भारत की खूबसूरती यहां की माटी की खुशबू में व्याप्त संस्कृति और सभ्यता में मिलती है। खूबसूरत नजारों के बीच भारत अपनी एक अलग छाप लोगों पर छोड़ती है। अपने देश की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह एक तरह से विविधताओं में समाहित देश है। जाहिर सी बात है कि इसी वजह से एक शहर से दूसरा शहर भी भिन्न है। भारत का हर एक राज्य एक दूसरे से अलग और खूबसूरत है। भारत में कई ऐसी जगहें मौजूद हैं, जो कि अपनी अनोखी सभ्यता और नाम को लेकर लोकप्रिय है। आपको बता दें कि यही वजह है कि भारत में ऐसी दो जगहें हैं, जिसकी खूबसूरती ने उस जगह को मिनी तिब्बत बना दिया है। आइए जानते हैं विस्तार से।
कहां है मिनी तिब्बत
ओडिशा अपने आप में खूबसूरत राज्य हैं, लेकिन इसी ओडिशा ने अपनी अंदर मिनी तिब्बत को बसा कर रखा है। भारत के ओडिशा राज्य के खूबसूरत शहर चंद्रगिरि को मिनी तिब्बत के नाम से लोकप्रियता मिली है। चंद्रगिरि ओडिशा के गजपिते जिले में मौजूद है। कई लोग इस शहर को जिरांग के नाम से भी पहचानते हैं। इस जगह को मिनी तिब्बत कहे जाने की वजह यह भी है कि यहां पर रहने वाली आधी से अधिक आबादी तिब्बतियों की है। इस वजह से चंद्रगिरि की सभ्यता और संस्कृति में तिब्बतियों का रंग वहां की बोली,परिवेश और खान। इसी वजह से जब भी आप चंद्रगिरि आते हैं, तो आपको महसूस होता है कि आप मिनी तिब्बत में आए हैं।
सैलानियों को करती है आकर्षित
इसे ओडिशा के पांच ऑफबीट पर्यटन स्थल के तौर पर भी पहचान मिली है। तिब्बती लोगों के रहने के कारण चंद्रगिरि को पूरे ओडिशा में लोकप्रिय पर्यटन स्थल के तौर पर माना जाता है। यहां तक कि चंद्रगिरि की हरियाली भी सैलानियों को काफी आकर्षित करती रहती है। साथ ही इस मिनी तिब्बत में लोग शांति के लिए भी आते हैं। यहां पर हरियाली के बीच शांति मिलती है, जो कि सैलानियों को काफी आकर्षित करती है। इसके साथ अद्भुत पहाड़ी ढलानों के साथ बहती नदियां भी इस जगह को समृद्ध बनाती हैं। साल 1959 के दौरान से हजारों तिब्बती लोगों द्वारा आबाद भी है। उल्लेखनीय है कि 11वीं शताब्दी में बने इस ऐतिहासिक किले और उसके अंदर मौजूद राजा का किला भी काफी लोकप्रिय है। आपको बता दें कि यह किला शैव और वैष्णव देवताओं के आठ खंडहर मंदिरों, राजा महल, रानी महल और अन्य तरह के खंडहर संरचनाओं से घिरा हुआ है। यह भी जान लें कि राजा महल पैलेस एक पुरातात्विक संग्रहालय है।
चंद्रगिरि में मौजूद यह सारी जगह
चंद्रगिरि एक बेहद खूबसूरत और आकर्षित राज्यों में से एक मानी गई है। यहां पर खूबसूरत तट और ऐतिहासिक मंदिर और पर्यटन स्थल ओडिशा की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं। यहां पर जगन्नाथ पुरी मंदिर, कोणार्क सूर्य मंदिर और चिल्का झील के साथ खंडगिरि की गुफाएं भी देखने को मिलती हैं। धार्मिक जगहों को एक्सप्लोर करने का शौक रखने वाले लोगों को मिनी तिब्बत काफी पसंद आने वाला है। इसकी वजह यह भी है कि यहां पर ऐतिहासिक बौद्ध मठ भी मौजूद है और इसके साथ ही 23 फीट ऊंची भगवान बुद्ध की कांस्य से बनी प्रतिमा भी यहां पर स्थापित की गई है। वहीं, चंद्रगिरि में कई सारे पर्यटन स्थलों के साथ यहां पर महेंद्र गिरी पर्वत भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। महेंद्रगिरी पर्वत को ओडिशा की दूसरी सबसे बड़ी चोटी भी माना जाता है। दिलचस्प है कि महेंद्र गिरी पर्वत पर कई सारी प्राचीन और विलुप्त प्रजाति के औषधीय पौधों को भी अधिक मात्रा में पाया जाता है। यहां के लगभग हर दीवार पर भगवान बुद्ध का कोई न कोई चित्र जरूर मिलता है।
भारत में एक नहीं कई सारे मिनी तिब्बत
पहले जहां भारत में केवल एक या दो जगहों को मिनी तिब्बत माना जाता था, वहीं अब कई ऐसै राज्य हैं, जो कि अपनी खूबसूरती के कारण मिनी तिब्बत होने का खिताब पाते हैं। इसी में से एक है, हिमाचल प्रदेश में मौजूद मैकलॉडगंज, जो कि एक बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन कहलाता है। आपको बता दें कि बहुत कम लोग इसे मिनी तिब्बत मानते हैं, हालांकि अभी तक इसे मिनी तिब्बत होने की लोकप्रियता नहीं मिली है, लेकिन मिनी तिब्बत कहलाने को लेकर मैकलोडगंज का काफी प्रचार और प्रसार किया जा रहा है। इसके पीछे भी खास वजह है। क्योंकि यहां पर तिब्बत संस्कृति की खास झलक दिखाई देती है। इसकी वजह यह भी है कि यहां पर लाखों की गिनती में तिब्बत संस्कृति को मानने वाले लोग मिल जायेंगे। यहां पर भी प्रकृति की गोद में प्रकृति की सुंदरता देखते ही बनती है और यही वजह है कि सैलानियों के लिए यह जगह मिनी तिब्बत बन जाती है। यहां पर कई सारी ऐसी जगहें मौजूद हैं, जो कि तिब्बत संस्कृति और सभ्यता से आपका परिचय करवाती हैं। दूसरी तरफ उत्तराखंड में भी एक मिनी तिब्बत मौजूद है। देखा जाए, तो उत्तराखंड अपने आप में बहुत ही खूबसूरत है, लेकिन मसूरी में भी मिनी तिब्बत की झलक दिखाई देती है। मसूरी के नाम से आप जरूर अवगत होंगे, क्योंकि हिल स्टेशन के तौर पर इसकी लोकप्रियता काफी है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि मसूरी को भी मिनी तिब्बत के नाम से पहचाना जाने लगा है। ज्ञात हो कि मसूरी बस स्टैंड से कुछ किलोमीटर की दूरी पर तिब्बती समुदाय के लोगों ने अपनी दुनिया बनाई है। मसूरी में जहां पर तिब्बती लोग रहते हैं, उस जगह को हैप्पी वैली के नाम से भी पहचान मिली है। इस जगह में भी तिब्बती लोगों के खान-पान और उनकी सभ्यता के रंग दिखाई देते हैं।
लद्दाख और छत्तीसगढ़ का मिनी तिब्बत
लद्दाख एक ऐसी जगह है, जहां पर कई सालों से लोगों के बीच यह प्रचलित है कि यह अपनी खूबसूरती के कारण मिनी तिब्बत है। इसकी वजह यही है कि यहां पर खान-पान, सभ्यता और संस्कृति से लेकर बोलचाल की भाषा तक तिब्बत से लाई हुई लगती है। लद्दाख की माटी में तिब्बत की खुशबू को आप वहां मौजूद लोगों की संस्कृति में देख आप मोहित हो जायेंगी। लद्दाख में कई सारे प्राचीन और लोकप्रिय जगहों के साथ कई सारी ऐसी जगहें भी मिल जायेंगी जहां पर बौद्ध धर्म के कई सारे निशान दिखाई देंगे। लद्दाख में कई सारे ऐसे प्राचीन मठ मिल जायेंगे जो कि पौराणिक काल से बौद्ध धर्म से जुड़े हुए हैं। कई विदेशी पर्य़टक के लिए मठ आना त तिब्बत की संस्कृति से जुड़ाव करने का एक जरिया होने के साथ तिब्बत की सभ्यता से मुलाकात करने का एक रास्ता भी है। इसी वजह से कई विदेशी पर्यटक छोटे तिब्बत को एक्सप्लोर करने के लिए पहुंचते हैं। भगवान गौतन बुद्ध की तिब्बती संस्कृति का प्रतीक माने जाते रहे हैं। लद्दाख में हेमिस मठ, दुग्पा कारग्युटपा और थिकसे लोकप्रिय तिब्बत मठ माने गए हैं। अब बात करते हैं, छत्तीसगढ़ के मिनी तिब्बत की। बता दें कि छत्तीसगढ़ में मौजूद मैनपाट को मिनी तिब्बत के नाम से पहचान मिली है। अगर आप यहां आती हैं, तो हर तरफ केवल तिब्बती लोग और उनसे जुड़ी संस्कृति मिलेगी। यहां पर एक स्थान पर तिब्बती मठ और तिब्बत कैंप भी मौजूद है, जिसे सैलानी आकर एक्सप्लोर कर सकते हैं। दूसरी तरफ इस जगह को मिनी तिब्बत के साथ मिनी शिमला भी कहा जाता है।