अमूमन, जब हमारी पहली नौकरी होती है, तो हम अपने काम को लेकर इस तरह से उत्साहित होते हैं कि हमारा ध्यान कभी इस बात पर नहीं जाता है कि कंपनी जो हमें सैलरी दे रही है, उसमें क्या चीजें छुपी हुई हैं और क्या नहीं, साथ ही हमें यह भी पता नहीं होता है कि कौन से टर्म किसलिए इस्तेमाल होते हैं। हम सिर्फ सीटीसी देखती हैं और खुश हो जाती है, लेकिन फिर जब नौकरी की शुरुआत होती है और पहली सैलरी हाथ में आती है, तो मन दुखी हो जाता है। इसलिए, अगर आप पहली नौकरी करने जा रही हैं, तो आपके लिए बेहद जरूरी है कि आप अपनी सैलरी को समझें, क्योंकि उसके आधार पर ही आप अपनी आगे की फाइनेंशियल प्लानिंग कर पाएंगी, इसलिए सैलरी का फाइनेंस समझना भी आपके लिए जरूरी है।
क्या है वेरिएबल पे
कई कंपनीज, सैलरी का बड़ा हिस्सा वेरिएबल पे की केटेगरी में रख देती हैं, जिसकी वजह से निश्चित तौर पर टेक होम सैलरी घट जाती है। इस तरह के जो नियम होते हैं, कई बार आपको कंपनी साल के अंत में इसका भुगतान करती है और कई बार कुछ बहाने भी बना देती है, कोविड महामारी में भी कई कंपनी ने वेरिएबल पे नहीं किया। इसलिए कभी भी इसके बहकावे में न आएं, हमेशा अपनी कंपनी से पूछें कि आपको टेक होम सैलरी क्या होगी। जितना वेरिएबल कम होगा, टेक होम उतना बढ़ेगा, इस बात का ध्यान रखें। कई जगह वेरिएबल पे आपके परफॉर्मेस के आधार पर भी दिया जाता है, तो कई कंपनी आपको यह कह कर भी भुगतान करने से मना कर सकती है कि आपने साल में अच्छा परफॉर्म ही नहीं किया है, इसलिए इसको अच्छे से समझें।
बेसिक सैलरी
हेल्थ इंश्योरेंस
हर कंपनी अपने कर्मचारी को यह सुविधा देती है, लेकिन सबकी शर्तें और नियम अलग होते हैं, तो जरूरी है इस बात को समझना कि हेल्थ इंश्योरेंस में क्या-क्या फायदे हैं और क्या-क्या फायदे नहीं हैं। हर तरह से इससे जुड़े सवाल पूछें, आप पर निर्भर कितने परिवार के सदस्यों को इसका लाभ मिलेगा, आपको कितना भुगतान करना होगा, किस तरह की बीमारियां कवर नहीं होती हैं और क्या चीजें कवर होंगी, कितना प्रतिशत होगा, यह सबकुछ जान कर, समझ लेना जरूरी है।
कन्वेंस और होम कन्वेंस को भी अच्छे से समझें
कई ऐसी कंपनी होती हैं, जो होम रेंट को लेकर अपने कर्मचारी को कंफ्यूज ही रखती हैं, जिसकी वजह से टैक्स के वक्त दिक्कत होती है, आपको जानकारी नहीं होती है, ऐसे में अगर आप रेंट पर रह भी रही हैं, तो आप इसका फायदा नहीं उठा पाती हैं, इसलिए बेहद जरूरी है कि जितने भी कन्वेंस हैं, सबको समझ लें।
अपनी फाइनेंशियल सलाहकार से मिलें
फाइनेंशियल सलाहकार की जहां तक बात आती है, तो एक बार जॉब ऑफर लेटर को उन्हें जरूर दिखा दें और समझ लें कि आपको कितनी सेविंग करनी होगी, ताकि टैक्स में राहत मिले और फौरन टैक्स सेविंग म्युचुअल फंड्स और SIP जैसी स्कीम्स शुरू कर दें।
इन सभी बातों का ध्यान रख कर, आप अच्छी तरह से अपनी नौकरी से अपनी मेहनत की कमाई कर पाएंगी और फिर आगे की फाइनेंशियल प्लानिंग उस आधार पर कर पाएंगी।