हिंदी सिनेमा की खास बात यही है कि हिंदी सिनेमा से आयी कुछ संस्कृति ने लोगों की पारिवारिक दुनिया को और खुशहाल बनाया है, आइए जानें ऐसी कुछ संस्कृति के बारे में।
जूता चुराई की रस्म
कई सालों पहले सूरज बड़जात्या फिल्म लेकर आये थे ‘हम आपके हैं कौन’, यह पूर्ण रूप से पारिवारिक फिल्म थी, जिन्हें देखना हर उम्र के लोग पसंद करते रहे हैं, आज भी यह फिल्म जब टीवी स्क्रीन पर आती है तो इसे देखने में सभी दिलचस्पी लेते हैं। ऐसे में यह जानना आपके लिए रोचक बात होगी कि जूता चुराने वाली रस्म सबसे ज्यादा लोकप्रिय इसी फिल्म से हुई थी, फिर शादियों में दूल्हे की सालियों और दुल्हन की बहनों द्वारा ये रस्म अहम मान लिया गया है। परिवार में मामा मामी, चाचा चाची और हर सदस्य महत्वपूर्ण होते हैं, इस फिल्म ने इस अहमियत को दर्शाया।
ट्रेन में अंत्याक्षरी
शादी के माहौल में फिल्म ‘तनु वेड्स मनु’ में सभी माता रानी के दर्शन करने जाते हैं। ट्रेन में राज शेखर द्वारा लिखा एक प्यारा गाना है ‘अब मन्नू भईया क्या करेंगे’ इस गाने में पूरा परिवार खाते-पीते और अंत्याक्षरी खेलता हुआ नजर आता है, फिल्म में दिखाई गई यह संस्कृति कई अरसे से दरअसल, हमारी जिंदगी का हिस्सा रहे हैं। ऐसे में इस फिल्म के इस गाने की वजह से इस चलन को और बढ़ावा मिला। फिल्म ‘बॉम्बे टू गोवा’ में भी अंत्याक्षरी संस्कृति को दर्शाया गया है।
गमछा बना स्टाइल
फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में सभी ने बिहार का लोकप्रिय गमछा एक स्टाइल स्टेटमेंट बना लिया और इसके बाद लगातार लोगों ने इस स्टाइल स्टेटमेंट को फॉलो करना शुरू किया, वर्तमान दौर में इस स्टाइल स्टेटमेंट ने एक खास पहचान बना ली है और लगभग सभी इसे ओढ़ना पसंद करते हैं। गौर करें तो गमछा एक सस्टनेबल कपड़ा भी है, जिसका इस्तेमाल कई रूपों में लगातार किया जा रहा है।
दोस्ती वाला फ्रेंडशिप बेल्ट
फिल्म ‘कुछ-कुछ होता है’ में शाह रुख का किरदार राहुल, फ्रेंडशिप बैंड अपनी फ्रेंड्स को बांटता है। इस फिल्म से रियल लाइफ जिंदगी में युवाओं में खासतौर से फ्रेंडशिप बैंड और बेल्ट देने का सिलसिला शुरू किया था और आज भी युवा इस दिन को बहुत एन्जॉय करके मनाते हैं।