शादी केवल एक दूसरे के साथ प्यार, विश्वास या फिर दोस्ती की साझेदारी नहीं है, बल्कि आर्थिक तौर पर भी यह आपके रिश्ते को मजबूत बनाने की एक नई शुरुआत है। शादी के बाद पति और पत्नी को अपने घर की आर्थिक जिम्मेदारी की सीढ़ी साथ मिलकर चढ़नी चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि आप एक दूसरे से हर आर्थिक जिम्मेदारी पर खुलकर बात करें। आप इसके लिए शादी के कुछ दिन बाद साथ में मिलकर योजना बना सकती हैं। आर्थिक जिम्मेदारी बांटने के लिए आपको कब और किस तरह से शुरुआत करनी चाहिए, आइए जानते हैं विस्तार से।
खर्चों के लिए बनाएं अकाउंट
बैंक में आप दोनों के अलग जमा खाता होने के साथ एक ज्वाइंट सेविंग अकाउंट भी शुरू करें। इस अकाउंट में आप एक साथ घर के खर्च के लिए पैसे जमा कर सकते हैं। इससे आप इस बात की भी जानकारी हर महीने हासिल कर सकती हैं कि पैसे कहां पर और कितना खर्च हो रहा है। साथ ही आपको इस तरह से अपने खर्च का हिसाब रखने में भी सहायता होती है, लेकिन याद रखें कि एक अलग से निजी अकाउंट भी होना चाहिए, जहां पर आप अपने खर्च से अलग खुद के लिए पैसे अलग से से सुरक्षित रख सकें।
न करें संकोच खुल कर करें बात
आर्थिक जिम्मेदारी को लेकर एक दूसरे से खुलकर बात करें। यह बहुत जरूरी है कि आप घर खर्च या फिर किसी भी तरह के खर्च को लेकर अपने हमसफर से खुलकर बात करें। इससे आपको अपने हमसफर की आर्थिक योजना को समझने में आसानी होगी। आप खर्च को लेकर अपने हमसफर से बात करके उनके नजरिए को साफ तरीके से समझ सकती हैं, साथ ही आप अपने निजी फाइनेंस की भी प्लानिंग को सही तरह से मैनेज कर सकती हैं।
फाइनेंस प्लानिंग जरूरी
हर महीने के आखिरी तारीख से दो दिन पहले एक डायरी बनाएं, जहां पर आप अपने पूरे महीने के खर्च की जानकारी साझा करें। इससे आपको पता चलेगा कि पिछले महीने कितना अधिक खर्च हुआ है और आप भविष्य के आने वाले महीनों में कैसे इसकी बचत कर सकती हैं। इस पर भी बात करें कि कौन कहां और किस वक्त खर्च करेगा, इससे आपको पूरे महीने का बजट बनाने में आसानी होगी।
घर का तैयार करें बजट
घर का बजट तैयार करने के लिए आपको शादी के बाद घर खर्च के अलावा अपनी निजी जरूरत को भी शामिल करना चाहिए। इससे आपको यह पता चलेगा कि आपको कितने पैसे कहां पर सुरक्षित रखना है और कहां पर जरूरत के लिए संभाल कर रखना है। बजट तैयार करने का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि आप अधिक खर्च होने से सुरक्षित हो जाते हैं और आपके पास पूरे महीने की योजना और खर्च की पूरी गाइड भी तैयार हो जाती है।
इमरजेंसी पर भी चर्चा जरूरी
घर खर्च के अलावा आर्थिक जिम्मेदारी इमरजेंसी के दौरान भी बांटी जानी चाहिए। कई बार किसी बीमारी या फिर कोई इमरजेंसी हालात के लिए एक बड़ी रकम की जरूरत पड़ती है। अगर आप साथ मिलकर बड़ी रकम हर महीने इमरजेंसी के लिए रखती हैं, तो यह आपके जरूरत का आर्थिक साथी बन जाता है, जैसे आपके पास 10 हजार रुपए हैं, ऐसे में आपको 4 हजार घर खर्च पर जमा करने हैं, को इसके बाद इमरजेंसी के लिए आप 3 या 4 हजार रुपए अलग से सुरक्षित रख सकती हैं। ऐसा करने से आपको इमरजेंसी के दौरान किसी से उधार लेने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और साथ ही इमरजेंसी के नाम पर आपके पास हर महीने एक अच्छी रकम भी हर माह सुरक्षित होती जाएगी, जो कि जरूरत के वक्त काम आएगी।