आप चाहें वर्किंग हों या नॉन वर्किंग आपके लिए आत्मनिर्भरता बेहद जरूरी है। विशेष रूप से बैंकिंग और मनी सेविंग के लिए तो यह और भी जरूरी है। आइए जानते हैं आप कैसे इस क्षेत्र में पुरुषों पर निर्भर रहने की बजाय खुद आत्मनिर्भर बन सकती हैं।
शुरुआत करें फाइनेंशियल लिटरेसी से
आत्मनिर्भरता एक ऐसा गुण है जो न केवल आपकी स्वयं की पहचान को मजबूत बनाता है, बल्कि आपको जीवन के हर क्षेत्र में स्वतंत्रता और आत्मविश्वास भी देता है। बैंकिंग से लेकर मनी सेविंग तक, पुरुषों पर निर्भर रहने की बजाय खुद को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कुछ प्रमुख कदम उठाए जा सकते हैं और इसकी सही शुरुआत होती है आर्थिक जागरूकता और शिक्षा से। बैंकिंग प्रक्रियाओं, बचत योजनाओं, निवेश विकल्पों और कर्ज की जानकारी रखते हुए यदि आप खुद को आर्थिक और वित्तीय जानकारी से लैस रखेंगी, तो ये न सिर्फ आपके वित्तीय मामलों को नियंत्रित करेगा, बल्कि सही दिशा में निर्णय लेने के लिए आपको मददगार भी साबित होगा। इसके लिए आप ऑनलाइन फाइनेंशियल लिटरेसी कोर्सेज या यूट्यूब वीडियो देख सकती हैं। फाइनेंशियल लिटरेसी, यानी आर्थिक शिक्षा, आपको यह समझने में मदद करती है कि पैसा कैसे काम करता है। आपके नजदीकी बैंकों में समय-समय पर वित्तीय जागरूकता के लिए सेमिनार होते रहते हैं, संभव हो तो उनमें शामिल होकर आप बहुत कुछ सीख सकती हैं। इसके अलावा आप वित्तीय पत्रिकाएं, ब्लॉग्स और किताबें पढ़कर नए-नए निवेश के अवसर और पैसों को सही तरीके से मैनेज करने के बारे में भी सीख सकती हैं।
बैंकिंग सेवाओं के साथ बैंकिंग टर्म्स को समझें
जहां तक संभव हो किसी पर निर्भर रहने की बजाय अपनी बैंकिंग प्रक्रियाओं को आप खुद समझें और खुद ही ऑनलाइन बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग ऐप्स और नेट बैंकिंग सेवाओं का उपयोग करके खुद से बैंक ट्रांजैक्शन करें। हालांकि इसके लिए जरूरी है कि सबसे पहले आप अपना बैंक खाता खुलवाएं और फिक्स्ड डिपॉजिट (FD), रिकरिंग डिपॉजिट (RD) और सेविंग्स अकाउंट में इंट्रस्ट कमाने वाले अकाउंट्स के बारे में जानें। बैंकिंग टर्म्स जैसे ब्याज दर, कंपाउंडिंग, निवेश, और मुद्रास्फीति को भी समझें। यह समझने से आप अपने पैसे को बेहतर ढंग से संभालने और निवेश करने में सक्षम होंगी। बैंकिंग टर्म्स को समझने के बाद यह भी जरूरी है कि आप अपने घर के अकाउंट्स को समझते हुए वीकली या मंथली खर्चों के लिए एक बजट बनाएं और अपने खर्चों को ट्रैक करें। विशेष रूप से जरूरी खर्चों को प्राथमिकता देते हुए और गैर-जरूरी खर्चों को कम करें। इसके अलावा अपनी मंथली सैलरी का एक हिस्सा नियमित रूप से सेव करें। इससे आपके पास एक इमरजेंसी फंड तैयार होगा, जो मुश्किल समय में आपके काम आएगा। आप अपनी बेटी या अपने लिए छोटी बचत योजनाएं जैसे, सुकन्या समृद्धि योजना, पीपीएफ (Public Provident Fund) या पोस्ट ऑफिस सेविंग्स स्कीम्स के जरिए भी पैसे बचा सकती हैं, जो लंबे समय में आपको अच्छा रिटर्न देंगी।
अलग-अलग निवेश विकल्पों पर विचार करें
याद रखिए मनी सेविंग और बैंकिंग के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए सिर्फ बचत ही पर्याप्त नहीं है, उसे सही जगह निवेश करना भी महत्वपूर्ण है। इसके लिए आप अलग-अलग निवेश विकल्पों, जैसे म्युचुअल फंड, SIP (Systematic Investment Plan), गोल्ड बॉन्ड्स, या शेयर बाजार में भी निवेश कर सकती हैं। हालांकि इसकी शुरुआत करने से पहले आप अपने वित्तीय लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए जोखिम उठाने की क्षमता का मूल्यांकन जरूर कर लें। यदि आप शेयर बाजार या म्युचुअल फंड्स में निवेश कर रही हैं, तो किसी फाइनेंशियल एक्सपर्ट की भी सलाह ले सकती हैं। पैसों के साथ अक्सर जोखिम जुड़ा होता है, इसलिए जानकारी के साथ सावधानी बेहद जरूरी है और यही सावधानी क्रेडिट कार्ड का उपयोग करते समय भी बरती जानी चाहिए। ध्यान रहे क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल आप सिर्फ तभी करें, जब बेहद जरूरी हो और इससे भी ज्यादा जरूरी है कि समय पर आप इसका भुगतान कर दें, जिससे ज्यादा इंट्रस्ट देने से आप बच जाएं। क्रेडिट कार्ड एक तरह का कर्ज होता है, ऐसे में इसे लेने से पहले अपनी जरूरतों के साथ कर्ज चुकाने की क्षमता का भी आकलन कर लें। अगर कर्ज लेना जरूरी हो, तो समझदारी से लें और ईएमआई को समय पर चुकाएं। इससे न सिर्फ आपकी क्रेडिट स्कोर अच्छी बनी रहेगी, बल्कि भविष्य में आपको कर्ज मिलने में भी आसानी होगी।
इंश्योरेंस लेने से पहले उसकी शर्तों को समझें
अपने और अपने परिवार के भविष्य के लिए इंश्योरेंस जरूर करवाएं। लाइफ इंश्योरेंस, हेल्थ इंश्योरेंस और वेहिकल इंश्योरेंस जैसे इंश्योरेंस से न सिर्फ आपका भविष्य सुरक्षित रहेगा, बल्कि आप अचानक आए खर्चों से भी बच जाएंगी। हालांकि कोई भी इंश्योरेंस लेने से पहले आप उसकी सभी शर्तों को अच्छी तरह समझ लें, जिससे अपने लिए सही प्लान चुन सकें। भविष्य की आर्थिक योजनाओं को बेहतर करने के लिए जहां इंश्योरेंस बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं, वहीं रिटायरमेंट प्लान भी आपके लिए सहायक हो सकते हैं। नेशनल पेंशन स्कीम (NPS), पीपीएफ, या रिटायरमेंट सेविंग्स अकाउंट जैसी योजनाओं में निवेश करके आप अपनी रिटायरमेंट लाइफ को आर्थिक रूप से सुरक्षित कर सकती हैं। हालांकि इन सब बातों पर अमल करने से पहले जरूरी है कि आप अपने आर्थिक फैंसले खुद लें। आपको सेल्फ डाउट करने की बजाय, खुद पर विश्वास रखना होगा कि आप अपने पैसे सही तरीके से मैनेज कर सकती हैं। हां यदि आपको कोई बड़ा निवेश या कर्ज के बारे में निर्णय लेना हो, तो इसके लिए आप फाइनेंशियल एक्सपर्ट की मदद ले सकती हैं, लेकिन याद रखिए अंतिम निर्णय आपका ही होना चाहिए।
साइड इनकम के विकल्प खोजें
आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने के लिए आप अपनी इनकम के स्रोत बढ़ाने पर भी विचार कर सकती हैं। इसके लिए अपने बचे समय में आप कोई फ्रीलांस वर्क, पार्ट-टाइम जॉब या अपना छोटा सा बिजनेस शुरू करके भी अतिरिक्त इनकम जमा कर सकती हैं। हालांकि इसके लिए सबसे पहले अपनी स्किल्स को अपग्रेड करते हुए अपने नॉलेज को पहचानें और उनका सही उपयोग करते हुए नए आर्थिक अवसरों की तलाश करें। अक्सर महिलाएं अपने आपको अपने परिवार के प्रति इस कदर समर्पित कर देती हैं कि वे भूल जाती हैं कि उनका भी एक अस्तित्व है। अपनी घरेलू जिम्मेदारियों से इतर अपनी खुद की पहचान बनाएं और अपने परिवार के आर्थिक फैंसलों में सक्रिय भूमिका निभाएं। इससे न केवल आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा, बल्कि आपको परिवार के आर्थिक मामलों को बेहतर तरीके से समझने और उसमें योगदान देने का अवसर भी मिलेगा। याद रखिए आर्थिक स्वतंत्रता का मतलब केवल पैसे कमाना ही नहीं होता, बल्कि इसे समझदारी से संभालना और सुरक्षित रखना भी होता है और इसके लिए जरूरी है खुद पर विश्वास रखना। हो सकता है, शुरू-शुरू में आपको थोड़ी घबराहट महसूस हो, लेकिन धीरे-धीरे आप खुद को न सिर्फ मजबूत बल्कि आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर भी पाएंगी।
आत्मनिर्भरता का दूसरा नाम है आत्मविश्वास
आत्मनिर्भरता केवल वित्तीय स्वतंत्रता नहीं है, बल्कि आपके जीवन में नियंत्रण और आत्मविश्वास बनाए रखने का भी एक तरीका है। सच पूछिए तो आज की अनिश्चितताओं से भरी जिंदगी में सिर्फ महिलाओं को ही नहीं, बल्कि हर किसी को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनना ही चाहिए, जिससे जीवन के किसी भी मोड़ पर उन्हें किसी पर भी निर्भर न रहना पड़े। इसके अलावा आर्थिक आत्मनिर्भरता से आपका सर्वांगीण विकास होता है। आत्मनिर्भर बनने की प्रक्रिया भले ही काफी मुश्किलों से भरी हों, लेकिन इस दौरान आपको अपने कौशल, ज्ञान के साथ कुछ ऐसी बातें भी जानने को मिलती हैं, जिनसे आप अब तक अनजान थीं। आत्मनिर्भरता से आपका आत्मविश्वास भी बढ़ता है और आप दूसरों की स्थिति को अच्छी तरह समझ भी पाती हैं। दरअसल जिंदगी से जुड़े जोखिमों में आपकी सूझ-बूझ और आपकी आत्मनिर्भरता सिर्फ आपके लिए ही नहीं, आपके अपनों के लिए भी बेहद मददगार साबित होती है। इसके अलावा आपके बच्चे आपसे एक मजबूत व्यक्तित्व सीखते हैं, जो उन्हें भविष्य में आत्मनिर्भर बनाने के साथ मजबूत भी बनाता है।