‘मदद’ एक ऐसी प्रक्रिया है, जो न सिर्फ इंसान को इंसान से जोड़ती है, बल्कि अपने अंदर छुपी इंसानियत से भी हमें रूबरू करवाती है। आज सोशल मीडिया के दौर में जब पूरा विश्व एक परिवार बन चुका है, तो आप भी इसके जरिए लोगों तक मदद का हाथ बढ़ा सकती हैं। आइए जानते हैं कैसे?
जहां चाह, वहां राह
पूरे विश्व की आधी से ज्यादा आबादी इंटरनेट का उपयोग करती है, और लगभग उतने ही लोग किसी न किसी तरह से उसके जरिए सोशल मीडिया से जुड़े हैं। इनमें से कई तो ऐसे होंगे जो दिन भर सोशल मीडिया पर लाइक्स, कमेंट्स और रिपोर्ट्स के चक्रव्यूह में उलझे रहते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो इनकी बजाय सोशल मीडिया का उपयोग किसी की तरफ मदद का हाथ बढ़ाने के लिए करते हैं। मदद का हाथ बढ़ाकर, वे न सिर्फ लोगों की जिंदगियों को रोशन करते हैं, बल्कि दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करते हैं। यदि आप भी समाज में सकारात्मक बदलाव लाना चाहती हैं, तो सोशल मीडिया का उपयोग करते हुए आप भी एक बहुत बड़े वर्ग तक अपनी पहुंच बना सकती हैं।
सहज, सरल और सुलभ हो गया है संपर्क बनाना
एक दौर था जब अपनी बात पहुंचाने या लोगों तक अपनी पहुंच बनाने के लिए अखबारों, रेडियो, टेलीविजन या अन्य प्रचार माध्यमों का उपयोग किया जाता था, लेकिन आज सोशल मीडिया ने इन सभी को परास्त करते हुए अपनी गहरी पैठ जनमानस में बना ली है। पहले जहां समाजसेवी संथाओं या उनसे जुड़े लोगों तक पहुंचना एक मुश्किल चुनौती होती थी, वहीं यह डर भी बना रहता था कि मदद के नाम पर हम जो पैसे दे रहे हैं, वो सही हाथों में जा रहे हैं या नहीं। हालांकि आज सोशल मीडिया के जरिए समाजसेवी संस्थाओं तक पहुंचना न सिर्फ आसान हो गया है, बल्कि हम ये भी जानते हैं कि हमारी मदद सही हाथों में जा रही है। साफ शब्दों में कहें तो सब कुछ पारदर्शी हो गया है। इसके अलावा अपनी विचारधारा के लोगों को ढूंढना और उनसे संपर्क बनाए रखना, अब काफी आसान हो गया है।
दरवाजे-दरवाजे जाने की जरूरत नहीं
क्राउड फंडिंग या फंडिंग के जरिए लोगों के ऐसे कई काम हैं, जो आसान हो चुके हैं और इन सबका श्रेय सोशल मीडिया को जाता है। आम तौर पर संस्थाओं या व्यक्ति विशेष, जो समाज हित में काम कर रहा है, के लिए अब आर्थिक मदद की राह काफी आसान हो गई है। साथ ही बैंक द्वारा जारी बार कोड के जरिए डिजिटल पेमेंट से फंडिंग की राह आसान हो गई है। अब न दरवाजे-दरवाजे जाकर लोगों के घरों की घंटियां बजाने की जरूरत है, न बिना मतलब की बातें सुनने की। इसके अलावा यहां आप वहीं साझा कर सकती हैं, जो आप करना चाहती हैं। सोशल मीडिया पर मौजूद एक ही विचारधारा के लोग ही नहीं, संस्थाएं भी आपस में जुड़ती है। इससे न सिर्फ उनका कैनवास बड़ा होता है, बल्कि लोगों का भरोसा जीतने में भी ये उनकी मदद करता है।
प्रभावशाली पोस्ट के साथ प्रेरणादायी वीडियो से मिलता है बल
आम तौर पर लोग ऐसी चीजों पर विश्वास करते हैं, जिसके साथ उनकी विश्वसनीयता जुड़ी हो। विशेष रूप से आंकड़े और तथ्य लोगों को आकर्षित करते हैं, जिनसे वे अब तक अनजान थे। सोशल मीडिया के जरिए वास्तविक संस्थाएं, इंफोग्राफ, चार्ट और अन्य तरीकों से आंकड़े और तथ्य प्रस्तुत करके लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाते हैं। प्रभावी पोस्ट के जरिए वे अपना उद्देश्य साझा करते हुए अधिक से अधिक लोगों से जुड़ते हैं। सिर्फ यही नहीं प्रभावशाली पोस्ट के साथ, वे अपने द्वारा मदद किए उन लोगों की कहानियां और अनुभव, वीडियोज के माध्यम से शेयर कर लोगों तक पहुंचाते हैं। इससे न सिर्फ उनके उद्देश्यों को बल मिलता है, बल्कि दूसरों को भी बेहतर काम करने की प्रेरणा मिलती है। ऐसी कई तस्वीरें, वीडियोज और कहानियां आपने भी पढ़ी होंगी, जिनसे आपको प्रेरणा मिली होगी। अगर आपके पास भी अपनी ऐसी कोई कहानी होगी, तो आप भी अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए सोशल मीडिया का उपयोग कर सकती हैं।
आपके कामों का सही और विस्तृत ब्यौरा देता है
आम तौर पर किसी भी कार्यक्रम को करना न सिर्फ आर्थिक, बल्कि मानसिक और शारीरिक दृष्टि से भी काफी खर्चीला होता है। उसमें भी यदि उसका प्रचार और प्रसार जुड़ जाए, तो मामला और गंभीर हो जाता है, लेकिन सोशल मीडिया ने इस काम को बहुत आसान कर दिया है। विशेष लिंक का निर्माण करके न सिर्फ आप अपने कार्यक्रम के लिए अधिक से अधिक लोगों को आमंत्रित कर सकती हैं, बल्कि उनके आने या न आने का आकलन भी कर सकती हैं। सोशल मीडिया कम समय में ज्यादा काम की गारंटी ही नहीं देता, वो काम को बेहतर तरीके से अंजाम देने की सुविधा भी देता है। आप अपने प्रशंसकों और अनुयायियों के साथ अन्य लोगों को भी बता सकती हैं कि आप या आपका संगठन, सामजिक हित में क्या और कैसे काम कर रहा है। इसके अलावा आप अपना कॉल टू एक्शन कभी भी, कहीं भी और कितनी बार भी डाल सकती हैं, वो भी नि:शुल्क।
वरदान हैं सोशल मीडिया दोस्त और फॉलोअर
आम तौर पर सोशल मीडिया पर दोस्तों की अच्छी तादाद होती है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि जरूरत के वक्त इनमें से कोई दोस्त काम नहीं आता। हालांकि ये बात बिल्कुल बेबुनियाद है, क्योंकि सोशल मीडिया के जरिए यदि आप अपने अच्छे कामों को लोगों तक पहुंचाना चाहती हैं, या उनकी मदद करना चाहती हैं, तो इसमें आपके दोस्त और फॉलोअर बहुत बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। हां, इससे पहले आपको अपने अंदर दुनिया को बेहतर करने का भाव लाना पड़ेगा। आप जिस तरह की दुनिया चाहती हैं, वैसी दुनिया का निर्माण कर सकती हैं। जैसा कि हमने ऊपर बताया, सोशल मीडिया के दौर में अपनी तरह के लोगों को ढूंढना कतई मुश्किल नहीं है। सोशल मीडिया का दायरा इतना बड़ा और विस्तृत है कि आप अपनी बात दूसरों तक आसानी से पहुंचा सकती हैं। दूसरों के लिए मदद का हाथ बढ़ाने के साथ-साथ उनके लिए सामाजिक न्याय के मुद्दों के साथ खड़ी होना चाहती हैं, तो सोशल मीडिया एक बेहतर माध्यम है। सामजिक और आर्थिक तत्वों को हटा दें तो मानसिक रूप से स्वस्थ रहने और अपनों को स्वस्थ रखने का भी ये एक अच्छा माध्यम है। बरसों से बिछड़े दोस्तों को एक पल में मिलाने और उदास दोस्तों को अगले पल ठहाके लगवाने पर मजबूर करने में सोशल मीडिया ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है।
सकारात्मक संदेशों का हिस्सा बनें
सिर्फ अपने लिए ही नहीं, आप चाहें तो अपने दोस्तों, परिचितों, रिश्तेदारों या परिवार के लोगों का मनोबल भी बढ़ा सकती हैं। उनके अच्छे कामों को अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए प्रमोट कर, आप उनके साथ और भी कई लोगों को प्रेरित कर सकती हैं। सकारात्मक संदेशों को बढ़ाने और उनका प्रचार प्रसार करने में भी सोशल मीडिया बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। लोगों की प्रेरित करनेवाली कहानियों के अलावा आप उन समाजसेवी संस्थाओं के बारे में भी बता सकती हैं, जिन पर आपका विश्वास है। आप लोगों के साथ उनकी कहानियां शेयर कर अन्य लोगों को न सिर्फ उनके बारे में जानकारी दे सकती हैं, बल्कि उससे अन्य लोगों के मन में भी उनके प्रति विश्वास कायम कर सकती हैं। इससे न सिर्फ नए समाजसेवियों को बल मिलेगा, बल्कि नए दानकर्ता भी अस्तित्व में आएंगे।