केवल आपकी जुबान ही नहीं, बल्कि आपका शरीर भी आपके व्यक्तित्व के बारे में कई राज खोलता है। अक्सर आपने कई लोगों को कहते हुए सुना होगा कि मुझे उस व्यक्ति से अच्छी वाइब नहीं आ रही है, यही पर बॉडी लैंग्वेज को लेकर सवाल खड़ा हो जाता है। कई बार ऐसा भी होता है जब आपकी बॉडी लैंग्वेज की एक गलती ऑफिस में आपकी इमेज को धूमिल कर देती है। इसी वजह से कई सारे ऐसे प्राइवेट संस्थान हैं, जहां पर बॉडी लैंग्वेज को समझाने और सुधारने की खास क्लास होती है। बता दें कि आपके जीवन शैली में सही बॉडी लैंग्वेज का होना इस वजह से भी जरूरी है कि यह आपके प्रोफेशनल जीवन के वातावरण को सुखद बना देता है, कई बार तो ऐसा भी होता है कि गलत तरीके से खुद को पेश करने पर आप नौकरी से भी हाथ धो सकती हैं और साथ ही आपका प्रमोशन भी फाइलों के बीच दबा रह सकता है। वैसे बॉडी लैंग्वेज एक ऐसी भाषा है, जिस पर आपकी खुद की पकड़ कमजोर नहीं होनी चाहिए। कई बार ऐसा होता है कि आप भले ही ऑफिस में अपने सहकर्मी के बॉडी लैंग्वेज को भांपने में कामयाब हो सकते हैं, लेकिन खुद की बॉडी लैंग्वेज के गणित को सुलझाना आपके लिए मुश्किल हो जाता है। आइए जानें विस्तार से कि दूसरों में खामी खोजने से पहले आपको खुद के बॉडी लैंग्वेज में की गई किन गलतियों से बचना चाहिए।
आई कॉन्टेक्ट करना न भूलें
ऑफिस में आई कॉन्टेक्ट का प्रश्न सबसे पहले तब खड़ा होता है, जब आपका पहला दिन होता है। नए होने के कारण आप खुद को सबके बीच अलग पाते हैं। भले ही आपके बायोडाटा में कई बड़ी डिग्री और पिछली कंपनियों के सालों के अनुभव की लंबी फेहरिस्त क्यों न हो, नये जगह पर काम करना हमेशा ही पहली नौकरी जैसा अनुभव देकर जाता है। ऐसे में सबसे जरूरी है आई कॉन्टेक्ट मिलाकर बात करना। आई कॉन्टेक्ट रखने से आप खुद को दूसरे के सामने आत्मविश्वासी दिखाने में सफल होती हैं। इतना ही नहीं आआई कॉन्टेक्ट करना आपको भीतर से भी खुद पर विश्वास करने की उम्मीद देता है। याद रखें कि अगर आप ऑफिस की मीटिंग या फिर सहकर्मियों के बीच हैं, तो इधर-उधर न देखें। आप किसी से बात करें या फिर सामने वाले की बात सुनते वक्त आई कॉन्टेक्ट को बनाएं रखें। ऑफिस में अगर कोई आपसे बात कर रहा है, तो मोबाइल फोन का इस्तेमाल उस वक्त न करें। लंच का समय हो या गपशप का, आई कॉन्टेक्ट को कभी भी नजरअंदाज न करें।
दोस्ती जरूरी लेकिन थोड़ी सी दूरी
ऑफिस का माहौल खुद के लिए सकारात्मक रखने में दूसरों से दोस्ती और अच्छा बर्ताव काफी मायने रखता है। ऐसी गलती कई बार हो जाती है, जब ऑफिस में लंबा समय बिताने के बाद आप खुद को लेकर काफी सहज हो जाती हैं, जिसका नतीजा यह होता है कि कई बार सीमाएं पार हो जाती हैं, जैसे कि किसी के करीब जाकर बात करना, किसी की काम की डेस्क के पास खड़े होकर बात करना, जोर-जोर से हंसना, यह सारी गलतियां आपके बर्ताव को दूसरों के सामने लापरवाह बताती हैं। जब भी आप ऑफिस में किसी दोस्त के साथ या फिर समूह में बात कर रहे हैं तो थोड़ी सा बॉडी फासला रखना जरूरी है। इसके साथ ही कोई अगर आपकी डेस्क पर बात करने के लिए आ रहा है तो उस दौरान कंप्यूटर पर काम नाम करें, उसकी बात पर गौर करें। अगर सामने वाले व्यक्ति की बात जरूरी नहीं है, तो उससे बड़ी ही सहजता से बाद में आने के लिए कहें। यहां तक किसी दूसरे व्यक्ति के काम करने की जगह के पास जाकर हंसी-मजाक करने से बचें।
हाथों का अधिक इस्तेमाल दिखाता है धैर्य की कमी
कई लोगों की आदत होती है कि वह अपनी बातों को समझाने के लिए हाथों के मूवमेंट तेजी से करते हैं। ऐसा करना यह दिखाता है कि आप में धैर्य और फोकस की कमी है। खास तौर पर ऑफिस की मीटिंग में खुद को प्रस्तुत करने के दौरान या फिर किसी योजना पर चर्चा के समय हाथों का मूवमेंट करने से अच्छा है कि आप अपने हाथों की हथेलियों को एक-दूसरे से हल्का-सा बांधकर रखें, अगर आप ऐसा करती हैं, तो आपकी बॉडी लैंग्वेज संभली हुई दिखाई देगी। हाथों का अधिक मूवमेंट होने पर लोगों का ध्यान आपकी बातों से अधिक हाथ पर जाता है और आपकी बातों का वजन भी कम हो जाता है।
बोरियत महसूस करना, काम के वक्त उदास रहना
ऑफिस में नकारात्मक ऊर्जा के साथ काम करना आपकी सेहत और वातावरण के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। ऐसा कई बार होता है कि सप्ताह के तीसरे या फिर आखिर दिन बोरियत के साथ उदासी हमें घेर लेती है, लेकिन इसकी गिरफ्त से खुद को बाहर रखना चाहिए। प्रोफेशनल दुनिया में इसे आलस्य कहा जाता है,जो कि आपके प्रमोशन के लिए खतरे की घंटी बन सकता है। देखा जाता है कि आपको लगातार काम करने या फिर घर से ऑफिस आने के बीच की थकान के कारण उदासी महसूस होने लगती है, कोशिश करें कि खुद को किसी न किसी तरह व्यस्त रखें। इसके लिए आप ऑफिस में टहल सकती हैं या फिर कुछ देर के लिए ब्रेक लेकर कैंटीन में बैठ जाएं या फिर चाय ब्रेक के साथ अपनी हॉबी से जुड़ा कोई काम कुछ मिनट के लिए कर लें, जैसे- संगीत सुनना, पढ़ना। अगर यह सब करना आपके लिए मुश्किल है, तो अपने किसी ऐसे दोस्त से फोन पर बात करें, जिससे काफी समय से आपकी बात नहीं हुई हो, दोस्त के निजी जीवन या फिर प्रोफेशनल जीवन की कोई नई जानकारी या फिर किसी भी तरह की कोई भी गपशप आपके भीतर से बोरियत के कीड़े को अलग कर सकती है।
चेहरे का एक्सप्रेशन और ऐसी हरकत, बना देगा जीरो
ऑफिस में काम के कारण बातचीत करने का मौका कम मिलता है, होता यह है कि आप खुद की बात को समझाने के लिए कई बार चेहरे के भाव का इस्तेमाल करती हैं। इस दौरान, चेहरा का एक्सप्रेशन लोगों के सामने आपके व्यक्तित्व को पेश करने का काम करता है। कई बार बॉस के सामने मीटिंग में अपनी बातों को केवल हां और न के जरिए बताना होता है, जब आप बॉस की कोई बात सुन रहे हैं, फिर चाहे वह अकेले हो या मीटिंग में, चेहरे का एक्सप्रेशन अजीब बनाने से बचिए। यह भी याद रखिए कि जब भी बॉस या फिर कोई सहकर्मी आपकी सीट के पास से गुजर रहा है, तो जोर से हंसने से बचिए। आपको इस तरह हंसता हुआ देखकर एक बड़ी गलतफहमी पैदा हो सकती है, बॉस या सहकर्मी को लग सकता है कि आप किसी बात को लेकर उन्हीं पर हंस रही हैं। अंत में किसी की बात सुनकर आंखें घुमाने और सुनने वाले का मजाक बनाना लग सकता है।
धीरे बोलना, कम बोलना या फिर जोर से बोलना
आपके पास बातों की कला होनी चाहिए, आप क्या बात करती हैं, किस लहजे में करती हैं, किस भाव के साथ करती हैं यह बॉडी लैंग्वेज की सबसे अहम कड़ी मानी जाती है। किसी बात का धीरे से जवाब देना आत्मविश्वास की कमी को दिखाता है, इसका मतलब यह नहीं कि आप चिल्ला कर बोलें या फिर जल्दी-जल्दी में बोलें। लोगों से कम बातचीत आपकी छवि को घमंडी दिखा सकती है। ऑफिस में बेपरवाह और लापरवाही भरा बर्ताव आपकी नौकरी को खतरे में डाल सकता है। जब भी आप किसी से काम की बात करें तो, क्या कहना है इसकी एक छवि अपनी दिमाग में बिठा लें या फिर उसे किसी बुक में नोट कर लें। टू द पाइंट बोलने की कला को अपनाएं। दूसरों की सलाह पर गौर करने के साथ सामने वाले की बात खत्म होने का इंतजार करें और फिर बोलें। किसी भी जरूरी बात को समझाने के लिए उदाहरण का उपयोग करें, इससे यह लगेगा कि आप अपनी बात करने के लिए पूरी रिसर्च के साथ आए हैं।
बॉडी लैंग्वेज को समझने का आसान तरीका
हमारे हिसाब से बॉडी लैंग्वेज का पूरा इतिहास समझने से बेहतर की आप कुछ जरूरी बातें अपनी डायरी में नोट कर लें। इन 5 आसान टिप्स से आप खुद के बॉडी लैंग्वेज को इंटरव्यू और प्रमोशन के साथ रोजमर्रा के ऑफिस वाले दिनों में भी इस्तेमाल कर सकती हैं।
पैर फैलाकर बैठना -आलस्य, थकान
झुक कर खड़े रहना-आत्मविश्वास की कमी
आंखें मिलाकर बात नहीं करना- लापरवाही और डर
हाथ की हथेली मलना- साहस की कमी
चेहरे और बालों को छूना या फिर आंख को रगड़ना- खुद पर शंका
गौरतलब है कि कई दफा हम बिना किसी दूसरे व्यक्ति को जानें उसके बारे में एक धारणा बना लेते हैं, या फिर किसी दूसरे की कहीं हुई बातों के आधार पर भी गलतफहमी का शिकार हो जाते हैं। इसलिए किसी के बारे में कोई सोच बनाने से पहले सामने वाले व्यक्ति के साथ अपना एक अनुभव बनाएं। इन सारी बातों के अलावा ऑफिस में सबसे जरूरी है खुद पर विश्वास, अगर खुद पर भरोसा और संयम है, तो आपको किसी बॉडी लैग्वेंज के गाइड की जरूरत नहीं है।