टैक्स का भुगतान हमेशा से एक बड़ी जिम्मेदारी लेकर आता है। अक्सर ऐसा होता है कि टैक्स का भुगतान करने के दौरान की प्रक्रिया काफी मुश्किलों से भरी लगती है। यह भी होता है कि साल के अंत में टैक्स फाइल करने के समय कई बार वित्तीय प्लानिंग का गणित भी ऊपर-नीचे होने लगता है। साथ ही इस दौरान की गई एक भी गलती आपकी जेब पर भारी पड़ सकती है। इसलिए जरूरी है कि आप इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के दौरान किसी भी तरह की गलती करने से खुद को बचा लें। आइए जानते हैं विस्तार से।
रिटर्न फाइल करने से पहले तैयारी जरूरी
इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने से पहले आपको खुद की कमाई की योजना को अच्छी तरह से तैयार करना होगा। ताकि इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के दौरान आप आम गलतियों से बचना जरूरी है। इसमें सबसे पहले बारी आती है फार्म की। टैक्स फाइल करने के दौरान आपको फॉर्म की दो से तीन बार जांच कर लेनी चाहिए। हम बात कर रहे हैं फॉर्म 26AS की। इस फॉर्म की जांच इसलिए जरूरी है कि इसी में आपके पूरे साल की कमाई की जानकारी होती है। इसी के अनुसार आपको टैक्स रिटर्न फाइल करना होगा। ज्ञात हो कि इसमें व्यक्ति की आय के साथ टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स, एडवांस टैक्स पेड, सेल्फ असेसमेंट टैक्स पेड की जानकारी होती है। इसके अलावा आपके पास फॉर्म 16 भी मौजूद होना चाहिए। जहां पर आपकी कमाई से जुड़ी सारी जानकारी होती है। उल्लेखनीय है कि वित्तीय प्लानिंग में टैक्स प्लानिंग में आपको टैक्स छूट, कटौती और फायदे के जरिए हर वित्त वर्ष में अपनी टैक्स की रकम को कम करने या भी संभालने में मदद मिलती है।
गलत जानकारी देने से खुद को बचाएं
आपके लिए यह भी जरूरी है कि किसी भी तरह की गलत जानकारी टैक्स रिटर्न फाइल करने के दौरान देने से बचें। खासतौर पर बैंक से जुड़ी जानकारी को भरते समय सावधानी बरतें। कभी-भी अधूरी या फिर अकाउंट से जुड़ी गलत जानकारी को अपने टैक्स रिर्टन फार्म में शामिल न करें। टैक्स की प्लानिंग करना हर किसी के आर्थिक विकास का अहम पड़ाव होती है। अगर आप किसी भी तरह की गलत जानकारी भरते हैं, तो इससे आपको टैक्स को लेकर भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। साथ ही आप रिफंड का दावा करने के दौरान मुश्किलों का सामना कर सकती हैं। साथ ही अगर आप इसका ध्यान रखती हैं, तो आप इनकम टैक्स अधिकारियों द्वारा जांच के दायरे में आने से बच सकती हैं।
इसका जरूरी बात का उल्लेख करना न भूलें
याद रखें कि टैक्स भरते समय इस बात को याद रखें कि जहां पर आय पर छूट है, उस पर सबसे पहले आपको फोकस करना है। कई बार हम ऐसा सोचते हैं कि आय टैक्सेबल नहीं है, तो हमें इसका जिक्र करने की आवश्यकता नहीं है।
वित्त वर्ष की भी सही जानकारी
इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने के दौरान आपको वित्त वर्ष की भी सही जानकारी भरनी होगी। गलत वित्त वर्ष का उल्लेख करने के कारण आपको दंड भी मिल सकता है। साथ ही आपको खुद के बारे में किसी भी तरह का गलत उल्लेख नहीं करना है। खास तौर पर अपना नाम, पता, फोन नंबर, पैन कार्ड नंबर और जन्म तारीख का उल्लेख आयकर रिटर्न फाइल करने के दौरान सही बताएं। आप फार्म में 2 बार इसकी जांच जरूर करें। अगर आप भविष्य में रिफंड भी करने वाली हैं, तो अपने बैंक विवरण की जानकारी में भी किसी भी प्रकार की भूल न करें। याद रखें कि आपका बैंक खाता और IFSC कोड सही होना चाहिए। ताकि आप को रिफंड प्राप्त करने में किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो।
फॅार्म 16 को लेकर न करें ये गलती
नौकरी बदलने के कारण आपको पास फार्म 16 की गिनती 2 हो जाती है। इस वजह से टैक्स रिटर्न फाइल करने के दौरान आपके लिए दुविधा बढ़ जाती है। किसी भी तरह की परेशानी से बचने के लिए आपको दोनों एंप्लॉयर से मिले फॉर्म 16 की जानकारी टैक्स रिटर्न फाइल करने के दौरान जरूर भरें। साथ ही अगर किसी भी तरह का टैक्स भरना बाकी है, तो उसे जमा करें। अगर आप ऐसा नहीं करती हैं, तो आपके लिए बड़ी परेशानी खड़ी हो सकती है।
विदेश संपत्ति की जानकारी देना जरूरी
इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के दौरान आपको यह भी जानकारी देनी चाहिए कि विदेश में आपकी कोई संपत्ति है या नहीं। अगर विदेश में आपकी कोई संपत्ति है, तो उसकी जानकारी को जरूर टैक्स फाइल में शामिल करें। अगर आप ऐसा नहीं करती हैं, तो ब्लैक मनी एक्ट के तहत आपको लाखों का जुर्माना भरना पड़ सकता है।
ई-वेरिफिकेशन करना जरूरी
टैक्स रिटर्न फाइल करने के दौरान आपको यह आदत भी खुद के अंदर शामिल करनी है, कि आपने जो भी लिखा है, उसे फिर से पढ़ना भी जरूरी है। सबसे पहले आपको टैक्स रिटर्न फाइल करने के दौरान समय का ध्यान रखना जरूरी है। आपको सही समय पर या फिर समय सीमा से पहले टैक्स रिटर्न फाइल कर देना है। इससे यह होगा कि आपको डेडलाइन के दौरान आने वाली दिक्कतों का सामना नहीं करना होगा। जैसे कि टैक्स रिटर्न फाइल करने के दौरान किसी जानकारी का न मिलना। यह भी जान लें कि आईटी रिटर्न फाइल करने के दौरान आपको ई-वेरिफिकेशन करना भी जरूरी है। आपको ई-वेरिफिकेशन का काम 30 दिन के अंदर करना जरूरी है। इससे आपको रिटर्न भी समय पर मिलेगा।
टैक्स की प्लानिंग करना जरूरी
सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप अपने निवेश की सभी कॉपी का रिकॉर्ड तैयार रखें। खासतौर पर पीपीएफ, बैंक के सारे बैलेंस की जानकारी की कॉपी को संभालकर रखें। टैक्स सेविंग के लिए एचआरए यानी की आपने रेंट के मकान को भी दिखाना चाह रही हैं, तो आपको इसे क्लेम करने के लिए एग्रीमेंट की कॉपी और हर महीने के किराए की कॉपी को भी एक तरफ जमा करके रखना होगा। इससे आपको रिटर्न फाइल करने के दौरान किसी भी तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना होगा। साथ ही टैक्स रिटर्न फाइल करने का सबसे पहले और अहम पड़ाव टैक्स की प्लानिंग करना होता है। टैक्स प्लानिंग करने से आप रिटर्न फाइल करना आपके लिए आसान प्रक्रिया होगी। टैक्स की प्लानिंग करना हर किसी के आर्थिक विकास का अहम पड़ाव होती है।इससे आपको सहायता मिलेगी की कि टैक्स बचाने के लिए आपको कहां पर कितना पैसा टैक्स बचाने के लिए निवेश करना है। इससे यह फायदा होगा कि सही रिटर्न वाली योजना को समझने और निवेश का अवसर मिलता है। टैक्स बचाने के लिए इंश्योरेंस प्रीमियम, होम लोन और बाकी के खर्च को ध्यान में रखकर ही अपने टैक्स की योजना बनाएं। यह भी ध्यान रखें, तो टैक्स बचाने के लिए पीपीएफ, बैंक एफडी और एनपीएस में निवेश कर सकती हैं।
रिवाइज्ड रिटर्न की सुविधा
कई बार इनकम टैक्स फाइल करने के दौरान गलतियां हो जाती हैं। ऐसे में घबराने की आवश्यकता नहीं है। गलतियों का पता चलने पर इनकम टैक्स विभाग की तरफ से नोटिस आता है। जहां पर आपको रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने की सुविधा होती है। जब भी आप आईटी रिटर्न फाइल करती हैं, तो गलतियों को लेकर आपको आयकर विभाग की तरफ से नोटिस आता है। यह नोटिस रजिस्टर्ड ईमेल पर भेजा जाता है। इस नोटिस में साफ तौर पर लिखा होता है कि आपके इनकम टैक्स रिटर्न में गलतियां कहां पर हुई हैं। इसके बाद आप सही जानकारी को भरते हुए अपनी गलती में सुधार करें और फिर से इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करें।
नोटिस पर भरना होगा जुर्माना
ध्यान रखें रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने की एक तारीख होती है और आप इस तारीख से पहले कितनी भी बार रिवाइज्ड रिटर्न फाइल कर सकती हैं। साथ ही आपको हर बार अपने आईटी की पूरी जानकारी भरनी होती है। यह भी ध्यान रखें कि रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने के दौरान आपको किसी भी तरह की फीस नहीं भरनी होती है। उल्लेखनीय है कि अगर रिटर्न फाइल करने के बाद आपको किसी भी प्रकार की कोई गलती लगती है, तो आप खुद रिवाइज्ड रिटर्न फाइल कर सकती हैं। आपको आयकर विभाग के नोटिस का इंतजार नहीं करना होगा।