मां आपकी पहली स्कूल होती है, ऐसे में हम कई बार मां के जज्बातों की और उनकी सिखाई हुई कला की अनदेखी कर देते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि हम अपनी मां से कई सीख और धरोहर ले सकते हैं। आइए जानें विस्तार से।
आदर और सत्कार
मां वो होती हैं, जो हमें बचपन से ही संस्कारी बनाना चाहती हैं और इसके लिए वह हमें हमेशा सिखाती हैं कि हम बड़े बुजुर्गों का पूर्ण रूप से सम्मान करें। उन्हें आदर दें, आदर कभी भी जबरदस्ती से नहीं आती है, आपको इसके लिए सही तरीके से सम्मान देने की सीख अपने अंदर से लाने की कोशिश करनी चाहिए। इसलिए आदर और सत्कार को बरकरार रखने की पहली सीढ़ी हमें अपनी मां के कंधे पर चढ़ कर ही पार करनी चाहिए।
बचत करने की कला
हम इस बात को भी भले ही नजरअंदाज कर देते हों, लेकिन सच्चाई यह है कि बचत करने की कला हम में से हर किसी में होनी ही चाहिए और इस कला में पारंगत होना भी हम अपनी मां से ही सीखते हैं या सीख सकते हैं और इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि मां अगर हमेशा से बचत करके चलती हैं, तो बच्चों को भी ये बातें अच्छे से नजर आती हैं, वे अपने बच्चों को बचपन से ही यह सिखाने की कोशिश करना चाहेंगी कि वे भी बचत करें, ताकि कभी बुरे दिन में या बुरे दौर में उन्हें आर्थिक रूप से किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े। इसलिए मां, जैसे कभी चावल के डिब्बे या छोटी-सी चुकिया या पिगी बैंक में पैसे छुपा कर बचत किया करती थीं, वैसे ही कम उम्र से ही आपको भी बचत करने के बारे में बच्चे सोचा करेंगे और यह गुण वे अपने अगले जेनरेशन को भी दे सकते हैं और दिया ही जाना चाहिए, ताकि वे फिजूलखर्ची से दूर रहें।
कभी उधार नहीं लेना
एक बच्चा अगर बचपन से ही यह देखता है कि उसकी मां की आदत अपने दम पर ही जीने की है, तो वह कभी भी उधार नहीं लेती है, तो बच्चे में यह गुण खुद ब खुद आ जाते हैं और वह उधार लेने की जो प्रवृति है, उसे बरकरार रखने की कोशिश नहीं करता है, इसलिए कभी भी कुछ भी हो जाए, उधार लेकर काम करने की आदत कभी खुद में या बच्चों को नहीं सिखाने की कोशिश करनी चाहिए। जीवन में यह नैतिक मूल्य बच्चों में भी डालने की पूरी कोशिश की जायेगी। इसलिए इस गुण से तो अपने बच्चे को जरूर अवगत कराने की कोशिश करनी चाहिए।
दूसरों की मदद करना
दूसरों की मदद करना, यानी दयालु बनना एक ऐसी परम्परा है, जो हमेशा ही अपने बच्चे को सिखाना ही चाहिए, दूसरों के मदद के लिए हमेशा ही तैयार और तत्पर रहने की कोशिश करना जरूरी होता है। ये अच्छे संस्कार का ही हिस्सा होता है कि आपके बच्चे हमेशा दूसरों की मदद करें और भविष्य में जब नयी जेनेरेशन हों, तो उन्हें भी आपके बच्चे सीख दें। एक मां से बच्चे जरूर यह सीख ले सकते हैं।
ईमानदारी
चाहे जो हो जाए, ईमानदारी एक ऐसा गहना है, जिसे कभी भी खोना नहीं चाहिए, चाहे कितनी भी कठिन परीक्षा क्यों न हों, कठिन परिस्थिति क्यों न हो जाए, लेकिन ईमानदारी से जीना बेहद जरूरी है। नहीं तो जीवन में किसी भी लक्ष्य तक पहुंच पाना आसान नहीं है। इसलिए ईमानदारी से जीना भी बेहद जरूरी है। इसलिए हर मां से बच्चे को यह सीख तो लेनी ही चाहिए कि ईमानदारी से जिया जाए और किसी के साथ भी बेईमानी नहीं की जाए।
छोटों को प्यार और सम्मान
छोटों को प्यार और सम्मान देना भी अपने आप में एक ऐसी कला है, जिससे आपको यह बात समझ में आती है कि अपने छोटों के साथ किस तरह आपको बर्ताव रखना है, क्योंकि अपने छोटों को प्यार दिखा कर ही आप एक मान-सम्मान वाली स्थिति में पहुंच सकते हैं, आप अगर भविष्य में अपने छोटों से प्यार करना और उनकी चीजों को समझने की कोशिश करेंगी, तभी वह आपके साथ अच्छे से बर्ताव करेंगे। साथ ही जीवन में आगे बढ़ने और किसी भी तरह का मन में द्वेष में रखने की कोशिश नहीं करेंगे।
मां की डायरियां
अब बात जब मूल्यों की हो चुकी है, तो आपके लिए यह भी जानना जरूरी है कि मां से जुड़ीं ऐसी भी कई चीजें होती हैं, जिन्हें सहेज कर रखना अच्छा है, जैसे अगर आपकी मां को डायरी लिखने की आदत है, तो उन्हें सहेजें, इससे आप मां के नहीं रहने पर भी मां की बातों को दिल से समझ पाएंगी और उनके अच्छे गुणों को अपनी नयी जेनेरेशन तक पहुंचा सकती हैं।
मां की कुछ रेसिपीज
मां अपनी कुछ खास रेसिपीज को संजो कर रखती हैं, हर मां की क्वालिटी होती है कि वे अपनी मां से जो सीख कर आती हैं और फिर जब अपनी घर गृहस्थी को संभालती हैं, तो उन रेसिपीज को अपनाना अच्छा होता है, उन्हें बनाने के बारे में आपको सोचना चाहिए, क्योंकि हर मां की सीक्रेट रेसिपीज होती हैं और वे चाहती हैं कि उनके बच्चे उस स्वाद को जरूर चखें। इसलिए उनकी यही कोशिश होती है कि मां की रेसिपीज को संजोएं, तो आपको भी कोशिश करनी चाहिए कि आप अपनी मां की रसोई को एक धरोहर के रूप में संजो कर रखें और अपनी नयी जेनेरेशन या नयी पीढ़ी से भी अवगत कराएं, तभी आप एक मां के प्यार के साथ न्याय कर पाएंगी।
मां की साड़ियां और कपड़े
मां की साड़ियां और कपड़े भी काफी अहम और बेशकीमती होते हैं, जिनका आप कभी भी मूल्य तक नहीं कर सकते, इसलिए मां के सम्मान में उनके कपड़ों के माध्यम से भी आपको उनसे जुड़े रहने की कोशिश करनी चाहिए और फिर उनका इस्तेमाल करना चाहिए, चाहें तो उन्हें कुछ ट्विस्ट दें, लेकिन सम्मान के साथ रखें। मां की ज्वेलरी को भी धरोहर के रूप में सहेजना चाहिए, उन्हें ओल्ड फैशन और न्यू फैशन के चक्कर में कभी भी पुराना समझ नहीं लेना चाहिए, न ही उसका अपमान करना चाहिए, क्योंकि ये चीजें कभी भी लौट के नहीं आती।
मां के बर्तन
हर मां शादी में अपनी बेटियों को बर्तन देती हैं, ताकि उनकी गृहस्थी अच्छे से चले, तो उन बर्तनों से भी आपको एक प्यार एक जुड़ाव महसूस करना चाहिए। उन्हें कबाड़ वालों को बेचने के बारे में कभी भी नहीं सोचना चाहिए, बल्कि उन बर्तनों का सम्मान करना चाहिए और उन्हें धरोहर के रूप में रखना चाहिए।