शेयर बाजार का शाब्दिक अर्थ है, वो बाजार जहां कंपनियों की हिस्सेदारी (शेयर) खरीदी या बेची जाती है। आइए जानते हैं शेयर बाजार और इससे जुड़े इंवेस्टमेंट की कुछ मूलभूत बातें।
शेयरों के खरीद-फरोख्त का बाजार है, शेयर बाजार
शेयर बाजार में आम तौर पर शेयरों की नीलामी होती है, जिसके अंतर्गत बेचनेवाला, सबसे ऊंची बोली लगाकर शेयर बेचता है और खरीदनेवाला, जो सबसे कम कीमत में बेचे, उससे शेयर खरीद लेता है। अन्य बाजारों की तरह यहां भी ग्राहक और दुकानदार होते हैं, जो एक दूसरे से मिलकर मोल-भाव करते हैं। गौरतलब है कि पहले ये खरीद-फरोख्त मौखिक हुआ करते थे, लेकिन सूचना क्रांति के बाद अब सब कुछ स्टॉक एक्सचेंज के नेटवर्क से जुड़े कंप्यूटरों द्वारा होता है। विशेष रूप से हमारे देश में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के जरिए एक दिन में करोड़ों रुपयों के शेयर बेचे और खरीदे जाते हैं। NSE अब तक का सबसे बड़ा एक्सचेंज है, जहां 90 प्रतिशत से ज्यादा कारोबार कैश के जरिए होता है।
क्या है स्टॉक इंडेक्स
ये एक्सचेंज, कंपनियों को सूचीबद्ध करके इंडेक्स मैनेज करता है। निफ्टी (NIFTY) और सेंसेक्स (SENSEX) भारत की दो सबसे बड़ी इंडेक्स हैं, जिनमें निफ्टी के अंतर्गत नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की 50 सबसे बड़ी कंपनियां और सेंसेक्स में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की 30 कंपनियां सूचीबद्ध हैं। आम तौर पर फंड मैनेजर और दूसरे स्टॉक के प्रदर्शन को मापने के लिए स्टॉक मार्केट इंडेक्स का इस्तेमाल किया जाता है। ये स्टॉक एक्सचेंज, न सिर्फ कंपनियों को सूचीबद्ध करती है, बल्कि शेयर बाजार की नीलामी को सरल और सही ढंग से करने के लिए कई नियमों के साथ कंप्यूटर की मदद, शेयर ब्रोकर और इंटरनेट जैसी सुविधाएं भी देती हैं।
शेयर बाजार में इंवेस्ट करने से पहले
इसमें दो राय नहीं कि यदि आपको शेयरों के लेन-देन की अच्छी जानकारी है, तो शेयर बाजार आपको पैसे कमाने का बेहतरीन मौका देती है। दूसरे शब्दों में कहें तो सूझ-बूझ के साथ अपने पैसे इंवेस्ट करने के लिए शेयर बाजार से बेहतर, और कोई जगह नहीं है। हालांकि इसमें अपनी गाढ़ी कमाई इंवेस्ट करने से पहले आपको अपनी जरूरतों और सीमाओं के साथ इससे जुड़े जोखिमों को भी जान लेना बेहद जरूरी है। इसके अलावा अपनी आय को, अपने खर्चों से अलग करते हुए एक रकम निर्धारित करनी चाहिए, जिससे आपको मुनाफा मिल सके। हां, शेयर बाजार में इंवेस्ट करने से पहले इस बात को भी जान लेना जरूरी है कि जिसमें आप इंवेस्ट करने जा रही हैं, उसमें कितना जोखिम है। यदि आप जोखिम नहीं उठाना चाहतीं, तो आप शेयरों की बजाय फिक्स डिपॉजिट या डिबेंरचर में इंवेस्ट कर सकती हैं।
कुछ गलतियां जो पड़ सकती हैं भारी
इंवेस्टमेंट के लिए सही समय पर बाजार में दाखिल होना, शेयर बाजार की सबसे जरूरी बात है, जिसे लोग अक्सर अनदेखी कर देते हैं। शेयर बाजार में आप ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों तरीके से अपने ऑर्डर्स आगे बढ़ा सकती हैं, लेकिन यदि आप ऑफलाइन का विकल्प चुनती हैं, तो आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि आपने जिन्हें ऑर्डर दिया है, उन्होंने आपका ऑर्डर सही तरह से समझ लिया है। इसके अलावा अक्सर देखा गया है कि लोग अपने पैसे इंवेस्ट करने के बाद इस कदर निश्चिंत हो जाते हैं कि वे अपना इंवेस्टमेंट पोर्टफोलियो भी चेक नहीं करते। शेयर बाजार लगातार चलनेवाला बाजार है, जहां हर रोज कुछ नया घटित होता रहता है। ऐसे में उसकी शर्तें भी बदलती रहती हैं। इसलिए समय-समय पर अपने इंवेस्टमेंट पोर्टफोलियो की जांच करती रहें, जिससे आप सही समय पर दाखिल होने के साथ बाहर निकल सकें और नुकसान से बच सकें। इसके अलावा कुछ इंवेस्टमेंट के शौकीन अक्सर टैक्स लायबिलिटीज को नजरअंदाज कर देते हैं, सो आप यह गलती न करें।
शेयर बाजार में निवेश करने के लिए
जैसा कि हमने आपको बताया थोड़ी-सी सूझ-बूझ और ज्ञान से आप शेयर बाजार के जरिए कम समय में ज्यादा पैसे कमा सकती हैं, लेकिन आप सीधे शेयर बाजार में खरीद-फरोख्त नहीं कर सकतीं। इसके लिए आपको ऐसे ब्रोकर या ब्रोकरेज कंपनियों से संपर्क करना होगा, जिन्हें बाजार में व्यापार के लिए अधिकृत किया गया है। उनके प्लेटफॉर्म का उपयोग करके ही आप शेयर बाजार में दाखिल हो सकती हैं। शेयर बाजार में अपनी इंवेस्टमेंट जर्नी शुरू करने से पहले, आपको किसी अधिकृत ब्रोकर या स्टॉक ब्रोकरेज कंपनी के साथ एक ट्रेडिंग अकाउंट ओपन करना होगा। इसी अकाउंट के जरिए आप अपने ऑर्डर्स आगे बढ़ा सकती हैं। ट्रेडिंग अकाउंट के साथ ब्रोकर या स्टॉक ब्रोकरेज कंपनी आपके नाम पर एक डीमैट अकाउंट भी ओपन करती है, जो आपकी फाइनेंशियल सिक्योरिटीज को सुरक्षित रखती है। ये दोनों अकाउंट, केवायसी प्रक्रिया के बाद आपके बैंक अकाउंट से लिंक हो जाता है, जिससे जरूरत पड़ने पर पैसे आपके बैंक अकाउंट में ट्रांसफर हो सके। अकाउंट सेट होने के बाद आप ट्रेडिंग यूजर बन जाती हैं और शेयर बाजार में खरीद-फरोख्त कर सकती हैं। हालांकि इसके लिए आपको इन चैनलों को एक रकम चुकानी होती है, जो सालाना 500 से 1000 रुपये हो सकते हैं।
इंवेस्टमेंट के तरीके
शेयर बाजार में इंवेस्टमेंट के कई तरीके हैं, जिनमें इक्विटी, बॉन्ड, म्युचुअल फंड, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड और डेरिवेटिव शामिल हैं। इनमें जहां इक्विटी शेयर के माध्यम से कंपनी अपने किसी भी लाभ पर आपको दावा प्राप्त करने का अधिकार देती है, वहीं बॉन्ड, कंपनियों और सरकारों द्वारा जारी एक प्रमाणपत्र है, जिसके माध्यम से आपके द्वारा उन्हें दिए गए कर्ज की पुष्टि होती है। आम तौर पर बॉन्ड एक निश्चित समय सीमा के साथ एक निश्चित ब्याज दर पर होता है, इसलिए इन्हें निश्चित आय साधन भी कहते हैं। म्युचुअल फंड, फाइनेंशियल संस्थानों जैसे बैंकों द्वारा जारी और संचालित किए जाते हैं। ये भी पैसे इकट्ठे करने का एक माध्यम है। इसके अंतर्गत आपको आपके इंवेस्ट किए गए इंवेस्टमेंट के आधार पर रिटर्न मिलता है। एक्सचेंज ट्रेडेड फंड, एक ऐसा फंड है जो निफ्टी या सेंसेक्स जैसे इंडेक्स को ट्रैक करते हैं। फिलहाल यह काफी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। आम तौर पर डेरिवेटिव, एसेट्स से मिलता है और ये एसेट्स कोई भी वस्तु, करंसी, स्टॉक, बॉन्ड और मार्केट इंडेक्स या इंट्रस्ट रेट हो सकते हैं।
क्या है मार्केट कैप और कैसे काम करता है?
हालांकि इंवेस्ट करने से पहले आपको मार्केट कैप समझना होगा। मार्केट कैप, कंपनी की 100 प्रतिशत वैल्यू होती है। उदाहरण के तौर पर यदि किसी कंपनी का मार्केट कैप 20,000 करोड़ रुपये हैं, तो आपको उस कंपनी के सभी शेयर खरीदने के लिए इतने पैसे खर्च करने होंगे। मार्केट कैप के अंतर्गत लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप आते हैं। लार्ज कैप को सेबी ने मार्केट कैप के हिसाब से 100 सबसे बड़े स्टॉक में रखा है। ये मिड और स्मॉल कैप की तरह तेजी से नहीं बढ़ती, लेकिन लंबी अवधि में ये अच्छा रिटर्न देती है। यही वजह है कि इन्हें सबसे कम जोखिम वाला माना जाता है। मिड कैप के अंतर्गत आम तौर पर 10,000 करोड़ से लेकर 25,000 करोड़ के बीच वाली मार्केट कैप कंपनियां आती हैं। इनमें लार्ज कैप कंपनियों के मुकाबले ज्यादा विकास करने की क्षमता और जोखिम दोनों होता है। स्मॉल कैप, छोटी कंपनियों के स्टॉक होते हैं, जो अन्य दो की तुलना में काफी अस्थिर होने के साथ जोखिम भरे भी होते हैं। दिलचस्प बात यह है कि रिटर्न की संभावना काफी होने के बावजूद इसके खरीदार बेहद कम होते हैं।
जोखिम उठाने की क्षमता का आकलन भी है जरूरी
शेयर बाजार एक अनिश्चित बाजार है, अत: इसमें इंवेस्टमेंट करते समय जोखिम का आकलन करना न भूलें। विशेष रूप से इंवेस्टमेंट की अवधि, आयु, लक्ष्य और पूंजी, ये जोखिम के चार फैक्टर हैं, जिनका आकलन बहुत जरूरी है। उदाहरण के तौर पर अगर आपके ऊपर घर की पूरी जिम्मेदारियां हैं, तो आपके लिए कम जोखिम लेना ही ज्यादा समझदारी होगी। इसके अलावा अपने इंवेस्टमेंट पोर्टफोलियो में ज्यादा लार्ज कैप स्टॉक रखकर आप अपने भविष्य को भी सुरक्षित रख सकती हैं। दूसरी तरफ यदि आप युवा हैं और आपके ऊपर घर की कोई जिम्मेदारी नहीं है, तो आप जोखिम उठाकर स्मॉल कैप में इंवेस्ट करके अधिक मुनाफा कमाने का प्रयत्न कर सकती हैं। वैसे चुनाव आपको ही करना होगा कि आपको कितना जोखिम लेना है, क्योंकि जोखिम और मुनाफा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।