला किस तरह अपने सपनों को उड़ान देने के लिए कुछ कदम उठाती है। यह फिल्म यह भी दर्शाती है कि एक महिला को पुरुषों की जरूरत नहीं, अगर वह खुद करना चाहती है और किसी भी हाल में किसी भी पुरुष को आपके साथ बदसलूकी करने का हक नहीं, न ही आप पर हाथ उठाने का हक है। एक परिवार में किस तरह महिलाएं अपने घर के पुरुषों का ख्याल रखते हुए भूल जाती हैं कि उनकी पसंद-नापसंद भी मायने रखती है। साथ ही घर-परिवार की दो महिलाएं क्या आपस में दोस्त भी बन सकती हैं या नहीं, यह सबकुछ बहुत ही बारीकी से इस फिल्म में दर्शाया गया है और पूरी ईमानदारी के साथ, इसलिए यह फिल्म एक जरूरी फिल्म बन जाती है।
शर्मा जी की बेटी
हाल ही में 'शर्मा जी की बेटी' फिल्म रिलीज हुई है, जिसे काफी खास माना जा रहा है। इस फिल्म में एक ही सरनेम की तीन महिलाओं की कहानियों को दर्शाया गया है, तीनों की कहानियां आधुनिक, मध्यवर्गीय महिला अनुभव और शहरी महिलाओं के जीवन के बारे में में दिखाई गई है और यह एक महिला प्रधान फिल्म है, जिसमें कई पहलुओं को छुआ गया है।
पटना शुक्ला
'पटना शुक्ला' की कहानी एक ऐसी महिला की कहानी है, जो पटना की निचली अदालत में वकील तन्वी शुक्ला ही और वह बचपन से वकील बनने का ही सपना देखती है और कैसे अपने इस सपने को पूरा करते हुए कई महिलाओं की कहानी सामने दिखाई है और आम महिलाओं के जीवन को भली भांति प्रभावित किया है। इस फिल्म ने भी काफी लोकप्रियता हासिल की है।
उलोझूको
'उलोझूको' एक महिला प्रधान फिल्म है, जिसमें दो महिला किरदारों ने ही अहम भूमिका निभाई है, फिल्म में पारिवारिक कॉम्पलेक्सिटीज और जरूरी बातों और उलझनों को सुलझाने में एक महिला क्या भूमिका निभाती है, इस पर विस्तार से बताया गया है।
कान फिल्मोत्सव में भारतीय अभिनेत्री और रचनाकार का जलवा
‘ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट’ पहली भारतीय फिल्म है, जिसे पायल कपाड़िया ने निर्देशित किया है। और इस फेस्टिवल में 'ग्रैंड प्रिक्स' अवॉर्ड जीता है। बता दें कि 'ग्रांड प्रिक्स पाल्मे डी' अवॉर्ड फिल्म फेस्टिवल का दूसरा सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार है। इस फिल्म की सबसे खास बात यह है कि यह एक महिला प्रधान फिल्म है। मुख्य अभिनेत्रियों की बात करें तो कानी कुश्रुति, दिव्या प्रभा और छाया कदम प्रमुख भूमिकाओं में से हैं, इसी फिल्मोत्सव में बुल्गारिया के निर्देशक कॉन्स्टांटिन बोजानोव की हिंदी भाषी फिल्म ‘द शेमलेस’ के प्रमुख कलाकारों में से एक अनसूया सेनगुप्ता को भी वर्ष 2024 के कान फिल्म महोत्सव में ‘अन सर्टेन रिगार्ड’ श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीतकर इतिहास रचा।