दिलों को रौनक से भर देती है दिवाली, पूरा भारत देश जिस तरह से जगमगाता है, वह छवि साल में साल में एक बार देखने को मिलती है। भारत की संस्कृति की यह खासियत भी है कि यहां एक ही पर्व को अलग-अलग अंदाज में मनाया जाता है, दिवाली भी उनमें से एक हैं। तो आइए जानें, दिवाली की रौनक भारत के किस कोने में किस रूप में आती हैं।
काली पूजा
दिवाली का त्योहार, मां काली की पूजा आराधना का भी समय होता है। भारत में पश्चिम बंगाल में खासतौर से काली पूजा मनाई जाती है। इसके अलावा, ओड़िशा और असम में भी इस पूजा को खासतौर पर मनाया जाता है। मां की पूजा अमावस्या तिथि में की जाती है और फिर मां का भोग लगाया जाता है, कई पर पंडाल बनाया जाता है।
दियरी पूजा
दियरी पूजा भी एक खास पूजा है, जिसे छत्तीसगढ़ में आदिवासी मनाते हैं। वे दिवाली को इसी रूप में मनाना पसंद करते हैं। इस त्योहार में भगवान नारायण की मूर्ति के साथ खेतों में फसलों के औपचारिक विवाह के साथ होती है। उत्सव के पहले दिन आदिवासी गांव बस्तर में पशुपालकों को शराब से सम्मानित किया जाता है, खास बात यह है कि दिवाली को एक दिन नहीं, बल्कि तीन दिनों तक मनाया जाता है। लोग पूरे माहौल में खुशनुमा माहौल रखते हैं, जानवरों को फूलों से सजाया जाता है और इसके साथ गाने-बजाने के साथ फसल की देवी लक्ष्मी पूजा जाता है।
गुरु नानक पूजा
पंजाब में दिवाली धूमधाम से मनाई जाती है। अयोध्या और कई जगहों पर दिवाली का उत्सव भगवान राम के आगमन की खुशी में मनाया जाता है। वही, पंजाब में भी इस पर्व को गुरु नानक के वापस आने की खुशी के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। दरअसल, इतिहास के जानकारों के मुताबिक गुरु की बढ़ती लोकप्रियत के डर से सम्राट जहांगीर ने छठे गुरु नानक को कैद कर लिया था, फिर हिंदू कैलेंडर के अनुसार दिवाली के त्योहार से उनकी रिहाई का दिन मेल खाता है, इसलिए इस दिन रौशनी, दावत और आतिशबाजी की जाती है।
गोवा में भी होती है खास दिवाली
गोवा में इस पर्व को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। नरक चतुर्दशी को लेकर मान्यता है कि नरकासुर नाम के एक राक्षस ने देवताओं को परेशान कर रखा था, ऐसे में नरकासुर ने 16 हजार कन्याओं को बंधक बना लिया था, सो सभी भगवन इस दौरान काफी दुखी थे, तो सभी ने भगवान कृष्ण से गुहार लगायी और फिर भगवान श्रीकृष्ण ने सभी देवताओं की पीड़ा सुनकर उनकी मदद करने का फैसला लिया। तो इस दौरान पूरे गोवा में पटाखे फोड़े जाते हैं और जम कर एन्जॉय किया जाता है। इस दिन को भगवान कृष्ण की पूजा के रूप में मनाया जाता है।
देव दिवाली
हालांकि देव दिवाली ठीक दिवाली के दिन नहीं मनाई जाती है, लेकिन दिवाली के बाद जब कार्तिक पूर्णिमा आती है, उस दिन देव दिवाली मनाई जाती है और वाराणसी में इसे खासतौर से मनाते हैं, जिसे देखने पूरे विश्व से लोग आते हैं। देव दिवाली को लेकर मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार भी लिया था। फिर इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध करके देवताओं को उनका स्वर्ग वापस दिलाया था, इस खुशी में पूरे देवलोक में यह दिन खासतौर से मनाया जाता है।
अयोध्या में दिवाली
अयोध्या में दिवाली के अवसर पर भगवान राम की घर वापसी के रूप में मनाया जाता है और अयोध्या में भी दिवाली के दौरान जरूर जाना चाहिए।
राजस्थान की दिवाली
राजस्थान में दिवाली खासतौर से मनाई जाती है, अगर आप खासतौर से इस दिन भारतीय संस्कृति का अद्भुत नजारा देखना चाहिए, तो आपको जोधपुर जाना चाहिए। यहां की ऐतिहासिक आतिशबाजी काफी लोकप्रिय है। उदयपुर की दिवाली भी काफी अच्छी होती है, यहां झीलों पर खास रौशनी सजाई जाती है। वहीं पुष्कर में भी पांच दिनों तक भव्य रूप से दिवाली का आयोजन होता है। दिवाली में जैसलमेर फोर्ट को भी काफी खूबसूरत तरीके से सजाया जाता है।