महीने के अंत में बड़ा झटका तब लगता है, जब खर्च का पूरा हिसाब-किताब सामने आता है, फिर हमें अहसास होता है कि क्या हमने फिजूल खर्च कर दिया है। अक्सर ऐसा होता है, जब न चाहते हुए भी हम अपने बजट के बाहर जाकर कई खर्च कर देते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि हम सिर्फ खर्च करते चले जाते हैं, लेकिन कब, कहां और कितना खर्च हो रहा है, इससे खुद को अनजान रखते हैं। चलिए विस्तार से जानते हैं कि कैसे आप खर्च के गणित को अपने कंट्रोल में रख सकती हैं।
कार्ड का नहीं कैश का करें उपयोग
कैश नहीं है, तो क्या हुआ, कार्ड काम आ जाएगा। यही सोच हमें अधिक खर्च की तरफ लेकर जाती है। क्रेडिट कार्ड और ऑनलाइन पैसे भेजने की अन्य सुविधाएं कई बार खर्च की गिनती बड़ा देती है। अगर आपके पास कार्ड मौजूद है, तो उसे अपने घर की अलमारी में रख दें, ताकि जब भी मेडिकल इमरजेंसी होने पर कार्ड काम आ सकें। शॉपिंग, पार्टी या फिर घूमने के दौरान नकद पैसे अपने पास रखें। इससे आपके पास जितने पैसे होंगे आप उतना ही खर्च करेंगी। कार्ड की सुविधा होने से कई बार आवश्यकता से अधिक खर्च हो जाता है।
अपने खर्चों का रखें हिसाब
चाहे आप अकेली रहती हैं या फिर परिवार के साथ। आपके लिए अपने खर्च का हिसाब रखना बेहद जरूरी है। आप दिन में 100 रुपए खर्च करती हैं या फिर 1000 आपको अपने हर खर्च को लिख कर रखना चाहिए। आप अपने मोबाइल फोन पर भी हर दिन के खर्च का एक नोट बनाकर रख सकती हैं। इससे यह होगा कि आपने हर महीने कितना खर्च किया है और इसमें से कितना जरूरी और कितना गैर जरूरी खर्च है, इसकी जानकारी मिल जाएगी। साथ ही, आप अगले महीने की तुलना में आने वाले महीने में कम खर्च करेंगी।
अपने हर जरूरी खर्च का बजट बनाएं
घर के जरूरी सामान से लेकर अपने जरूरत के खर्च को लेकर आपको एक बजट बनाना चाहिए। हम यह नहीं कह रहे हैं कि आप खुद पर खर्च न करें, लेकिन एक हिसाब बनाएं कि आपको कैसे हर महीने के बचत किए हुए पैसे से 3 महीने बाद खुद के लिए कोई शॉपिंग करनी है या फिर कहीं पर घूमने जाना है। आप अपने लिए कोई सामान खरीद रही हैं, तो एक बजट तय करें कि आपको इतने पैसे के अंदर ही खुद के लिए कपड़े या फिर अन्य जरूरी सामान की खरीदी करनी है। घर के राशन और बिजली खर्च के साथ अन्य खर्च के लिए आपको अलग से पैसे महीने के शुरुआत में रखना चाहिए।
खर्च के लिए खोलें अलग अकाउंट
अगर आप अपने सैलरी अकाउंट या फिर सेविंग अकाउंट से पैसे निकालकर हर दिन का खर्च उठा रही हैं, तो ऐसा न करें। अपने खर्च के लिए एक अलग से अकाउंट शुरू करें। इसके बाद आप अपने सैलरी अकाउंट से हर महीने एक तय अमाउंट अपने नए बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करें और जब बारी खर्च की आए, तो इसी अकाउंट का इस्तेमाल करें। इससे आप अधिक खर्च करने से खुद को सुरक्षित कर लेंगी। अलग अकाउंट से आपको यह भी जानकारी मिलेगी कि आपने हर महीने कितना खर्च किया है और आपके सारे खर्च की जानकारी भी आपके पास मौजूद होगी।
क्या खरीदना है यह समझें
कब और क्या खरीदना है, इसकी समझ भी होना आवश्यक है। महीने के शुरुआत में घर के जरूरी खर्च पर फोकस करें, वहीं महीने के अंत के सप्ताह को ऐसे मैनेज करें कि आप अगले महीने के लिए कुछ पैसे अपने हर महीने के बजट से सुरक्षित कर लें।