पार्टनरशिप में व्यवसाय शुरू करने की पहली शर्त है एक भरोसेमंद पार्टनर या भागीदार का साथ होना। यदि वो आपको मिल गया, तो समझिए आपने अपनी आधी जंग शुरू होने से पहले ही जीत ली। आइए जानते हैं पार्टनरशिप में व्यवसाय शुरू करने की बारीकियां।
सोच-समझकर करें पार्टनर का चुनाव
आम तौर पर कोई भी व्यवसाय शुरू करने से पहले हम किसी ऐसे पार्टनर का चुनाव करते हैं, जिन्हें हम जानते हैं, क्योंकि हमारे लिए वे न सिर्फ भरोसेमंद होते हैं, बल्कि हम उनके साथ काफी सहज भी होते हैं। इसके अलावा, अकेले व्यवसाय शुरू करने की बजाय पार्टनरशिप में आपको अपने पार्टनर का नॉलेज और एक्सपीरियंस भी काम आता है। इसके अलावा, रुपये-पैसे में भी राहत होती है और उनके साथ जो एक नेटवर्क मिलता है, वह अलग। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि जिन्हें हम वर्षों से जानते हैं, साझेदार बनने के बाद, उनके व्यक्तित्व के कुछ ऐसे राज हमें पता चलते हैं, जिनसे हम अब तक अनजान थे। ऐसे में हमारी दोस्ती, रिश्तेदारी और परिवार में दराद पड़ने की गुंजाइश बढ़ जाती है। फिर बात वही होती है कि न निगला जाए, न उगला जाए और व्यवसाय के साथ रिश्तों में भी घाटा होना शुरू हो जाता है।
साझेदारी सहित संतुलन और समन्वय हो
इसमें दो राय नहीं कि पार्टनशिप में व्यवसाय शुरू करने के कुछ फायदे हैं, तो कुछ नुकसान भी है। पार्टनरशिप में शुरू किए व्यवसाय में न आपका एकाधिकार होता है और न लिए जा रहे फैसलों और लाभ पर पूरा नियंत्रण। ऐसे में अपनी पार्टनरशिप को दुविधामुक्त रखने का सबसे पहला कदम है, पार्टनरशिप में शुरू किए गए व्यवसाय को दोनों में से किसी का भी नाम न दें, बल्कि कोई ऐसा नाम दें जो आपके व्यवसाय की पहचान को उजागर करे। इसके अलावा, अपने सर्कल में पार्टनर ढूंढने की बजाय, ऐसी पार्टनर का चुनाव करें, जो आपकी कमजोरियों को अपनी ताकत दे। साफ शब्दों में कहें, तो दोनों के व्यक्तित्व और स्वभाव के बीच एक संतुलन और समन्वय हो, जिसका फायदा आपके व्यवसाय को मिले।
सपने, समर्पण, लक्ष्य और मूल्य एक हों
ध्यान रखिए जिनके साथ आप व्यवसाय शुरू करने जा रही हैं, उनसे यदि आप अनजान रहेंगी, तो ये व्यवसाय के साथ आपके और आपकी मानसिक शांति के लिए भी अच्छा नहीं होगा। इसके अलावा, व्यवसाय में अलग से मेहनत करनी होगी, सो अलग। इसलिए सबसे पहले ऐसा पार्टनर खोजें, जो आदतों, स्वभाव और व्यक्तित्व के नजरिए से आपसे अलग हो, लेकिन उसके विचार, मूल्य, सपने, लक्ष्य और मेहनत करने की इच्छा शक्ति आपकी तरह हो। अत: संभव हो तो व्यवसाय शुरू करने से पहले अपने पार्टनर के बारे में अधिक से अधिक जानने की कोशिश करें। उनके सोशल प्रोफाइल से लेकर उनके पूर्व सहकर्मियों, परिचितों और दोस्तों से बात करें। व्यवसाय के लिए जिन बातों की जरूरत न हो, उसकी जानकारी भी लीजिए, क्योंकि लंबे समय तक यदि साथ रहना है, तो एक दूसरे के बारे में छोटी से छोटी बातों का भी पता होना चाहिए।
सारी शर्तें पूरी करें
आम तौर पर व्यावसायिक पार्टनरशिप जब परिवार में शुरू किए जाते हैं, तो वहां कागजी कार्रवाई पर बहुत ज्यादा जोर नहीं दिया जाता। यदि आप भी ऐसा कुछ सोच रही हैं, तो सावधान हो जाइए। ध्यान रखिए व्यवसाय की शुरुआत में की गई इस तरह की छोटी-छोटी गलतियां, आगे चलकर आपके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं, इसलिए कानूनी प्रतिबद्धता बहुत जरूरी है। इसके अलावा, यदि आप दोनों पार्टनर में से कोई एक व्यवसाय में अधिक रुपये लगा रहा है, तो ये बातें भी सुनिश्चित करें कि आगे चलकर व्यवसाय में मुनाफा होने पर, वो समान रूप से बंटेगा या कम-ज्यादा? क्या रुपये की लागत अनुसार किसी एक पार्टनर का दखल ज्यादा होगा या समान? क्या व्यवसाय में किसी एक का पद और महत्व दूसरे से ज्यादा होगा या समान? निर्णय लेने की स्थिति में निर्णय लेने और चेक तथा कॉन्ट्रैक्ट पर साइन करने का अधिकार किसे होगा? कोशिश करें कि ये सब बातें व्यवसाय शुरू करने से पहले ही तय कर लिए जाएं।
योजनाएं बनाएं
आम तौर पर समझदार वो होता है, जो समय से पहले ही स्थितियों को तोल-मोलकर उनके अनुरूप अपनी योजनाएं बनाए। व्यवसाय में पार्टनरशिप के दौरान आपके अंदर ये समझदारी होना सबसे ज्यादा जरूरी है, क्योंकि हो सकता है वक्त के साथ चीजें बदल जाएं। ऐसे में किसी भी तरह का व्यवसाय शुरू करने से पहले आपस में एक समझौता मसविदा (SOF) तैयार करना न भूलें। इनमें विशेष रूप से किसी एक पार्टनर की अनुपस्थिति में क्या करना चाहिए और क्या नहीं, जैसी बातें साफ हों। उदाहरण के तौर पर अगर आपने अपने पति के साथ मिलकर कोई व्यवसाय शुरू किया है, और अब आप उनसे अलग होना चाहती हैं, तो ऐसी स्थिति में कंपनी की कस्टडी किसके पास रहेगी? या दोनों पार्टनर्स में से किसी एक की मृत्यु हो जाती है, तो कंपनी शेयर्स कैसे डिस्ट्रीब्यूट होंगे इत्यादि। बेहतर है कि व्यवसाय शुरू करने से पहले ही आप इन सब बातों को ध्यान में रखकर योजनाएं बना लें। कानूनी रूप से इन समझौतों को तैयार करने के लिए आप एक अच्छे वकील की मदद भी ले सकती हैं।
सर्वश्रेष्ठ व्यवसाय संरचना चुनें
व्यवसाय शुरू करने से पहले ये भी तय कर लें कि आप अपनी पार्टनरशिप को सामान्य पार्टनरशिप, सीमित पार्टनरशिप या सीमित देयता पार्टनरशिप के अंतर्गत रखना चाहती हैं। आप चाहें तो इसके लिए किसी अनुभवी सलाहकार, वकील या एकाउंटेंट से भी परामर्श ले सकती हैं। ये सभी आपकी कंपनी को कर्ज या अन्य देनदारियों से बचाने के लिए उचित व्यवसाय संरचना का बेहतर सुझाव देंगे, लेकिन उनका चयन आपको अपनी बुद्धि और विवेक से करना होगा।
एक-दूसरे के संपर्क में रहें
किसी भी रिश्ते की मजबूत नींव होती है स्वस्थ बातचीत और एक सक्सेसफुल व्यवसायी के लिए यह सबसे जरूरी है। अपने बिजनेस पार्टनर के प्रति संवेदनशील रहते हुए उनके साथ बातों के जरिए जुड़े रहना बहुत जरूरी है। यदि आप एक ही ऑफिस में साथ रहती हैं तो ये अच्छी बात है, लेकिन अपने कामों में इतना व्यस्त मत हो जाइए कि आपको एक दूसरे से बात करने का मौका ही न मिले। कोशिश कीजिए कि अपने बिजनेस पार्टनर से दिन में एक बार मिलकर आप स्वस्थ बातचीत जरूर करें। अगर आप एक दूसरे से दूर हैं, तो वीडियो कॉल बेहतर विकल्प हो सकता है। हालांकि बातचीत करते समय यदि आप किसी बात पर अपने पार्टनर से असहमत हो जाती हैं, तो बीच में से उठकर जाने या डिफेंसिव होने की बजाय शांति से इसे निपटाएं। शांत दिमाग से अपने पार्टनर की बातें सुनें और बिना आपा खोए उन्हें अपनी बात समझाने की कोशिश करें। हो सकता है आपको लग रहा हो कि आपका पार्टनर आपकी तरह विवेकशील या बुद्धिमान नहीं है, तो इसके लिए उन पर चिल्लाने या उन्हें नीचा दिखाने से बचें। ध्यान रखिए आप दोनों एक ही कंपनी के दो स्तंभ हैं। अत: अपने मन की बात उनसे करते हुए, एक-दूसरे से नाराज होने की बजाय छोटी-छोटी बातों का जश्न मनाना सीखिए।
भावनाओं का ख्याल रखें
कई बार भावनाओं को दबाना, हमारे रिश्तों में जहर घोल देता है। छोटे छोटे मुद्दों को लंबे समय तक नजरअंदाज करने से रिश्तों में कड़वाहट फैल जाती है, जिसका असर आपके व्यवसाय पर साफ नजर आ सकता है। अत: जरूरी है कि सही समय पर सही बातें बोल दी जाएं, लेकिन इतनी सहजता से कि सामनेवाले को बुरा न लगे। ध्यान रखिए अपनी पार्टनरशिप को सफल बनाने के लिए एक-दूसरे के साथ सहज रहते हुए एक-दूसरे की भावनाओं का ख्याल रखना भी बहुत जरूरी है।