हम अक्सर घर के बजट की बात तो करते हैं और कहते हैं कि ये महंगा हो गया, उसके दाम बढ़ गए, पूरा बजट बिगड़ गया, लेकिन क्या वाक़ई आप बजट बनाते हो? हम में से अधिकांश लोग मोटे तौर पर ही महीने का हिसाब-किताब कर लेते हैं, लेकिन गंभीरता से कभी बैठकर बजट नहीं बनाते. तो सबसे पहले जानते हैं कि आख़िर बजट बनाना क्या इतना ज़रूरी है? और इस बारे में हमें गाइड कर रहे हैं चार्टेड अकाउंटेंट व फायनेंस एक्स्पर्ट एस. बंसल से।
क्यों ज़रूरी है बजट बनाना?
इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि आप फ़िज़ूलखर्ची से बच जाते हैं, पैसे ज़्यादा बचा सकते हैं और आपको अंदाज़ा हो जाता है कि कब, कहां और कितना खर्च करना है. इससे आप अपने खर्च करने की आदतें भी बदल सकते हो क्योंकि आपको अंदाज़ा होने लगता है कि पैसे कितने आते हैं और कहां-कहां खर्च होते जाते हैं.
अब जानते हैं ईज़ी स्टेप्स और टिप्स जिनको आपको फ़ॉलो करते हुए बजट बनाना है…
सबसे पहले अपनी इंकम को नोट करें, हर महीने कितने पैसे आते हैं उसका हिसाब किताब लिखें.
हर महीने कितने पैसे खर्च होते हैं वो भी नोट करें. कुछ बचत होती है या नहीं- वो भी लिखें.
अब आप अपने ज़रूरी ख़र्चों की लिस्ट बना लें, जैसे- बिजली का बिल, बच्चों के स्कूल की फीस, ईएमआई, आदि. ये खर्च ऐसे हैं जिनको आप टाल नहीं सकते. ये आपको हर बार करने ही हैं.
इसी तरह जैसे राशन-किराने का खर्च है, मनोरंजन और शॉपिंग से जुड़े खर्च हैं ये कम-ज़्यादा हो सकते हैं. खाने-पीने में कटौती करने की ज़रूरत नहीं, लेकिन इनमें भी कई ग़ैरज़रूरी सामान हम ले आते हैं, जैसे- अनहेल्दी स्नैकिंग के लिए पैक्ड स्नैक्स, कोल्ड ड्रिंक्स आदि. इनको कम कर दें ताकि बच्चों को भी हेल्दी खाने की आदत पड़े. बेहतर होगा इनकी जगह फ़्रूट्स या कुछ घर पर ही बनाकर रखें. वो किफ़ायती भी होगा और हेल्दी भी. कोल्ड ड्रिंक्स की जगह नींबू पानी आदि पिएं.
अब आप ग़ैर ज़रूरी ख़र्चों की लिस्ट बना लें. इससे आपको अंदाज़ा हो जाएगा कि आप फ़िज़ूलखर्च कहां कर रहे हैं.
मिल-जुलकर बजट बनाएं
बेहतर होगा कि आप सभी मिल-जुलकर बजट बनाएं. ऐसे में जो चीज़ें आप मिस कर रहे हैं वो दूसरे को याद आ सकती है और वो सब बचत व निवेश संबंधी अपनी राय भी दे सकते हैं.
सभी ख़र्चों के लिए अलग-अलग पैकेट्स बनाकर उसमें उतने ही पैसे रखें जितना आपने हिसाब लगाया है. इससे आपको ये पता होगा कि इस खर्च के लिए आपके पास इतने ही पैसे हैं और आपको इसी में काम चलाना है. अपने बनाए नियमों का ईमानदारी से पालन करें, कोई चीटिंग न करें.
इसके अलावा इन बातों पर भी ध्यान दें-
मॉल से या बड़ी जगहों से सामान ख़रीदने की बजाय होल सेल या लोकल मार्केट से लें.
ख़र्चों पर भी ध्यान दें, बेवजह क्रेडिट कार्ड का उपयोग न करें.
एमर्जेंसी फ़ंड्स अलग से रखें.
कई ऐसे ऐप्स होते हैं जो आपको बाद में पे करने की सुविधा देते हैं लेकिन अक्सर देखा गया है कि जब आपको लगता है कि आपको अभी पैसे भरने नहीं तो आप इन ऐप्स के ज़रिए कई ऐसे खर्च कर देते हैं जिनकी असल मेंआपको ज़रूरत ही नहीं यानी ये फ़िज़ूल खर्च को बढ़ावा भी दे सकते हैं, इसलिए इनका इस्तेमाल करते वक़्त सावधानी व सतर्कता बरतें.
अपनी लिस्ट में ज़रूरी ख़र्चों व चीजों को प्राथमिकता दें. जिन ख़र्चों को आप अवॉइड कर सकते हैं, उनको अवॉइड ज़रूर करें.
अपने ज़रूरी बिल्स व ख़र्चों में भी कैसे कटौती कर सकते हैं इस पर भी ज़रूर विचार करें.
ऐसे करें बचत…
बिजली के बिल को कम करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स की सर्विसिंग नियमित रूप से करवाएं.
गर्मियों में एसी यूज़ करने से पहले दरवाज़े और खिड़कियों को अच्छी तरह बंद करके ही एसी चलाएं.
रातभर एसी चलाने की बजाय दो-तीन घंटे कूलिंग कर लें. बेहतर होगा कि एसी के साथ फ़ैन भी चलाकर कूलिंग फ़ास्ट कर लें और उसके बाद दरवाज़े व खिड़कियां बंद ही रखकर सिर्फ़ फ़ैन ऑन रखें. रातभर कूलिंग बनी रहेगी. आप चाहें तो दिन में एसी की बजाय टेबल फ़ैन के आगे आइस बॉक्स रखकर फ़ैन चलाएं. काफ़ी ठंडक महसूस होगी.
गैस यूज़ करने के सभी नियमों का पालन करें. खाना ढंककर पकाएं, क्योंकि बिना ढंके खाना बनाने पर गैस तीन गुनाअधिक ख़र्च होती है.
रात को सोते समय गैस का वाल्व बंद करके सोएं. नियमित रूप से गैस की सर्विसिंग कराते रहें.
कुछ भी पकाते समय ध्यान रखें कि उसे फ्रिज से एक-दो घंटे पहले ही बाहर निकाल लें. जब वह रूम टेंप्रेचर पर आ जाए, तभी पकाएं.
कुकर में खाना जल्दी बनता है और गैस भी कम ख़र्च होती है, इसलिए कड़ाही या पैन में बनाने की बजाय प्रेशर कुकर का इस्तेमाल करें.
पानी या चाय बार-बार गैस पर गर्म करने की बजाय या उबालने की बजाय एक बार गरम करके फ्लास्क में रख लें, क्योंकि बार-बार गैस पर चीज़ें गर्म करने से भी गैस अधिक ख़र्च होती है.
सही साइज़ के पैन या कड़ाही का इस्तेमाल करें, क्योंकि बड़े पैन या कड़ाही का इस्तेमाल करने पर उन्हें गरम होने और उनमें खाना पकाने पर गैस की खपत ज़्यादा होती है.