आम तौर पर बैंक में लॉकर का उपयोग लोग अपनी मूल्यवान वस्तुओं के साथ गोल्ड ज्वेलरी और जरूरी दस्तावेज रखने के लिए करते हैं, जिससे उनके चोरी होने की परेशानियों से वे बच सकें। आइए जानते हैं बैंक में लॉकर खोलने से पहले किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
कस्टमर फ्रेंडली हों बैंक के नियम
चौबीस घंटे सीसीटीवी कैमरों के साथ बैंक की बेहतर सुरक्षा व्यवस्था काफी लोगों को आकर्षित करती है, यही वजह है कि वक्त के साथ बैंक में लॉकर की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए इंडियन रिजर्व बैंक की तरफ से कई नियम निर्धारित किए गए हैं, जिनका पालन ग्राहकों को करना होता है। फिलहाल इन नियमों से पहले आपके लिए ये जान लेना जरूरी है कि लॉकर आपके लिए कितने आवश्यक हैं? और यदि हैं, तो उनका चुनाव आपको किस आधार पर करना चाहिए? सबसे पहली बात तो आप जब भी लॉकर के लिए किसी बैंक का चुनाव करें तो इस बात का विशेष ध्यान रखें कि उसकी सर्विस कैसी है? आम तौर पर लोग उसी बैंक में लॉकर लेना प्रिफर करते हैं, जिनमें उनका अकाउंट होता है। आप भी यह कर सकती हैं, इससे आपको जल्द से जल्द या तुरंत लॉकर मिलने में आसानी हो जाएगी। लेकिन यदि आप लॉकर लेने के लिए किसी और बैंक के बारे में सोच रही हैं, तो सबसे पहले यह देखना न भूलें कि उसके नियम कितने कस्टमर फ्रेंडली हैं। हालांकि नए बैंक में लॉकर के लिए आपको 6 महीने से लेकर 1 साल तक का इंतजार करना पड़ सकता है।
लॉकर लेने से पहले नियमों को ध्यान से पढ़ें
अधिकतर लोग कीमती चीजों के लिए लॉकर लेते हैं, क्योंकि घर में उन्हें चोरी का डर सताता रहता है। इन चीजों में गोल्ड ज्वेलरी, हाऊसिंग लोन और जमीन के पेपर्स, बर्थ एंड मैरिज सर्टिफिकेट, इंश्योरंस पॉलिसी और सेविंग्स बॉण्ड्स शामिल होते हैं। हालांकि पहली बार लॉकर लेने और उसे रिन्यू करने के नियम थोड़े अलग होते हैं। अगर आप लॉकर के लिए पहली बार अकाउंट खुलवाने जा रही हैं, तो आपको बैंकिंग नीतियों के अनुसार पहले उस बैंक में सेविंग्स अकाउंट या करेंट अकाउंट खुलवाना पड़ेगा। अकाउंट खुलवाने के लिए बैंक आपसे आपका पासपोर्ट साइज फोटो के साथ आधार कार्ड और पैन कार्ड मांगेगा। उसके बाद आपको उनके लॉकर एग्रीमेंट के साथ ‘मेमोरेंडम ऑफ लेटिंग’ पर हस्ताक्षर करने होंगे, जिसमें लॉकर इस्तेमाल से जुड़े सभी नियमों के साथ सारी शर्तों की जानकारी दी गई होती है, जिन्हें आपको ध्यान से पढ़ना बहुत जरूरी है। हालांकि पिछले साल आरबीआई (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) ने लॉकर से संबंधित अपने नियमों में बदलाव किए हैं। इसके तहत जिन्होंने एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए हैं, उन्हें रिन्यूअल के समय रिवाइज्ड एग्रीमेंट पर भी हस्ताक्षर करने होंगे। उदाहरण के तौर पर जिन्होंने 31 दिसंबर 2023 को या उससे पहले अपना एग्रीमेंट जमा कर दिया था, उन्हें 31 दिसंबर से पहले रिवाइज्ड एग्रीमेंट पर भी साइन करके उसे अपने बैंक को भेज देना था। पिछले वर्ष नियमों में हुए ये बदलाव आगामी वर्षों के लिए भी जारी होंगे।
लॉकर में क्या रखें - क्या न रखें
लॉकर के संदर्भ में आरबीआई (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) ने कई नियम बनाए हैं, लेकिन इनमें सबसे पहला नियम है उसमें रखे जानेवाले वस्तुओं के साथ न रखे जानेवाले वस्तुओं की सूची। ‘मेमोरेंडम ऑफ लेटिंग’ के अनुसार बैंकों ने अपने लॉकर में ज्वेलरी, हाऊसिंग लोन और जमीन के पेपर्स, बर्थ एंड मैरिज सर्टिफिकेट, इंश्योरंस पॉलिसी और सेविंग्स बॉण्ड्स के साथ अन्य गोपनीय वस्तुओं को रखने की मंजूरी दी है, किंतु आप लॉकर में कैश या करंसी के साथ किसी भी तरह के हथियार, ड्रग्स और विस्फोटक या प्रतिबंधित सामग्री नहीं रख सकतीं। इसके अलावा रेडियोएक्टिव चीजों के साथ अवैध और खतरनाक सामग्रियों को रखने की भी मनाही है। यूं कहें तो आप बैंक लॉकर में ऐसी कोई वस्तु नहीं रख सकतीं, जिसके कारण बैंक या उनके ग्राहकों को परेशानी हो। सिर्फ यही नहीं ऐसी स्थिति में आप पर कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है। आम तौर पर भारतीय घरों में लॉकर का अधिकतम इस्तेमाल जरूरी दस्तावेजों से अधिक सोने के आभूषण रखने के लिए किया जाता है, सो ऐसे में आपके लिए यह जान लेना भी जरूरी है कि लॉकर में गोल्ड या गोल्ड ज्वेलरी की मात्रा पर अब तक आरबीआई की तरफ से कोई नियम लागू नहीं हुए हैं।
ग्राहकों के नुकसान की जिम्मेदारी बैंक की है
बैंक नियमों के अनुसार अपने बैंक में लॉकर खोलनेवाले ग्राहकों के वस्तुओं की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी बैंक की होती है। इसके अनुसार बैंक में यदि कोई चोरी, डकैती, सेंधमारी हो जाती है, आग लग जाती है या किसी तरह की कोई क्षति या हानि होती है, तो बैंक उसके लिए पूरी तरह से जिम्मेदार होगा। सिर्फ यही नहीं अपने कर्मचारियों की तरफ से हुई धोखाधड़ी के लिए भी बैंक ही जिम्मेदार होगा। ऐसे में बैंक मौजूदा लॉकर के वार्षिक किराए का सौ गुना राशि का भुगतान अपने ग्राहकों को करने के लिए वचनबद्ध है। उदाहरण के तौर पर यदि आपके बैंक लॉकर का वार्षिक शुल्क 5 हजार रुपये हैं, तो बैंक आपको 5 लाख रूपये तक का मुआवजा देगा। हालांकि यदि आप किसी बैंक में अपना लॉकर बंद करवाना चाहती हैं, तो अपने संबंधित बैंक से बातचीत के बाद आप उसे बिना शुल्क दिए बंद करवा सकती हैं। इस स्थिति में आपके बचे हुए समय का लॉकर शुल्क बैंक को लौटाना होगा।
नॉमिनी का चुनाव सोच-समझकर करें
बैंक में लॉकर खुलवाने से पहले आपको सर्वाइवरशिप क्लॉज और नॉमिनेशन के नियमों को भी जान लेना चाहिए, जिससे आगे चलकर किसी विशेष स्थिति में आपको परेशान न होना पड़े। लॉकर मालिक की मृत्यु की स्थिति में आरबीआई (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) के बैंक लॉकर नियमों के मुताबिक बैंक, नॉमिनी को लॉकर खोलने और सारी वस्तुओं को ले जाने की पूरी आजादी देता है। हालांकि इसके लिए जरूरी है कि लॉकर होल्डर ने जॉइंट सिग्नेचर के जरिए लॉकर की हिस्सेदारी नॉमिनी के साथ साझा की हो। उदाहरण के तौर पर लॉकर होल्डर ने सर्वाइवरशिप क्लॉज के साथ बैंक में एक लॉकर लिया है, तो दोनों में से किसी एक के न रहने पर दूसरा उस लॉकर को बिना किसी परेशानी के ऑपरेट कर सकता है। बैंक को उससे कोई परेशानी नहीं होगी। ऐसे में बैंक लॉकर के लिए नॉमिनी का चुनाव करते समय आपको इस बात का पूरा ख्याल रखना होगा कि आपकी अनुपस्थिति में अपने कीमती वस्तुओं की जिम्मेदारी आप किसे देना चाहती हैं। हालांकि आप चाहें तो बैंक से संपर्क कर अपना नॉमिनी चेंज भी करवा सकती हैं।
अलग-अलग होते हैं लॉकर के किराये
लॉकर से संबंधित बैंक नियम न सिर्फ आपकी परेशानियों को आसान बनाते हैं, बल्कि आपकी बैंकिंग को स्मूद बनाते हुए आपको मानसिक शांति भी देते हैं। हालांकि इन नियमों के साथ-साथ आपको यह भी जान लेना चाहिए कि हर बैंक में उनके लॉकर का किराया, उसकी स्थिति और आकार के अनुसार अलग-अलग होता है। उदाहरण के तौर पर अगर आप बड़ा लॉकर ले रही हैं, तो आपको उसके लिए अधिक रकम चुकानी होगी। इसके अलावा मेट्रो, अर्बन, सेमी अर्बन और ग्रामीण इलाकों का किराया भी अलग-अलग होता है, सो यह इस पर निर्भर करता है की आप किस इलाके में रहती हैं। सिर्फ यही नहीं, कुछ बैंक, लॉकर होल्डर से सिर्फ एक साल का किराया लेते हैं, तो कुछ एक ही बार में 3 साल का एडवांस किराया ले लेते हैं। वैसे लॉकर का चुनाव करते समय उसके किराए और सेवाओं के साथ इस बात पर भी ध्यान देना जरूरी है कि आप जिस बैंक का चुनाव कर रही हैं, वो आपके घर से ज्यादा दूर न हो।