हाल ही में एक सीरीज आई है ओटीटी पर ‘दो गुब्बारे’, इस सीरीज की पृष्ठभूमि पूर्ण रूप से इस बात पर है कि कैसे आप एक शहर से दूसरे शहर जाते हैं और फिर अनजान से रिश्ते आपके अपने हो जाते हैं। दरअसल, हम सबको इस कला में माहिर होना चाहिए कि दूसरे शहर में जाकर अपने शहर की तारीफ और दूसरे शहर में कमी निकालने की बजाय, शहर से प्यार करने की कला और वहां की संस्कृति से प्यार करने के बारे में सोचना चाहिए। आइए जानें विस्तार से।
हर शहर की अपनी परिभाषा
‘दो गुब्बारे’ में केंद्र किरदार इंदौर से पुणे शहर आया है, उसकी नयी नौकरी लगी है, जहां उसे रहने का मौका मिलता है, उनके मकान मालिक महाराष्ट्र से हैं। ऐसे में एक युवा किस तरह अपने मकान मालिक की नजर से पुणे की संस्कृति को समझने की कोशिश करता है, इस सीरीज में सबसे खूबसूरत बात जो दर्शाई गई है कि इंदौर की संस्कृति में जिस तरह मसाले और इंदौरी पोहे की लोकप्रियता है, उन्हें महाराष्ट्र में भी नाश्ते के रूप में खाने की संस्कृति है और इस तरह बड़े ही प्यार से एक दूसरे की संस्कृति को मान दिलाते हुए, इसे स्वीकारना दो संस्कृति की खूबसूरती को दर्शाता है, सीरीज में ही दिवाली के दौरान के रीति-रिवाजों को दर्शाया है और दोनों का एक दूसरे को दी गई स्वीकृति हमारे भारत के विविधता में भी एकता को दर्शाती है।
छोड़ें शिकायती स्वभाव
अमूमन हम में ये आदत होती है कि जब हम दूसरे शहर जाते हैं, तो हमेशा शिकायती लहजे में रहते हैं कि हमारे शहर में तो ऐसा होता था, हमारा शहर तो बेस्ट है, इस शहर में तो सिर्फ कमियां ही कमियां हैं, यह स्वभाव आपको सीमित बनाता है, यह आपके लिए अच्छा नहीं है, क्योंकि अगर आप शिकायतों का साथ नहीं छोड़ेंगी, तब तक आपको परेशानियां होती ही रहेंगी। आप कभी नयी चीजें सिखेंगी नहीं, वहां के लोगों से वाकिफ नहीं होंगी और फिर धीरे-धीरे आपको हमेशा होम सिकनेस होगी, जबकि बेहतर होगा कि नए शहर को आप नयी उम्मीद की तरह देखें, यकीनन आपको नयापन ही मिलेगा।
स्थानीय लोगों की तरह शहर को एक्सप्लोर
जब भी आप किसी नए शहर में जाएंगी, शुरुआत के कुछ दिन कठिन होते हैं, लेकिन सबसे रोमांचक भी होते हैं, क्योंकि इसी दौरान आप काफी कुछ एक्सप्लोर कर सकती हैं, हमेशा कोशिश करें कि एक स्थानीय लोग की तरह जब आप शहर को देखेंगी, तो वहां की संस्कृति, बोल-चाल, पहनावे और रहन-सहन से वाकिफ होंगी और यह बातें आपको सांस्कृतिक रूप से समृद्ध ही करेंगी।
मनाएं हर पर्व
आप जिस भी शहर में जाएं, हमेशा खुद को खुशमिजाज बनाने की कोशिश करें, उन शहरों में जो भी सेलिब्रेशन होता है, आपको उनका हिस्सा बनना चाहिए। हर पर्व को मनाएंगी, तो उनके बारे में विस्तार से जानने का मौका मिलेगा। बढ़-चढ़ कर हिस्सा लें, इससे आपकी जिंदगी में हमेशा खुशहाली और चेहरे पर चमकार ही आएगी।
नए लोगों से दोस्ती बढ़ाएं
शुरुआत में जब हम दूसरे शहर में जाते हैं, हम अपने पुराने लोगों को मिस करने लगते हैं और कई बार खुद के लिए एक दायरा तय कर लेती हैं, ऐसे में नए लोगों को जानने और समझने का मौका नहीं मिलता है, हम पुराने लोगों में ही उलझे रहते हैं और वहीं अपनी दुनिया बसा लेते हैं, जबकि बेहद जरूरी है कि नए लोगों से बातचीत की जाए, इससे आपको उनकी संस्कृति और सभ्यता के बारे में पता चलता है और आप नयी जानकारियां ही हासिल करती हैं, इसलिए नए लोगों से मिलने जुलने और नेटवर्किंग बढ़ाने में कौताही न करें।