सूरज से निकलने वाली जो किरणें होती हैं, वो कई बार सनबर्न और डार्क स्पॉट्स पिगमेंटेशन का कारण बन जाती हैं और ऐसा एक्सपर्ट मानते हैं कि ये किरणें आपकी स्किन में कैंसर जैसी परेशानी को भी उत्पन्न कर सकते हैं। तो आइए जान लेते हैं कि आखिर क्यों सनस्क्रीन की जरूरत पड़ती है।
क्या होते हैं सनस्क्रीन
अधिकांश सनस्क्रीन में दोनों प्रकार की हानिकारक पराबैंगनी किरणों यूवीए और यूवीबी से बचाने के लिए कई सक्रिय तत्व होते हैं। वे सामग्रियां दो मुख्य श्रेणियों में आती हैं, भौतिक अवरोधक( फिजिकल ब्लॉकर) और रासायनिक अवशोषक (केमिकल अब्सॉर्बर) । सामान्य भौतिक अवरोधक( फिजिकल ब्लॉकर) टाइटेनियम डाइऑक्साइड और जिंक ऑक्साइड हैं। वे त्वचा और यूवी किरणों के बीच एक भौतिक अवरोध ( फिजिकल ब्लॉकर) पैदा करते हैं। वहीं अगर रासायनिक अवशोषक ( केमिकल अब्सॉर्बर) के उदाहरणों में ऑक्सीबेनजोन, एवोबेनजोन, होमोसैलेट और ऑक्टिनॉक्सेट शामिल हैं। ये यूवी किरणों को अवशोषित( अब्सॉर्ब) करते हैं, ताकि हमारी त्वचा उन्हें अवशोषित न कर सके। सक्रिय के अलावा, सनस्क्रीन में कई अतिरिक्त निष्क्रिय तत्व होते हैं। हालांकि एक बात यह भी है कि सनस्क्रीन के प्रकार, बहुत अलग हो सकते हैं। जैसे इसमें एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन, विटामिन ई, संरक्षक( प्रिजर्वेटिव्स), फ्रैगरेंस और इमोलिएंट शामिल हो सकते हैं।
क्या होता है एसपीएफ
अमूमन हमने देखा है कि जब भी आप सनस्क्रीन की होती है, तो इस बात को लेकर होती है कि एसपीएफ क्या होता है और सही एसपीएफ (सूर्य सुरक्षा कारक) होना जरूरी है और हर किसी को अपनी त्वचा के अनुसार यूवीबी किरणों का इस्तेमाल करना चाहिए। दरअसल, यह आपकी त्वचा का सुरक्षा कवच तत्व माना जाता है। अगर आप एक त्वचा विशेषज्ञ से बात करेंगी, तो वे अमूमन यही सलाह देते हैं कि आमतौर पर कम से कम 30 एसपीएफ वाले सनस्क्रीन का उपयोग होना चाहिए, जो सूर्य की 97 प्रतिशत यूवीबी किरणों से सुरक्षा प्रदान करता है। वहीं अगर 100 या उससे ऊपर की अल्ट्राहाई रेटिंग की बात करें, तो एसपीएफ 50 की तुलना में अधिक सुरक्षात्मक नहीं होती है, जो 98 प्रतिशत यूवीबी किरणों को रोकती है। यह तय करने के लिए कि आप ऐसे सनस्क्रीन का उपयोग कर रही हैं, जो यूवीबी और यूवीए किरणों के खिलाफ पर्याप्त सुरक्षा प्रदान कर रही है या नहीं, आपको ब्रॉड स्पेक्ट्रम शब्द पर गौर करना होगा।
कब लगाएं सनस्क्रीन
इस बात का आपको खास ख्याल रखना भी जरूरी है कि जब भी आप बाहर जाने वाली हों, उससे ठीक 15 मिनट पहले आपको सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए। आपको सुबह में भी सनस्क्रीन लगा कर ही निकलना चाहिए। एक बात का आपको और ख्याल रखना है कि सनस्क्रीन को हमेशा शुष्क त्वचा पर लगाना चाहिए। वहीं, इन्हें उन जगहों पर भी लगाना जरूरी है, जो कि त्वचा के वे हिस्से हैं, जो कपड़ों से नहीं ढके हैं, उन पर सनस्क्रीन लगाना बेहद जरूरी है। आपको इस बात का भी ख्याल रखना जरूरी है कि अगर आपको पसीना आ रहा है, तो हर दो घंटे में या इससे भी अधिक बार सनस्क्रीन दोबारा लगा देना चाहिए। अपने सनस्क्रीन के एसपीएफ की पूरी सुरक्षा पाने के लिए, आपको इसे सावधानी से लगाना होगा। अधिकांश लोग सनस्क्रीन की अनुशंसित मात्रा का लगभग 25 से 50 प्रतिशत ही लगाते हैं।
ब्रॉड स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन होते हैं बेस्ट
ब्रॉड स्पेक्ट्रम लेबल वाले सनस्क्रीन दोनों किरणों के प्रभाव से बचाने में मदद करते हैं। इससे आपकी त्वचा में झुर्रियां नहीं दिखती हैं। सनबर्न की जो परेशानी होती है, उससे त्वचा को बचाना बेहद जरूरी होता है, इसके लिए भी ब्रॉड स्पेक्ट्रम वाले सनस्क्रीन अच्छे होते हैं।
30 और सनस्क्रीन का सही कनेक्शन
इस बात का आपको खास ख्याल रखना है कि आप कम से कम 30 एसपीएफ वाले सनस्क्रीन अपने चेहरे पर जरूर लगाएं। सनस्क्रीन का सन प्रोटेक्शन फैक्टर (एसपीएफ) बताता है कि यह उत्पाद यूवी किरण से कितनी सुरक्षा प्रदान करता है। और यह माना गया है कि कम से कम 30 एसपीएफ वाले सनस्क्रीन जरूर इस्तेमाल करें, क्योंकि यह सूर्य की 97 प्रतिशत किरणों को त्वचा को नुकसान पहुंचाने से रोक देते हैं।
ये है मिथ
अगर आप यह सोचते हैं कि आप जो सनस्क्रीन का इस्तेमाल कर रही हैं, वो आपको पसीने होने पर भी बचाएगा या फिर वो वॉटर प्रूफ है, तो आपके लिए यह जानना जरूरी है कि ऐसा दावा सही नहीं है, क्योंकि कोई भी सनस्क्रीन ऐसा नहीं होता है। यह केवल 40 से 80 मिनट तक ही प्रभावी होता है।
एक्सपाइरी डेट वाली सनस्क्रीन कभी नहीं
एक बात का आपको ख्याल रखना जरूरी है कि एक्सपायरी वाली सनस्क्रीन अच्छी नहीं होती है। यह जानना आपके लिए बेहद जरूरी है कि सनस्क्रीन तीन साल तक ही बेहतर रहते हैं, इसके बाद ऐसा कुछ हो तो कोशिश करें यह जानना कि तीन साल के बाद आपकी स्क्रीन का इस्तेमाल बिल्कुल न करें। यह आपकी स्किन को नुकसान पहुंचा सकता है।
मेकअप के लिए सनस्क्रीन
मेकअप के लिए सनस्क्रीन लगाना जरूरी होता है,क्योंकि मेकअप से भी आपके चेहरे पर कई बार जो दाग या कोई परेशानी आ जाती है, वो सनस्क्रीन के रूप में एक सुरक्षा कवच बन जाता है, इसलिए सनस्क्रीन हमेशा अपने साथ रखना ही चाहिए। सनस्क्रीन को आप मेकअप बेस के रूप में भी इस्तेमाल कर सकती हैं। कुछ ऐसे प्रोडक्ट्स भी होते हैं, जिनमें पहले से एसपीएफ होता है, ऐसे मेकअप प्रोडक्ट्स भी आपके लिए बेस्ट साबित होंगे। एक बात का बस ध्यान रखें कि इसे आपको फॉउंडेशन लगाने से पहले लगा लेना है। इसे सनस्क्रीन बेस की तरह इस्तेमाल करें। इससे आपकी त्वचा सही तरीके से हाइड्रेट भी रहेगी। एक बात का आपको ध्यान रखना है कि तीन से चार घंटों में आपको सनस्क्रीन लगाने की जरूरत होगी ही।
किस मौसम में लगाएं
सनस्क्रीन लगाने का मतलब है कि आपको हर मौसम में इसे लगाएं, क्योंकि धूप नहीं होने के बावजूद आपको किरणों से परेशानी होगी ही, फिर मौसम भले ही बारिश का क्यों न हो। एक बात का आपको ध्यान रखना जरूरी है कि यूवी रेडिएशन हमेशा आपकी त्वचा तक पहुंचता है और इससे नुकसान होती है। यूवी रेडिएशन के कॉन्टैक्ट में आने से स्किन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए जरूरी है कि मौसम पर ध्यान दिए बगैर घर से बाहर निकलने से पहले सनस्क्रीन लगाना आपकी त्वचा के लिए जरूरी है।
कौन-सी स्किन टाइप के लिए कौन-सा सनस्क्रीन
तेलीय त्वचा को बेहतर करने के लिए जरूरी है कि सही स्किन टाइप के अनुसार अच्छा सनस्क्रीन लगाएं। ऐसे सनस्क्रीन, जो कि सन ब्लॉक करें। इससे अल्ट्रा नाइट और नॉन शाइनी फिनिश वाली त्वचा बेहतर होती जाती है और त्वचा को मुलायम भी बना देती है। अगर आपकी स्किन ड्राई है, तो सिर्फ सनस्क्रीन से काम नहीं चलेगा, इसके लिए आपको मॉइस्चराइजर की अधिक जरूरत होगी, जिससे आपकी स्किन मॉइस्चराइज रहे और यूवी प्रोटेक्शन भी हो, वहीं अगर आपकी त्वचा ऑयली है, तो वॉटर बेस्ट सनस्क्रीन आपके लिए अच्छे होंगे। न कि ऑयल बेस्ट सनस्क्रीन मॉइस्चराइजर।