आम तौर पर इमरजेंसी फंड वह अमाउंट होता है, जो आपकी मुश्किल परिस्थितियों को आर्थिक रूप से आसान कर देती हैं। आइए जानते हैं इमरजेंसी फंड से जुडी कुछ खास बातें फाइनेंशियल एक्सपर्ट अभय मिश्रा से, जो पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं।
आर्थिक सुरक्षा का पहला कदम है इमरजेंसी फंड
इमरजेंसी फंड, आर्थिक सुरक्षा का पहला कदम होता है और हम सभी के लिए ये बहुत जरूरी भी होता है। विशेष रूप से अचानक आई किसी भी आर्थिक परेशानी से निपटने में इमरजेंसी फंड बहुत बड़ी भूमिका निभाता है, लेकिन अक्सर इसे लेकर लेकर लोगों में एक उदासीनता दिखाई देती है। किसी बड़ी बीमारी के कारण, बिजनेस में हुए घाटे के कारण या अचानक गई नौकरी के कारण आपको आर्थिक रूप से परेशान न होना पड़े इसके लिए अपनी आय का कुछ हिस्सा इमरजेंसी फंड के नाम पर निकालना हमेशा समझदारी का काम होता है। हालांकि इमरजेंसी फंड बनाते समय सबसे पहले ये बात जानना जरूरी है कि आपकी इनकम कितनी है और आपके खर्चे कितने हैं? आपकी आय और खर्चों के आधार पर ही आप यह तय कर सकती हैं कि आपको इमरजेंसी फंड के तौर पर कितने रूपये बचाने होंगे।
समझें सेविंग्स और इमरजेंसी फंड के बीच का अंतर
आम तौर पर बात जब इमरजेंसी फंड के नाम पर रूपये बचाने की आती है, तो लोग इसे सेविंग्स समझ लेते हैं। ऐसे में सबसे पहले आपको ये बात समझनी होगी कि सेविंग्स और इमरजेंसी फंड में अंतर है। आम तौर पर सेविंग्स का इस्तेमाल प्लांड चीजों के लिए किया जाता है, जैसे आपको घर खरीदना हो, नया काम शुरू करना हो या अपने बच्चे की पढ़ाई में खर्च करना हो। इसके विपरीत इमरजेंसी फंड का इस्तेमाल अचानक आए खर्चों के लिए किया जाता है, जैसे आपकी नौकरी चली गई, बिजनेस में घाटा हो गया, कोई बीमार पड़ गया, अचानक घर बनवाना हो, परिवार में किसी को पैसे देने हो या कोई अन्य आर्थिक जरूरत आन पड़ी हो। ऐसी स्थितियों में इमरजेंसी फंड बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। ये आपको आर्थिक मजबूती के साथ मानसिक मजबूती भी देता है और आर्थिक जरूरतों के लिए आपको कर्ज लेने से भी बचाता है। अब सवाल ये उठता है कि आय और खर्चों के अनुसार आप अपना इमरजेंसी फंड कैसे बना सकती हैं?
इमरजेंसी फंड के लिए अलग हो अकाउंट
इमरजेंसी फंड के लिए सबसे जरूरी बात यह है कि इमरजेंसी फंड के लिए आप सेविंग्स अकाउंट और लिक्विड फंड से अलग, एक अन्य अकाउंट बनाएं और उसमें अपनी सैलरी का एक निश्चित अमाउंट जोड़ती जाएं। आप चाहें तो किसी भी तरह से मिलनेवाले बोनस और टैक्स रिफंड भी इसमें डाल सकती हैं। कोशिश करें कि आपकी इमरजेंसी फंड में कम से कम 6 महीने का खर्च अमाउंट हो। उदाहरण के तौर पर यदि आपका महीने का खर्च 25,000 रूपये हैं, तो आपके इमरजेंसी फंड में कम से कम डेढ़ लाख रूपये जमा होने ही चाहिए। अब सवाल यह उठता है कि इमरजेंसी फंड के नाम पर हर महीने आपको कितना अमाउंट रखना चाहिए? अक्सर ये सवाल लोगों को परेशान करता है क्योंकि इमरजेंसी फंड के अलावा वे कुछ प्लांड सेविंग भी करते रहते हैं। ऐसे में आपको ये बात भी समझनी होगी कि सेविंग और इमरजेंसी फंड के चक्कर में फंसकर आप इतना भी स्ट्रेस न लें कि भविष्य संवारने में वर्तमान ही बिगाड़ दें। फिर भी यदि आपकी सैलरी 50,000 है तो इमरजेंसी फंड में कम से कम 20,000 जरूर जमा करें।
इन बातों का रखें ख्याल
जैसा कि इमरजेंसी के लिए बचाए जा रहे रुपयों को इमरजेंसी फंड कहा जाता है, तो कोशिश कीजिए कि आप इनका उपयोग सिर्फ इमरजेंसी में ही करें। संभव हो तो समय-समय पर इनका रिव्यू करती रहें और अपनी सैलरी के अनुसार इसका अमाउंट भी बढ़ाती रहें। आप चाहें तो इमरजेंसी फंड के पैसों को बैंक में रखने की बजाय म्युचुअल फंड, शॉर्ट टर्म इनकम इंस्ट्रूमेंट और बॉन्ड में भी इंवेस्ट कर सकती हैं, लेकिन सही गाइडेंस के साथ। हालांकि आपको इस बात का भी खास ख्याल रखना होगा कि इमरजेंसी फंड फाइनेंशियल कुशन की तरह होता है, ना कि ऐसेट्स की तरह, जिनका उपयोग आप अपनी सहूलियत से कभी भी कर लें। साथ ही इमरजेंसी फंड रातों-रात जमा नहीं होते, ऐसे में उनका उपयोग काफी सोच-समझकर और पूरी सावधानी से करें।