आज के इस महंगाई के दौर में बचत खातों पर निर्भर रहते हुए अपने खर्चे उठाना और अपनी जरूरतें पूरी कर पाना लगभग असंभव हो चुका है। यही वजह है कि अधिकतर लोग बैंकों द्वारा दिए जा रहे तरह-तरह के लोन की तरफ खींचे चले जा रहे हैं। आइए जानते हैं इन सभी लोन के बारे में।
बैंकों के साथ कई नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कॉर्पोरेशंस
लोगों की आर्थिक परिस्थितियों के साथ उनकी जरूरतों को देखते हुए बैंकों के साथ कई नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कॉर्पोरेशंस हैं, जो आसान शर्तों के साथ कम इंट्रस्ट रेट पर एक फिक्स्ड ईएमआई के तहत अपने ग्राहकों को लोन देती हैं। गौरतलब है कि ग्राहकों को यह लोन एक निश्चित अवधि के साथ निश्चित इंट्रस्ट रेट पर देती है और उस अवधि के बाद यदि ग्राहक लोन की रकम नहीं लौटा पाते, तो उनसे अतिरिक्त इंट्रस्ट रेट वसूलती है। गौर करने वाली बात यह भी है कि यह लोन कई तरीके के होते हैं, जो ग्राहकों की जरूरतों के अनुसार उन्हें दी जाती है। इन तरह-तरह के लोन की शर्तें और नियम भी अलग-अलग होते हैं। यदि आप भी अपनी जरूरतों के मद्देनजर लोन लेने की योजना बना रही हैं, तो सबसे पहले आपको ये जानना होगा कि लोन होते कितने प्रकार के हैं और उनकी विशेषताएं क्या हैं।
निश्चित समय सीमा के साथ इंट्रस्ट रेट
बैंकिंग और नॉन बैंकिंग सेक्टर के अंतर्गत लोन 3 प्रकार के होते हैं, जिनमें अवधि लोन, सुरक्षित लोन और असुरक्षित लोन शामिल हैं। हालांकि इन 3 प्रकार के लोन में भी कई तरह के लोन आते हैं, जो ग्राहकों की जरूरतों के अनुसार होते हैं। फिलहाल अवधि लोन की बात करें तो जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है अवधि लोन के अंतर्गत निश्चित समय सीमा या ड्यूरेशन की बात की जा रही है, जिसका वर्गीकरण इंट्रस्ट रेट और समय के आधार पर किया गया है। इनमें भी इंट्रस्ट रेट के अंतर्गत आनेवाले अवधि लोन में जहां फिक्स्ड रेट और फ्लोटिंग रेट का समावेश होता है, वहीं समय के अंतर्गत आनेवाले अवधि लोन में शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म का समावेश होता है। फिक्स्ड रेट का मतलब है कि बैंक रेपो रेट में चाहे कितना भी अंतर कर दे, लेकिन फिक्स्ड रेट, लोन की अवधि तक वैसे ही रहेंगे। हां, फिक्स्ड इंट्रस्ट रेट, फ्लोटिंग इंट्रस्ट रेट की तुलना में अधिक महंगे और ज्यादा विश्वसनीय होते हैं। इसकी वजह यह है कि बैंक अपना इंट्रस्ट रेट चाहे कितना भी बदल ले, किंतु ईएमआई पर इनका कोई असर नहीं पड़ेगा। इसके अलावा शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म लोन के अंतर्गत शॉर्ट टर्म लोन में, लॉन्ग टर्म लोन की तुलना में इंट्रस्ट रेट कम और ईएमआई ज्यादा होती है, लेकिन ये लोन उन्हें ही दिया जाता है, जो इसे चुका पाने में सक्षम होते हैं।
सिक्योर लोन की विशेषताएं
सुरक्षित या सिक्योर लोन के अंतर्गत आम तौर पर गोल्ड लोन, होम लोन, प्रॉपर्टी लोन और बिजनेस लोन आते हैं, जिसे विशेष रूप से लोन की रकम के बराबर कोलेटरल द्वारा सिक्योर किया जाता है। इसमें आपके घर के साथ आपकी प्रॉपर्टी, बॉन्ड या स्टॉक कुछ भी हो सकता है। ऊपर बताई गई तीनों लोन में नाम के मुताबिक सुरक्षित लोन वाकई सुरक्षित होता है, क्योंकि इसमें एक साथ बहुत बड़ी रकम उधार ली जा सकती है। हालांकि ग्राहकों के साथ बैंकों और नॉन बैंकिंग कॉर्पोरेशंस के लिए भी सुरक्षित होती है, क्योंकि आपके द्वारा पैसे वापस न कर पाने की सूरत में उनके पास यह अधिकार होते हैं कि वे आपकी गिरवी रखी चीजों को नीलाम करके अपने पैसे वापस ले ले। ग्राहकों के लिए भी यह लोन काफी सुविधाजनक होती है, क्योंकि लंबे समय के साथ उन्हें कम इंट्रस्ट रेट पर रकम मिल जाती है। हालांकि इस लोन को पाने के लिए ग्राहकों को काफी कागजी कार्रवाइयों से गुजरना पड़ता है।
सिक्योर लोन की शर्तें
सुरक्षित लोन के अंतर्गत आनेवाले गोल्ड लोन को आप लेती हैं, तो आपको रकम पाने के एवज में अपना गोल्ड रखना होगा। यदि आप किसी कारण से लोन नहीं चुका पाती हैं तो जहां से आपने लोन लिया है, वो आपका गोल्ड जब्त कर सकती है। इसी तरह बिजनेस लोन लेने के लिए आपको अपने स्टॉक, प्रॉपर्टी, इंश्योरंस पॉलिसी और बॉन्ड उनके पास गिरवी रखने होते हैं, जिनसे आपने लोन लिया है। यही शर्त प्रॉपर्टी और होम लोन पर भी लागू होती है। हालांकि इन लोन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके अंतर्गत दी जानेवाली रकम आपकी प्रॉपर्टी वैल्यू से कम होती है, जिससे जरूरत पड़ने पर वे आपकी प्रॉपर्टी बेचकर अपनी रकम वसूल कर सकें। गौरतलब है कि होम लोन में वे आपकी प्रॉपर्टी यानि की जिस घर को लेने के लिए आप लोन ले रही हैं, उसे ही अपने पास गिरवी रख लेते हैं, जिससे रकम न लौटाने की सूरत में वे आपकी रकम इस घर को बेचकर अपने पैसे वसूल कर सकें।
नाम के मुताबिक इनसिक्योर लोन से जुड़ा है रिस्क
असुरक्षित लोन या इनसिक्योर लोन के अंतर्गत वे लोन आते हैं, जिसके लिए आपको कुछ गिरवी रखने की जरूरत नहीं होती। एमएसएमई लोन, स्टूडेंट लोन और पर्सनल लोन को असुरक्षित लोन में गिना जाता है, क्योंकि इस लोन में, लोन देनेवाले को काफी रिस्क होता है। इसकी वजह यह है कि लोन देनेवाले के पास उसके ग्राहकों की ऐसी कोई प्रॉपर्टी नहीं होती, जिसे बेचकर या जब्त कर वो अपनी रकम वसूल कर सकें। यही वजह है की इस लोन का इंट्रस्ट रेट, असुरक्षित लोन से ज्यादा होता है। हालांकि असुरक्षित लोन में रिस्क लेकर भी लोन देते समय ग्राहकों की तरफ से इन बातों का खास ख्याल रखा जाता है, जैसे की आपका क्रेडिट स्क्रोर कैसा है? आपका प्रोफेशन या बिजनेस क्या है? आपकी इनकम कितनी है? आपने कोई और लोन तो नहीं लिया है? आपके सेविंग्स अकाउंट में कितने पैसे हैं? आपके इंवेस्टमेंट्स क्या-क्या हैं? इत्यादि। हालांकि इस लोन की कुछ शर्तें भी होती हैं, जैसे ज्यादा इंट्रस्ट रेट के साथ कम समय। असुरक्षित लोन आम तौर पर 5 से 7 वर्ष के अंतराल में चुकाना होता है और इसमें मिलनेवाली रकम लिमिटेड होती है। हालांकि इस लोन की सबसे बड़ी विशेषता यह है की इसमें लोन जल्दी मिल जाता है।
इनसिक्योर लोन की विशेषताएं
असुरक्षित लोन के अंतर्गत आनेवाला पर्सनल लोन, आम तौर पर ग्राहक अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए लेता है, किंतु स्टूडेंट्स लोन या एज्युकेशन लोन बच्चे या पैरेंट्स पढ़ाई के लिए लेते हैं। अगर आप या आपका बच्चा विदेश जाकर पढ़ना चाहता है या अपने ही देश में कोई महंगा कोर्स करना चाहता है, तो इन सूरतों में आप एज्युकेशन लोन ले सकती हैं। वैसे भी आज के जमाने में एज्युकेशन काफी महंगी हो चुकी है, ऐसे में अगर आपके पास फंडिंग है तो आपके लिए उच्च शिक्षा का सपना देखना आसान हो जाता है और लोन इसमें काफी मददगार साबित होते हैं। हालांकि इसके लिए लोन देनेवाली फाइनैंस कंपनी की कुछ शर्तें होती हैं, जैसे आप भारत की नागरिक हों, आपकी उम्र या जिसके लिए आप लोन ले रही हैं, उसकी उम्र 16 वर्ष से 35 वर्ष के बीच हो। इसी के साथ आपने बारहवीं की परीक्षा पास की हो और आपका ऐकडेमिक रिकॉर्ड अच्छा हो। इसके अलावा एमएसएमई लोन उन्हें दिया जाता है, जो अपना कोई छोटा उद्योग शुरू करना चाहते हैं। इसमें किसी भी प्रकार की प्रॉपर्टी गिरवी नहीं रखी जाती, बल्कि आपका क्रेडिट स्कोर जांचा जाता है। इस लोन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे आप कम इंट्रस्ट रेट पर भी पा सकती हैं।